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ग्वादर के लिए चीन की सैन्य आकांक्षा क्या है?

ग्वादर को लंबे समय से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के संचालन व चीनी बेस बनाने के लिए के लिए उपयुक्त स्थल माना जाता है. यही कारण है कि चीन वहां भारी निवेश कर रहा है.

ग्वादर
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Published : Aug 17, 2020, 8:33 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 8:00 AM IST

हांगकांग: ग्वादर को लंबे समय से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के संचालन व चीनी बेस बनाने के लिए उपयुक्त स्थल माना जाता है. हालांकि, यह निश्चित रूप से अपरिहार्य नहीं है कि ग्वादर, PLAN का बेस बन जाएगा. इसलिए चीनी दृष्टिकोण से यह स्थान उसके लिए काफी अहम है.

चीन एक रणनीतिक मजबूत अवधारणा का अनुसरण कर रहा है, जिसके तहत रणनीतिक रूप से अहम विदेशी बंदरगाहों में चीनी फर्मों द्वारा संचालित टर्मिनलों और वाणिज्यिक क्षेत्रों का उपयोग किया जाता है.

इसमें कोई शक नहीं है कि चीनी अधिकारी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों और निजी फर्मों के बीच उच्च-स्तरीय समन्वय को कारगर बनाता है, खासकर तब जब रेलवे, सड़क और पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे जुड़े हुए हों.

इस तरह के स्ट्रॉन्ग पॉइंट चीन को आपूर्ति, रसद और खुफिया केंद्रों का एक नेटवर्क बनाने की क्षमता प्रदान करते हैं.

उल्लेखनीय है कि ग्वादर दो कारणों से बीजिंग के लिए महत्वपूर्ण है. पहला यह कि ग्वादर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के माध्यम से हिंद महासागर के लिए सीधे परिवहन संपर्क स्थापित कर रहा है. क्योंकि ग्वादर निवेश के लिए नहीं बल्कि यह एक रणनीतिक रूप से अहम है. इसलिए चीन को ग्वादार में इंवेस्ट किया फंड वापस लेने की जरूरत नहीं है.

दूसरा कारण यह है कि ग्वादर पश्चिमी चीन को, जो एक ऐसा क्षेत्र है, जहां चीन इस्लामी आंदोलन के प्रति संवेदनशील महसूस करता है. इसको स्थिर करने में मदद करता है.

पाकिस्तान के सुदूर और अस्थिर बलूचिस्तान में 90,000 निवासियों का डस्टी फिशिंग शहर रणनीतिक रूप से अरब सागर पर स्थित है.

इसके अलावा ग्वादार से होर्मुज से केवल 400 किमी दूर है, जिसके माध्यम से चीन 40 प्रतिशत तेल सीधे आयात करता है.

बता दें कि चीन 2002 से ग्वादर का प्रमुख प्रमोटर और निवेशक रहा है.

ग्वादर में वाणिज्यिक गतिविधि के लिए सस्ता और कम यातायात वाला रास्ता है. यहां सड़क परियोजना शुरू करने के लिए 248 अमेरिकी डॉलर का इंवेस्ट किया गया, जिसमें से चीन ने 198 मिलियन अमरीकी डालर का इंवेस्ट किया था.

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का एकान्त सैन्य अड्डा जिबूती में है, जिसे अगस्त 2017 में स्थापित किया गया था.

ग्वादर चीन के लिए समुद्र से बाहर सबसे अहम स्थान बना हुआ है. जिबूती की तुलना में ग्वादर का अलग ही महत्व है.

पढ़ें - सशस्त्र ड्रोन के साथ पाकिस्तान की मारक क्षमता को बढ़ा रहा चीन

ग्वादर में 200 मीटर लंबाई और 50,000 टन डेडवेट के तीन जहाजों के लिए बर्थिंग स्पेस मौजूद है, और बेसिन अधिकतम 295 मीटर लंबाई के जहाज को मोड़ने की अनुमति देता है.

ग्वादर बंदरगाह ज्यादातर फ्री रहती है, 2019 में यहां सिर्फ सात कंटेनर जहाज आए. जुलाई 2019 में तीन क्वे क्रेन पहुंचे, लेकिन बंदरगाह का कोई बेहतर उपयोग नहीं हो सका.

साथ ही इससे जुड़ा 2,281-एकड़ मुक्त क्षेत्र इसके विकास का हिस्सा है. दूसरे चरण के विकास में एक और नौ जहाज बर्थ (चार बर्थ के साथ एक कंटेनर टर्मिनल, एक अनाज टर्मिनल, एक बल्क टर्मिनल और दो तेल टर्मिनल सहित) शामिल होंगे.

