ETV Bharat / international

अमेरिका को नेपाल ने दिया धोखा, ईरान और चीन की पैसे से कर रहा मदद - विश्वव्यापी कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स

सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेपाल द्वारा विश्वव्यापी कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि नेपाल के कुछ बैंक और कॉर्पोरेशन अमेरिकी प्रतिबंधों को चकमा देकर ईरान और चीन की मदद कर रहे हैं.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Sep 21, 2020, 5:40 PM IST

काठमांडू : सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (CIJ) नेपाल ने विश्वव्यापी कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ और BuzzFeed) के साथ मिलकर एक जांच में खुलासा किया है कि नेपाल के कुछ बैंक और कॉर्पोरेशन कथित तौर पर अवैध रूप से विदेश से संदिग्ध नकदी ट्रांसफर कर रहे हैं.

रविवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में नेपाली कॉर्पोरेशन और बैंकों की भागीदारी को उजागर किया गया है, जिसके तहत वह ईरान और चीन के व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों को चकमा देने की कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिका में वित्तीय लेनदेन सिस्टम को मॉनिटर करने वाली सरकारी संस्था फाइनेंशल क्राइम इन्फोर्समेंट नेटवर्क के टॉप सिक्रेट डॉक्युमेंट्स के आधार पर तैयार रिपोर्ट को 'FinCEN Files' नाम दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2006 से मार्च 2017 के बीच में नेपाल के 9 बैंकों, 10 कंपनियों और नेपाल में विभिन्‍न लोगों ने सीमापार व्‍यापार के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेनदेन किया.

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पता चलता है कि नेपाली बिजनेस संस्‍थान सोने की अंतरराष्‍ट्रीय तस्‍करी, प्राचीन वस्‍तुओं, बिटुमेन और दूरसंचार उपकरणों की तस्‍करी करते हैं.

इसमें स्‍टैडर्ड चार्टड बैंक, प्राइम कमर्शियल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल-बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं.

इस लिस्‍ट में नेपाल की 10 कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्‍होंने या तो सीधे तौर पर संदिग्‍ध पैसा भेजा या फिर इस पैसे को प्राप्त किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 11 साल की अवधि के दौरान इन बैंकों और कंपनियों ने 29 करोड़ डॉलर की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन किया है.

इन कंपनियों का मुख्‍य बिजनेस पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट जैसे बिटुमेन, इंजन ऑयल और अन्‍य तेल कारोबार शामिल है. इन कंपनियों का ऑफिस दुबई में था.

इस पूरे विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है. इसी ने पेट्रोलियम के आयात और निर्यात के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेन-देन किया. रौनियार की कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान के खिलाफ अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है.

पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान और चीन की खोली पोल

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सबसे बड़े टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर झोंगशिंग टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट (ZTE) कॉर्पोरेशन ने 213.3 मिलियन यूएस डॉलर 17 मार्च 2011 से एक मार्च 2017 के बीच नेपाल सहित दूसरे देशों में भेजे.

रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि ZTE ने यह लेनदेन बीजिंग स्थित चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक के माध्यम से किया.

इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 4 नंबर 2013 से 27 फरवरी 2017 के बीच ZTE ने नेपाल इन्वेस्टमेंट बैंक में पैसे का ट्रांसफर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने चार बार पैसा भेजा है.

रिपोर्ट के अनुसार पांच साल की पड़ताल में यह पाया गया है कि ZTE ने अमेरिका प्रतिबंधों को चकमा देने के लिए कई साजिशें कीं.

काठमांडू : सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (CIJ) नेपाल ने विश्वव्यापी कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ और BuzzFeed) के साथ मिलकर एक जांच में खुलासा किया है कि नेपाल के कुछ बैंक और कॉर्पोरेशन कथित तौर पर अवैध रूप से विदेश से संदिग्ध नकदी ट्रांसफर कर रहे हैं.

रविवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में नेपाली कॉर्पोरेशन और बैंकों की भागीदारी को उजागर किया गया है, जिसके तहत वह ईरान और चीन के व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों को चकमा देने की कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिका में वित्तीय लेनदेन सिस्टम को मॉनिटर करने वाली सरकारी संस्था फाइनेंशल क्राइम इन्फोर्समेंट नेटवर्क के टॉप सिक्रेट डॉक्युमेंट्स के आधार पर तैयार रिपोर्ट को 'FinCEN Files' नाम दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2006 से मार्च 2017 के बीच में नेपाल के 9 बैंकों, 10 कंपनियों और नेपाल में विभिन्‍न लोगों ने सीमापार व्‍यापार के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेनदेन किया.

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पता चलता है कि नेपाली बिजनेस संस्‍थान सोने की अंतरराष्‍ट्रीय तस्‍करी, प्राचीन वस्‍तुओं, बिटुमेन और दूरसंचार उपकरणों की तस्‍करी करते हैं.

इसमें स्‍टैडर्ड चार्टड बैंक, प्राइम कमर्शियल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, एवरेस्‍ट बैंक, नेपाल इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक, मेगा बैंक, हिमालयन बैंक, नेपाल-बांग्‍लादेश बैंक आदि संदिग्‍ध पैसे की लेनदेन करने वाले बैंकों में शामिल हैं.

इस लिस्‍ट में नेपाल की 10 कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्‍होंने या तो सीधे तौर पर संदिग्‍ध पैसा भेजा या फिर इस पैसे को प्राप्त किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 11 साल की अवधि के दौरान इन बैंकों और कंपनियों ने 29 करोड़ डॉलर की संदिग्‍ध धनराशि का लेनदेन किया है.

इन कंपनियों का मुख्‍य बिजनेस पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट जैसे बिटुमेन, इंजन ऑयल और अन्‍य तेल कारोबार शामिल है. इन कंपनियों का ऑफिस दुबई में था.

इस पूरे विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है. इसी ने पेट्रोलियम के आयात और निर्यात के नाम पर संदिग्‍ध पैसे का लेन-देन किया. रौनियार की कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान के खिलाफ अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है.

पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान और चीन की खोली पोल

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सबसे बड़े टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर झोंगशिंग टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट (ZTE) कॉर्पोरेशन ने 213.3 मिलियन यूएस डॉलर 17 मार्च 2011 से एक मार्च 2017 के बीच नेपाल सहित दूसरे देशों में भेजे.

रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि ZTE ने यह लेनदेन बीजिंग स्थित चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक के माध्यम से किया.

इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 4 नंबर 2013 से 27 फरवरी 2017 के बीच ZTE ने नेपाल इन्वेस्टमेंट बैंक में पैसे का ट्रांसफर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने चार बार पैसा भेजा है.

रिपोर्ट के अनुसार पांच साल की पड़ताल में यह पाया गया है कि ZTE ने अमेरिका प्रतिबंधों को चकमा देने के लिए कई साजिशें कीं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.