वाशिंगटन : भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिये जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक हुई. पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने परिषद में 'बंद कमरे में विचार-विमर्श' करने के लिए कहा था.
बता दें कि चीन UNSC का स्थायी सदस्य है. इससे पहले भी वह कई मौकों पर भारत के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल करता रहा है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक इस बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन-पाकिस्तान की कोशिश विफल हो गई है. दोनों ने जम्मू-कश्मीर पर किए गए भारत के फैसले को रोकने (censure) की कोशिश की थी.
संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने बताया था कि चीन ने सुरक्षा परिषद की कार्यसूची में शामिल 'भारत पाकिस्तान प्रश्न' पर बंद कमरे में विचार-विमर्श करने के लिए कहा था.
राजनयिक ने कहा, 'यह अनुरोध सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को पाकिस्तान के पत्र के संदर्भ में था.'
परिषद की कार्यावली में कहा गया है 'भारत/पाकिस्तान पर सुरक्षा परिषद का विचार विमर्श (बंद कमरे में) प्रात: दस बजे सूचीबद्ध है.'
उल्लेखनीय है कि बंद कमरे में बैठकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं होता और इसमें बयानों का शब्दश: रिकॉर्ड नहीं रखा जाता. विचार-विमर्श सुरक्षा परिषद के सदस्यों की अनौपचारिक बैठकें होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1964-65 में 'भारत-पाकिस्तान प्रश्न' के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी.
हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की थी.
बता दें की 5 अगस्त को, भारत ने जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष दर्जा हटाते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया, और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.
भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए, पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों को डाउनग्रेड करने का फैसला करने के बाद भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया.
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने का उसका कदम एक आंतरिक मामला था और उसने पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने की सलाह दी है.
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रूस के उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलांस्की ने बैठक कक्ष में प्रवेश करने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मास्को का विचार है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक "द्विपक्षीय मुद्दा" है.
उन्होने बताया की यह मिटींग मामले को समझने के लिए की जा रही है,बंद परामर्श इसी कारण होता है. साथ ही उन्होने कहा की यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है.
आप हमारी स्थिति जानते हैंऔर उसमें कोइ बदलाव नहीं है,आज हमने बंद कमरे में बैठक की और हम सिर्फ राय का आदान-प्रदान करेंगे और देखेंगे कि इस मुद्दे पर हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं.यह एक सामान्य प्रक्रिया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या रूस भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति पर चिंतित था, पोलांस्की ने कहा, "हम बहुत चिंतित हैं. हम इससे बचने की उम्मीद करते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या परिषद एक उपयोगी भूमिका निभा सकती है, उन्होंने जवाब दिया, "हमें पहले चर्चा करने की आवश्यकता है और फिर हम देखेंगे.
एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए रूसी राजनयिक ने कहा,यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और 'कभी भी इस तरह के मुद्दे पर दखल देना बेहतर नहीं होता है.
यह महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा परिषद के चैंबर में हार्स शू मेज पर चर्चा नहीं हो रही है, जो बैठकों का अधिक औपचारिक प्रारूप है.
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कूटनीतिक सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के इरादों को झटका देते हुए, परिषद ने कहा की परामर्श बंद और अनौपचारिक हैं और बैठक के बाद औपचारिक घोषणा की संभावना नहीं है.
विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से यूएनएससी की एक आपात बैठक बुलाकर भारत के द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर चर्चा की मांग की है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान से "अधिकतम संयम" बरतने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को प्रभावित करने वाले कदम उठाने से परहेज करने का आग्रह किया है. उन्होंने शिमला समझौते पर प्रकाश डाला था जो इस मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है.
UNSC को लिखे पत्र में पाकिस्तान ने अनुरोध किया था कि उसके प्रतिनिधि को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के संबंधित प्रावधानों के अनुसार और सुरक्षा परिषद की प्रक्रिया के अनंतिम नियमों के 37 नियमों के अनुसार बैठक में भाग लेने की अनुमति दी जाए
लेकिन पाकिस्तान के इस अनुरोध को स्वीकार नहीं कीया गया.