यदि सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर दिया गया, तो ग्वादर हिंद महासागर चीन को महाद्वीपीय इलाकों में पहुंच प्रदान करेगा.

इस प्रकार यह मलक्का दुविधा (Malacca Dilemma) का विकल्प प्रदान करेगा, जहां चीन के समुद्री व्यापार को सिंगापुर के निकट जलमार्ग से गुजरना होगा. इसके अलावा चीनी कंपनियों ने पिछले साल ग्वादर में एक हवाई अड्डे का निर्माण शुरू किया है.

पढ़ें - चीन के साथ सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए फिर बैठेंगे अधिकारी

लेखक इसहाक बी कर्दोन, कोनोर एम कैनेडी और पीटर ए डटन का कहना है कि उच्च क्षमता परिवहन बुनियादी ढांचे की कमी ग्वादर की वाणिज्यिक क्षमता को बहुत सीमित करती है.

ग्वादर के लिए भव्य क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए बलूचिस्तान का इलाका अपर्याप्त है.

हालांकि, पाकिस्तान के विकास में चीन की दिलचस्पी की दीर्घकालिक प्रकृति एक व्यवहार्य परिवहन नेटवर्क के अंतिम विकास को खारिज करने के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, 'ग्वादर में चीनी परियोजनाओं के लिए व्यावसायिक संभावनाएं स्थानीय सुरक्षा स्थिति के कारण महत्वपूर्ण हैं.'

यहां आतंकवाद, विशेष रूप से चीनी श्रमिकों और परियोजनाओं के लिए एक बड़ा खतरा हैं. हालांकि इस जोखिम ने पाकिस्तान में चीनी निवेश को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

निसंदेह, बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति चीनी परियोजनाओं और कर्मियों के लिए जोखिम पैदा करती है.

सबसे अहम प्रश्न यह है कि क्या चीन पहले से ही सैन्य उद्देश्यों के लिए ग्वादर का उपयोग कर रहा है?

CMSI ने निश्चित रूप से जवाब दिया, 'ग्वादर पाकिस्तान में एक रणनीतिक स्ट्रोंगपॉइंट है, जो एक दिन उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के आर्थिक, राजनयिक और सैन्य संबंधों के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में काम कर सकता है.

यह पीएलए आधार नहीं है, बल्कि चीन की व्यापक विदेश और घरेलू नीति के उद्देश्यों की सेवा में चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित और अविकसित वाणिज्यिक बहुउद्देशीय बंदरगाह है.

हांगकांग: ग्वादर को लंबे समय से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के संचालन व चीनी बेस बनाने के लिए उपयुक्त स्थल माना जाता है. हालांकि, यह निश्चित रूप से अपरिहार्य नहीं है कि ग्वादर, PLAN का बेस बन जाएगा. इसलिए चीनी दृष्टिकोण से यह स्थान उसके लिए काफी अहम है.

चीन एक रणनीतिक मजबूत अवधारणा का अनुसरण कर रहा है, जिसके तहत रणनीतिक रूप से अहम विदेशी बंदरगाहों में चीनी फर्मों द्वारा संचालित टर्मिनलों और वाणिज्यिक क्षेत्रों का उपयोग किया जाता है.

इसमें कोई शक नहीं है कि चीनी अधिकारी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों और निजी फर्मों के बीच उच्च-स्तरीय समन्वय को कारगर बनाता है, खासकर तब जब रेलवे, सड़क और पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे जुड़े हुए हों.

इस तरह के स्ट्रॉन्ग पॉइंट चीन को आपूर्ति, रसद और खुफिया केंद्रों का एक नेटवर्क बनाने की क्षमता प्रदान करते हैं.

उल्लेखनीय है कि ग्वादर दो कारणों से बीजिंग के लिए महत्वपूर्ण है. पहला यह कि ग्वादर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के माध्यम से हिंद महासागर के लिए सीधे परिवहन संपर्क स्थापित कर रहा है. क्योंकि ग्वादर निवेश के लिए नहीं बल्कि यह एक रणनीतिक रूप से अहम है. इसलिए चीन को ग्वादार में इंवेस्ट किया फंड वापस लेने की जरूरत नहीं है.

दूसरा कारण यह है कि ग्वादर पश्चिमी चीन को, जो एक ऐसा क्षेत्र है, जहां चीन इस्लामी आंदोलन के प्रति संवेदनशील महसूस करता है. इसको स्थिर करने में मदद करता है.

पाकिस्तान के सुदूर और अस्थिर बलूचिस्तान में 90,000 निवासियों का डस्टी फिशिंग शहर रणनीतिक रूप से अरब सागर पर स्थित है.

