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फ्लू की तरह कोविड-19 का इलाज संभव नहीं, स्वास्थ्य समस्याओं पर विचार जरूरी : ऑस्ट्रेलिया सरकार - It is not possible to treat Kovid-19 like flu

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि हम अंततः कोविड-19 को फ्लू की तरह मानेंगे. वैक्सीन कई लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने या मरने की आशंका के बिना कुछ संचरण के साथ जीने का अवसर देगी.

प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिस
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिस
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Published : Jul 14, 2021, 10:41 PM IST

पर्थ : ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सामान्य जैसी परिस्थितियों की तरफ लौटने के लिए चार-चरण वाली योजना की घोषणा की. इस योजना के तहत, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, हम कोविड-19 को फ्लू की तरह मानेंगे. वैक्सीन कई लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने या मरने की आशंका के बिना कुछ संचरण के साथ जीने का अवसर देगी.

लेकिन मौत और अस्पताल में भर्ती होना ही केवल कोविड-19 के परिणाम नहीं हैं, जिन्हें हमें रोकने की जरूरत है. नए शोध से पता चला है. संक्रमण के बाद यह बीमारी युवाओं में भी स्वास्थ्य समस्याएं छोड़ जाती है. कोविड-19 हमेशा फ्लू से एक बहुत ही अलग बीमारी है. हमें इसे खसरे की तरह खत्म करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इसे फैलने नहीं देना चाहिए. बहुत से लोग सोचते हैं कि केवल बुजुर्गों को ही कोविड-19 से खतरा है.

ब्रिटेन में दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि केवल 1% बच्चे और 2-3% युवा वयस्कों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इसके विपरीत, 60 वर्ष से अधिक आयु के 10% से अधिक लोगों को अस्पताल जाने की आवश्यकता थी.

कोविड-19 से मरने का जोखिम एक समान पैटर्न का अनुसरण करता है. संक्रमित होने वाले 20,000 बच्चों में से केवल एक की मृत्यु होने की आशंका है. जबकि 60 वर्ष से अधिक उम्र के 100 वयस्कों में से एक की मृत्यु हो सकती है. लेकिन ये आंकड़े पूरी कहानी नहीं बयां करते हैं. बहुत से लोग जिन्हें कोविड-19 हो चुका है और वे बच गए हैं वे अपनी पिछली स्वास्थ्य स्थिति में नहीं लौटे हैं.

कोविड-19 स्थाई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है

ब्रिटेन में पहली लहर के दौरान कोविड-19 के संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि चार से पांच माह के औसत निगरानी समय के दौरान इन रोगियों के एक समान नियंत्रण समूह की तुलना में अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की संभावना चार गुना अधिक थी और मरने की संभावना आठ गुना अधिक थी.

शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों में विशेष रूप से मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी होने की संभावना थी. लोग फ्लू होने के बाद भी जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं. लेकिन हम इसे कोविड-19 के साथ अधिक बार देख रहे हैं, और जटिलताएं अधिक गंभीर हैं. यहां तक ​​​​कि ऐसे लोग जो कोविड-19 की वजह से इतने बीमार नहीं हैं कि उन्हें अस्पताल जाना पड़े, विभिन्न जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं.

सिडनी के एक अध्ययन में पाया गया कि हल्के से मध्यम कोविड-19 वाले एक तिहाई लोगों में थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं कम से कम दो महीने तक बनी रहीं. 10% से अधिक लोगों में फेफड़ों पर असर पड़ा. किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल देने वाली इस परिस्थिति को दीर्घ कोविड का नाम दिया गया. लंबे समय तक चलने वाला कोविड युवाओं को भी प्रभावित करता है.

ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने गणना की है कि कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने वाले सात लोगों में से एक को कम से कम 12 सप्ताह तक चलने वाले लगातार लक्षणों का अनुभव होगा.

ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स का अनुमान है कि वर्तमान में ब्रिटेन में लगभग दस लाख लोग लंबे समय से कोविड के साथ जी रहे हैं, और उनमें से 40% लोग एक वर्ष से अधिक समय से इस स्थिति के साथ जी रहे हैं. दीर्घ कोविड के परिणामस्वरूप दो-तिहाई लोगों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जबकि 18% में वह बहुत सीमित रहा.

