इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर में हालात को लेकर इस्लामिक समन्वय संगठन (ओआईसी) को सतर्क करते हुए कहा है कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आक्रामक बयानबाजी तेज कर दी है. वह सैन्य आक्रमण की धमकी भी दे रहा है. कुरैशी ने सोमवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान ओआईसी के संपर्क समूह से बात करते हुए यह टिप्पणी की.
'मानवाधिकारों की स्थिति खराब'
शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया कि भारतीय कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति खराब है. ओआईसी की बैठक के बारे में पाकिस्तान विदेश कार्यालय द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार संपर्क समूह के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों की समीक्षा की. इसमें मानव अधिकार और मानवीय स्थिति और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ तनाव शामिल हैं.
'जनसांख्यिकीय परिवर्तन कर रहा भारत'
बैठक में विदेश मंत्री के संदेश को पढ़ते हुए पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने कहा कि भारत में आरएसएस-भाजपा शासन कश्मीर में कब्जे वाली भूमि में तथाकथित अंतिम समाधान को लागू करने का दावा कर जनसांख्यिकीय परिवर्तन कर रहा है. मार्च के बाद से 1.6 मिलियन अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने का मतलब मुस्लिम बहुमत से भारत के कब्जे वाले कश्मीर की जनसांख्यिकी को हिंदू बहुमत वाले क्षेत्र में बदलना है. कुरैशी ने इस बात का भी रोना रोया कि भारत उर्दू भाषा की आधिकारिक स्थिति को एक नए कानून के माध्यम से बदल रहा है.
'झूठा अभियान चला सकता है भारत'
पाक विदेश मंत्री ने कश्मीर में सामान्य स्थिति के भारत के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पिछले महीने जारी मानवाधिकार परिषद ने भी माना है कि कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में गिरावट आई है. नकली मुठभेड़ों और तलाशी अभियान में सैकड़ों युवा कश्मीरियों को मार डाला गया. कुरैशी ने कहा कि भारत के आगे बढ़ने का एक ठोस खतरा है. वह क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. पाकिस्तान के खिलाफ आक्रमण करने के लिए भारत झूठा अभियान चला सकता है.
'मानवाधिकारों के उल्लंघन की हो जांच'
कुरैशी ने कहा कि भारत को कश्मीर से सैन्य घेराबंदी को तुरंत हटा लेना चाहिए. राजनीतिक नेताओं की रिहाई और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए कश्मीरियों को मुक्त करने के साथ ही संचार, आंदोलन और शांतिपूर्ण विधानसभा पर प्रतिबंधों को हटाते हुए 5 अगस्त 2019 के सभी अवैध कार्यों को रोकना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मिशनों और मीडिया को कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच की अनुमति देनी चाहिए.