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मलेशिया के पीएम मोहिउद्दीन यासिन से इस्ताफा देने की मांग - सुल्तान अहमद शाह

मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहिउद्दीन यासीन को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए विरोध का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि मलेशिया के सुल्तान उनका कोरोना में आपातकाल घोषित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, इस प्रस्ताव को सत्ता पर कब्जा करने के लिए एक अलोकतांत्रिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

पीएम मुयहिद्दीन यासिन से इस्ताफा देने की मां
पीएम मुयहिद्दीन यासिन से इस्ताफा देने की मां
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Published : Oct 26, 2020, 4:21 PM IST

कुआलालंपुर : मलेशिया के सुल्तान ने रविवार को देश में कोरोना वायरस के फिर से फैल रहे प्रकोप से निपटने के लिए आपातकाल घोषित करने के प्रधानमंत्री मोहिउद्दीन यासीन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद मोहिउद्दीन से इस्तीफा देने की मांग उठने लगी है.

दरअसल, मोहिउद्दीन ने संसद को निलंबित करने समेत आपातकाल लगाने की योजना बनाई थी, जिस पर देश भर में आक्रोश है और आलोचकों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया है.

मलेशिया पैलेस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह की राय है कि फिलहाल उन्हें इस देश में या मलेशिया के किसी हिस्से में आपातकाल घोषित करने की आवश्यकता नहीं लगती.

मोहिउद्दीन ने शुक्रवार को मलेशिया सुल्तान से मुलाकात कर अपने प्रस्ताव पर शाही मंजूरी मांगी थी.

इससे पहले रविवार को सुल्तान अहमद शाह ने शाही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने एक बयान में कहा था कि वह संकट से निपटने की मोहिउद्दीन की क्षमता पर भरोसा करते हैं.

बता दें कि कोरोना के प्रकोप के बाद मलेशिया में कोरोना वायरस के मामले केवल तीन हफ्तों में 26,000 से अधिक हो गए.

पढ़ें- सेशल्स राष्ट्रपति चुनाव : वावेल रामकलावन की जीत, पीएम मोदी ने दी बधाई

दोनों पक्षों के नेताओं के साथ-साथ कानूनी और चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि फिलहाल आपातकालीन घोषणा अनावश्यक है और सार्वजनिक आंदोलन को रोकने और वायरस पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कानून मौजूद हैं.

साथ ही कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि आपातकाल की घोषणा अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है और मलेशिया को तानाशाही में डुबा सकती है. इससे घातक नस्लीय दंगों के दौरान 1969 में राष्ट्रीय स्तर पर लागू आपातकालीन कानून खत्म हो जाएंगे.

कुआलालंपुर : मलेशिया के सुल्तान ने रविवार को देश में कोरोना वायरस के फिर से फैल रहे प्रकोप से निपटने के लिए आपातकाल घोषित करने के प्रधानमंत्री मोहिउद्दीन यासीन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद मोहिउद्दीन से इस्तीफा देने की मांग उठने लगी है.

दरअसल, मोहिउद्दीन ने संसद को निलंबित करने समेत आपातकाल लगाने की योजना बनाई थी, जिस पर देश भर में आक्रोश है और आलोचकों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया है.

मलेशिया पैलेस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह की राय है कि फिलहाल उन्हें इस देश में या मलेशिया के किसी हिस्से में आपातकाल घोषित करने की आवश्यकता नहीं लगती.

मोहिउद्दीन ने शुक्रवार को मलेशिया सुल्तान से मुलाकात कर अपने प्रस्ताव पर शाही मंजूरी मांगी थी.

इससे पहले रविवार को सुल्तान अहमद शाह ने शाही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने एक बयान में कहा था कि वह संकट से निपटने की मोहिउद्दीन की क्षमता पर भरोसा करते हैं.

बता दें कि कोरोना के प्रकोप के बाद मलेशिया में कोरोना वायरस के मामले केवल तीन हफ्तों में 26,000 से अधिक हो गए.

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दोनों पक्षों के नेताओं के साथ-साथ कानूनी और चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि फिलहाल आपातकालीन घोषणा अनावश्यक है और सार्वजनिक आंदोलन को रोकने और वायरस पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कानून मौजूद हैं.

साथ ही कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि आपातकाल की घोषणा अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है और मलेशिया को तानाशाही में डुबा सकती है. इससे घातक नस्लीय दंगों के दौरान 1969 में राष्ट्रीय स्तर पर लागू आपातकालीन कानून खत्म हो जाएंगे.

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