बच्चों के कोविड-19 से मरने की संभावना हालांकि बहुत कम है, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान है कि संक्रमित होने वाले 7-8% बच्चे और किशोर दीर्घ कोविड के शिकार हो सकते हैं. ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स का अनुमान है कि यूके में 10,000 बच्चे और 16,000 किशोर कम से कम 12 सप्ताह से दीर्घ कोविड के साथ रह रहे हैं. यह समस्या इतनी आम हो चुकी है कि ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा बच्चों के लिए 15 दीर्घ कोविड क्लीनिक खोल रही है.

ऑस्ट्रेलिया के लिए इसका क्या मतलब है?

कोविड-19 इन्फ्लूएंजा से एक बहुत ही अलग बीमारी है, और हमारी फिर से खोलने की योजना को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह ऑस्ट्रेलिया में पैर जमाने न पाए. अन्यथा इसकी भारी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकानी होगी, क्योंकि इससे बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.

हम टीकाकरण के माध्यम से पहले सामूहिक प्रतिरक्षा तक पहुंचकर सुरक्षित रूप से फिर से खोलने की दिशा में काम कर सकते हैं. डेल्टा वैरिएंट जैसे अधिक संचारणीय स्वरूप के सामने आने के बाद हमें सामूहिक प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिए 90% से अधिक आबादी का टीकाकरण करने की आवश्यकता होगी। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, लेकिन हम बचपन में खसरे के नियमित टीकाकरण के हिस्से के रूप में पहले ऐसा कर चुके हैं. उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, हमें उन बच्चों और किशोरों को टीकाकरण की पेशकश करनी होगी, जिन्हें लंबे समय तक कोविड से सुरक्षा की भी आवश्यकता होती है।

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि, वयस्कों का टीकाकरण सामूहिक प्रतिरक्षा तक पहुँचने के लिए पर्याप्त हो सकता है. लेकिन इज़राइल ने हमें दिखाया है कि ऐसा नहीं है. स्कूलों से जुड़े नए प्रकोपों ​​​​ने देश में मास्क की अनिवार्यता को वापस लाने और किशोरों में टीकाकरण को बढ़ाने के लिए मजबूर किया है.

हमें और क्या करने की ज़रूरत है?

ऑस्ट्रेलिया में सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने में समय लगेगा. इसलिए जब तक हम काम पूरा नहीं कर लेते, तब तक हमें एक मजबूत होम क्वारंटाइन प्रणाली रखने की आवश्यकता होगी. हमें विदेशों में भी स्थिति को करीब से देखने की जरूरत होगी और उभरते हुए वेरिएंट के जवाब में तीसरी बूस्टर खुराक शुरू करने के लिए तैयार रहना होगा. हमें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्राप्त करने वाले लोगों को फाइजर वैक्सीन की तीसरी बूस्टर खुराक देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए, जब आपूर्ति उपलब्ध हो.

जबकि एस्ट्राजेनेका और फाइजर दोनों टीके गंभीर बीमारी को रोकने में 90% से अधिक प्रभावी हैं, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन समग्र रूप से संक्रमण को रोकने में थोड़ा कम प्रभावी है. हम नहीं जानते कि दोनों में से कोई भी टीका लंबे समय तक चलने वाले कोविड को कितनी अच्छी तरह रोकता है, लेकिन फिर से, सबसे अच्छा बचाव समुदाय में उच्च स्तर का टीकाकरण होगा. अनिवार्य रूप से, ऑस्ट्रेलिया भविष्य में कोविड-19 के प्रकोपों का अनुभव करेगा, जैसा कि हम कभी-कभी खसरे का करते हैं. लेकिन हमें इसके संचरण को कम से कम रखने पर ध्यान देना होगा.

कोरोनावायरस एक हवा से फैलने वाल वायरस है. जो इन्फ्लूएंजा की तुलना में अधिक संक्रामक है और अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है. यह फ्लू जैसी बीमारी नहीं है और कभी होगी भी नहीं.

