नई दिल्लीः भारत और मंगोलिया ने आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया है. भारत और मंगोलिया ने 20 सितबंर को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया और आतंकवादियों की पनाहगाहों को खत्म करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने का आह्वान किया है.
मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बटुल्गा और उनके भारतीय समकक्ष रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता के दौरान आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संकल्प लिया गया है.
वार्ता के दौरान, दोनों देशों ने स्वीकार किया कि द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को और मजबूत करने के लिए काफी क्षमताएं हैं. खासकर, कृषि वस्तुओं, डेयरी उत्पादों और पशुपालन, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी, दवा और पर्यटन के क्षेत्र में अधिक अवसर हैं.
मंगोलियाई राष्ट्रपति कोविंद, मोदी और उपराष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू के साथ बैठकों के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि मंगोलियाई पक्ष ने भारत सरकार द्वारा मंगोलियन रिफाइनरी परियोजना के कार्यान्वयन में उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की.
मंगोलियाई नेता की यात्रा के दौरान, संस्कृति, आपदा प्रबंधन एवं आपदा के खतरे को कम करने, शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष का उपयोग करने, पशु स्वास्थ्य तथा डेयरी से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि बातचीत के दौरान मंगोलिया के पक्ष ने अंतरराष्ट्रीय सौर उर्जा गठबंधन में शामिल होने के अपने निर्णय के बारे में जानकारी दी. इससे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों को मजबूती मिली है.
इसके अलावा मंगोलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया और मंगोलिया ने कम अवधि की यात्रा करने वाले भारत के यात्रियों के लिए आगमन पर वीजा देने की योजना का ऐलान किया है.
वार्ता के दौरान, दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विचारों की समानता का उल्लेख किया और पुष्टि की कि वे क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों में एक दूसरे के लिए समन्वय और समर्थन की परंपरा को जारी रखेंगे.
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संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र तथा उसके अहम निकायों में चल रहे सुधार के प्रति अपने समर्थन को दोहराया, जिसका मकसद संस्थान को और लोकतांत्रिक, पारदर्शी तथा कार्यकुशल बनाना है.
चरमपंथ और आतंकवाद को समूची मानवता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए दोनों देशों ने सीमा-पार आतंकवाद समेत सभी तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा की और दोनों देशों ने पुष्टि की है कि आतंकवाद को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता है और इसे किसी भी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.