काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को झटका देते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को हाल ही में कैबिनेट फेरबदल को रद्द कर दिया और ओली के कैबिनेट के 20 मंत्रियों को उनके पद से मुक्त कर दिया.
ओली, जो सदन के विघटन और नवंबर में चुनाव की घोषणा के बाद से कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका में हैं. उन्होंने 4 जून और 10 जून को मंत्रिमंडल का विस्तार किया था और 20 नए चेहरे जोड़े थे.
ओली ने 21 मई को सदन को भंग कर दिया था और सदन में विश्वास मत हारने के बाद चुनाव की घोषणा की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कैबिनेट के विस्तार के फैसले को लागू न करने का आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनाव की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल नहीं कर सकता. यह संविधान की भावना के खिलाफ जाता है.
मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा और न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की खंडपीठ ने कार्यवाहक सरकार के नाम पर नव नियुक्त मंत्रियों को उनकी नियुक्तियों से मुक्त करने का आदेश जारी किया.
कोर्ट ने ओली के मंत्रिमंडल का आकार घटाया
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश ने ओली को सदन भंग होने के बाद नियुक्त किए गए 20 मंत्रियों को उनके कर्तव्यों से मुक्त करने को कहा है. इसके साथ ही ओली के मंत्रिमंडल का आकार 25 से घटाकर पांच कर दिया गया है.
अदालत के फैसले कई रिट याचिकाओं के जवाब में आए, जो इस महीने की शुरुआत में दायर की गई थीं, जिसमें ओली के कार्यवाहक सरकार में नए मंत्रियों को शामिल करने के कदम को चुनौती दी गई थी.
सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल ने 20 मंत्रियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को 'अप्रत्याशित' कदम बताया है.
पार्टी प्रवक्ता प्रदीप ग्यावली ने अदालत के फैसले के बाद मीडिया से कहा, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हमारे लिए अप्रत्याशित है और यह देश को बहुत जटिल मोड में ले जाएगा. उन्होंने कहा, हमने इसे 'अप्रत्याशित' के रूप में समाप्त कर दिया है, लेकिन पूरा फैसला पढ़ने के बाद हम अपनी स्थिति स्पष्ट कर देंगे.
नेपाली कांग्रेस ने फैसले का किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने स्वागत किया है. नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम चंद्र पौडेल ने कहा, यह एक बहुत ही सकारात्मक निर्णय है क्योंकि प्रधानमंत्री ओली बार-बार संविधान पर हमला कर रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने ओली की गलती को सुधारा है.
पौडेल ने कहा, "दुनिया में कोई भी कार्यवाहक सरकार चुनाव की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं करती है. अदालत ने लोकतंत्र के पक्ष में अपना फैसला लिया है."
(आईएएनएस)