इसे भी पढ़े-भारतीय मूल के दो डॉक्टर अमेरिका में अहम पदों पर हुए नियुक्त, राष्ट्रपति बाइडेन ने किया नामित


(पीटीआई-भाषा)

पर्थ : ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सामान्य जैसी परिस्थितियों की तरफ लौटने के लिए चार-चरण वाली योजना की घोषणा की. इस योजना के तहत, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, हम कोविड-19 को फ्लू की तरह मानेंगे. वैक्सीन कई लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने या मरने की आशंका के बिना कुछ संचरण के साथ जीने का अवसर देगी.

लेकिन मौत और अस्पताल में भर्ती होना ही केवल कोविड-19 के परिणाम नहीं हैं, जिन्हें हमें रोकने की जरूरत है. नए शोध से पता चला है. संक्रमण के बाद यह बीमारी युवाओं में भी स्वास्थ्य समस्याएं छोड़ जाती है. कोविड-19 हमेशा फ्लू से एक बहुत ही अलग बीमारी है. हमें इसे खसरे की तरह खत्म करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इसे फैलने नहीं देना चाहिए. बहुत से लोग सोचते हैं कि केवल बुजुर्गों को ही कोविड-19 से खतरा है.

ब्रिटेन में दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि केवल 1% बच्चे और 2-3% युवा वयस्कों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इसके विपरीत, 60 वर्ष से अधिक आयु के 10% से अधिक लोगों को अस्पताल जाने की आवश्यकता थी.

कोविड-19 से मरने का जोखिम एक समान पैटर्न का अनुसरण करता है. संक्रमित होने वाले 20,000 बच्चों में से केवल एक की मृत्यु होने की आशंका है. जबकि 60 वर्ष से अधिक उम्र के 100 वयस्कों में से एक की मृत्यु हो सकती है. लेकिन ये आंकड़े पूरी कहानी नहीं बयां करते हैं. बहुत से लोग जिन्हें कोविड-19 हो चुका है और वे बच गए हैं वे अपनी पिछली स्वास्थ्य स्थिति में नहीं लौटे हैं.

कोविड-19 स्थाई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है

ब्रिटेन में पहली लहर के दौरान कोविड-19 के संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि चार से पांच माह के औसत निगरानी समय के दौरान इन रोगियों के एक समान नियंत्रण समूह की तुलना में अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की संभावना चार गुना अधिक थी और मरने की संभावना आठ गुना अधिक थी.

शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों में विशेष रूप से मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी होने की संभावना थी. लोग फ्लू होने के बाद भी जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं. लेकिन हम इसे कोविड-19 के साथ अधिक बार देख रहे हैं, और जटिलताएं अधिक गंभीर हैं. यहां तक ​​​​कि ऐसे लोग जो कोविड-19 की वजह से इतने बीमार नहीं हैं कि उन्हें अस्पताल जाना पड़े, विभिन्न जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं.

सिडनी के एक अध्ययन में पाया गया कि हल्के से मध्यम कोविड-19 वाले एक तिहाई लोगों में थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं कम से कम दो महीने तक बनी रहीं. 10% से अधिक लोगों में फेफड़ों पर असर पड़ा. किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल देने वाली इस परिस्थिति को दीर्घ कोविड का नाम दिया गया. लंबे समय तक चलने वाला कोविड युवाओं को भी प्रभावित करता है.

ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने गणना की है कि कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने वाले सात लोगों में से एक को कम से कम 12 सप्ताह तक चलने वाले लगातार लक्षणों का अनुभव होगा.

ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स का अनुमान है कि वर्तमान में ब्रिटेन में लगभग दस लाख लोग लंबे समय से कोविड के साथ जी रहे हैं, और उनमें से 40% लोग एक वर्ष से अधिक समय से इस स्थिति के साथ जी रहे हैं. दीर्घ कोविड के परिणामस्वरूप दो-तिहाई लोगों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जबकि 18% में वह बहुत सीमित रहा.