इसके अलावा ग्वादार से होर्मुज से केवल 400 किमी दूर है, जिसके माध्यम से चीन 40 प्रतिशत तेल सीधे आयात करता है.

बता दें कि चीन 2002 से ग्वादर का प्रमुख प्रमोटर और निवेशक रहा है.

ग्वादर में वाणिज्यिक गतिविधि के लिए सस्ता और कम यातायात वाला रास्ता है. यहां सड़क परियोजना शुरू करने के लिए 248 अमेरिकी डॉलर का इंवेस्ट किया गया, जिसमें से चीन ने 198 मिलियन अमरीकी डालर का इंवेस्ट किया था.

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का एकान्त सैन्य अड्डा जिबूती में है, जिसे अगस्त 2017 में स्थापित किया गया था.

ग्वादर चीन के लिए समुद्र से बाहर सबसे अहम स्थान बना हुआ है. जिबूती की तुलना में ग्वादर का अलग ही महत्व है.

पढ़ें - सशस्त्र ड्रोन के साथ पाकिस्तान की मारक क्षमता को बढ़ा रहा चीन

ग्वादर में 200 मीटर लंबाई और 50,000 टन डेडवेट के तीन जहाजों के लिए बर्थिंग स्पेस मौजूद है, और बेसिन अधिकतम 295 मीटर लंबाई के जहाज को मोड़ने की अनुमति देता है.

ग्वादर बंदरगाह ज्यादातर फ्री रहती है, 2019 में यहां सिर्फ सात कंटेनर जहाज आए. जुलाई 2019 में तीन क्वे क्रेन पहुंचे, लेकिन बंदरगाह का कोई बेहतर उपयोग नहीं हो सका.

साथ ही इससे जुड़ा 2,281-एकड़ मुक्त क्षेत्र इसके विकास का हिस्सा है. दूसरे चरण के विकास में एक और नौ जहाज बर्थ (चार बर्थ के साथ एक कंटेनर टर्मिनल, एक अनाज टर्मिनल, एक बल्क टर्मिनल और दो तेल टर्मिनल सहित) शामिल होंगे.

यदि सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर दिया गया, तो ग्वादर हिंद महासागर चीन को महाद्वीपीय इलाकों में पहुंच प्रदान करेगा.

इस प्रकार यह मलक्का दुविधा (Malacca Dilemma) का विकल्प प्रदान करेगा, जहां चीन के समुद्री व्यापार को सिंगापुर के निकट जलमार्ग से गुजरना होगा. इसके अलावा चीनी कंपनियों ने पिछले साल ग्वादर में एक हवाई अड्डे का निर्माण शुरू किया है.

पढ़ें - चीन के साथ सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए फिर बैठेंगे अधिकारी

लेखक इसहाक बी कर्दोन, कोनोर एम कैनेडी और पीटर ए डटन का कहना है कि उच्च क्षमता परिवहन बुनियादी ढांचे की कमी ग्वादर की वाणिज्यिक क्षमता को बहुत सीमित करती है.

ग्वादर के लिए भव्य क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए बलूचिस्तान का इलाका अपर्याप्त है.

हालांकि, पाकिस्तान के विकास में चीन की दिलचस्पी की दीर्घकालिक प्रकृति एक व्यवहार्य परिवहन नेटवर्क के अंतिम विकास को खारिज करने के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, 'ग्वादर में चीनी परियोजनाओं के लिए व्यावसायिक संभावनाएं स्थानीय सुरक्षा स्थिति के कारण महत्वपूर्ण हैं.'

यहां आतंकवाद, विशेष रूप से चीनी श्रमिकों और परियोजनाओं के लिए एक बड़ा खतरा हैं. हालांकि इस जोखिम ने पाकिस्तान में चीनी निवेश को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

निसंदेह, बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति चीनी परियोजनाओं और कर्मियों के लिए जोखिम पैदा करती है.

सबसे अहम प्रश्न यह है कि क्या चीन पहले से ही सैन्य उद्देश्यों के लिए ग्वादर का उपयोग कर रहा है?

CMSI ने निश्चित रूप से जवाब दिया, 'ग्वादर पाकिस्तान में एक रणनीतिक स्ट्रोंगपॉइंट है, जो एक दिन उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के आर्थिक, राजनयिक और सैन्य संबंधों के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में काम कर सकता है.

यह पीएलए आधार नहीं है, बल्कि चीन की व्यापक विदेश और घरेलू नीति के उद्देश्यों की सेवा में चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित और अविकसित वाणिज्यिक बहुउद्देशीय बंदरगाह है.

Last Updated : Aug 21, 2020, 8:00 AM IST
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