काठमांडू : नेपाल में गहराते राजनीतिक संकट के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चौतरफा दबाव में घिर गए हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह राष्ट्र को संबोधित करेंगे और उसके बाद अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं
इसके पूर्व दिन में नेपाली पीएम ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से उनसे शीतल निवास में मुलाकात की. राष्ट्रपति ने नेपाल सरकार द्वारा लिए गए बजट सत्रावसान के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी.
ओली के बलुवतार में आधिकारिक निवास पर इसके पूर्व कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट ने संसद के बजट सत्र को रोकने का फैसला किया है. ओली को डर है कि अगर संसद का सत्र आगे चला तो उनके ऊपर इस्तीफे को लेकर और दबाव बढ़ेगा.
उधर नेपाल के पूर्व पीएम और कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के आवास पर भी बैठकों का दौर जारी है. दिलचस्प तो यह है कि ओली के बाद दहल ने भी बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की.
दहल के घर पर सुबह पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल, उप प्रधानमंत्री ईशोर पोखरेल, विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली, शंकर पोखरेल, प्रधानमंत्री ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल और उप संसदीय दल के नेता सुभाष नेमबांग पहुंचे. सभी नेताओं ने प्रचंड से मुलाकात की. ऐसा माना जा रहा है कि इसमें सरकार को लेकर बातचीत की गई.
गौरतलब है कि इसके पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बुधवार को कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक की थी. इससे पहले 30 जून को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने उनसे तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की मांग की थी.
नेपाल के पूर्व पीएम और कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', माधव नेपाल, झलनाथ खनाल और बामदेव गौतम सहित वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री ओली की विफलता का हवाला देते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की है.
हिमालयन टाइम्स के अनुसार मंगलवार को आयोजित नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की बैठक में ओली द्वारा भारत के खिलाफ हालिया विवादास्पद बयानों को लेकर बहस हुई थी.
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झलनाथ खनाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री न केवल अपने व्यक्तिगत हितों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि नीतियों और कार्यक्रमों को लाने में विफल रहे.
उन्होंने पिछले तीन वर्षों में समाजवाद के लक्ष्यों की अनदेखी करते हुए पूंजीवादी नीतियों का पालन किया. एक स्थाई समिति के सदस्य ने नाम न बताने से शर्त पर कहा कि भारत को अनावश्यक रूप से भड़काने के लिए ओली से स्पष्टीकरण मांगा गया है.
44 में से 15 सदस्य ही ओली के साथ
गौरतलब है कि ओली के पक्ष मेें कम्युनिस्ट पार्टी के 44 सदस्यों में से 15 सदस्य ही हैं.