बच्चों के कोविड-19 से मरने की संभावना हालांकि बहुत कम है, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान है कि संक्रमित होने वाले 7-8% बच्चे और किशोर दीर्घ कोविड के शिकार हो सकते हैं. ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स का अनुमान है कि यूके में 10,000 बच्चे और 16,000 किशोर कम से कम 12 सप्ताह से दीर्घ कोविड के साथ रह रहे हैं. यह समस्या इतनी आम हो चुकी है कि ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा बच्चों के लिए 15 दीर्घ कोविड क्लीनिक खोल रही है.

ऑस्ट्रेलिया के लिए इसका क्या मतलब है?

कोविड-19 इन्फ्लूएंजा से एक बहुत ही अलग बीमारी है, और हमारी फिर से खोलने की योजना को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह ऑस्ट्रेलिया में पैर जमाने न पाए. अन्यथा इसकी भारी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकानी होगी, क्योंकि इससे बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.

हम टीकाकरण के माध्यम से पहले सामूहिक प्रतिरक्षा तक पहुंचकर सुरक्षित रूप से फिर से खोलने की दिशा में काम कर सकते हैं. डेल्टा वैरिएंट जैसे अधिक संचारणीय स्वरूप के सामने आने के बाद हमें सामूहिक प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिए 90% से अधिक आबादी का टीकाकरण करने की आवश्यकता होगी। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, लेकिन हम बचपन में खसरे के नियमित टीकाकरण के हिस्से के रूप में पहले ऐसा कर चुके हैं. उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, हमें उन बच्चों और किशोरों को टीकाकरण की पेशकश करनी होगी, जिन्हें लंबे समय तक कोविड से सुरक्षा की भी आवश्यकता होती है।

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि, वयस्कों का टीकाकरण सामूहिक प्रतिरक्षा तक पहुँचने के लिए पर्याप्त हो सकता है. लेकिन इज़राइल ने हमें दिखाया है कि ऐसा नहीं है. स्कूलों से जुड़े नए प्रकोपों ​​​​ने देश में मास्क की अनिवार्यता को वापस लाने और किशोरों में टीकाकरण को बढ़ाने के लिए मजबूर किया है.

हमें और क्या करने की ज़रूरत है?

ऑस्ट्रेलिया में सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने में समय लगेगा. इसलिए जब तक हम काम पूरा नहीं कर लेते, तब तक हमें एक मजबूत होम क्वारंटाइन प्रणाली रखने की आवश्यकता होगी. हमें विदेशों में भी स्थिति को करीब से देखने की जरूरत होगी और उभरते हुए वेरिएंट के जवाब में तीसरी बूस्टर खुराक शुरू करने के लिए तैयार रहना होगा. हमें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्राप्त करने वाले लोगों को फाइजर वैक्सीन की तीसरी बूस्टर खुराक देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए, जब आपूर्ति उपलब्ध हो.

जबकि एस्ट्राजेनेका और फाइजर दोनों टीके गंभीर बीमारी को रोकने में 90% से अधिक प्रभावी हैं, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन समग्र रूप से संक्रमण को रोकने में थोड़ा कम प्रभावी है. हम नहीं जानते कि दोनों में से कोई भी टीका लंबे समय तक चलने वाले कोविड को कितनी अच्छी तरह रोकता है, लेकिन फिर से, सबसे अच्छा बचाव समुदाय में उच्च स्तर का टीकाकरण होगा. अनिवार्य रूप से, ऑस्ट्रेलिया भविष्य में कोविड-19 के प्रकोपों का अनुभव करेगा, जैसा कि हम कभी-कभी खसरे का करते हैं. लेकिन हमें इसके संचरण को कम से कम रखने पर ध्यान देना होगा.

कोरोनावायरस एक हवा से फैलने वाल वायरस है. जो इन्फ्लूएंजा की तुलना में अधिक संक्रामक है और अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है. यह फ्लू जैसी बीमारी नहीं है और कभी होगी भी नहीं.

इसे भी पढ़े-भारतीय मूल के दो डॉक्टर अमेरिका में अहम पदों पर हुए नियुक्त, राष्ट्रपति बाइडेन ने किया नामित


(पीटीआई-भाषा)

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