न्यूयार्क/ वाशिंगटन : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि 9/11 हमलों के बाद इस्लामोफोबिया (इस्लाम का भय) चिंताजनक ढंग से बढ़ा है और यह विभाजन पैदा कर रहा है जहां हिजाब पहनने को कुछ देशों ने समुदाय के खिलाफ 'हथियार' बना लिया है.
खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में जलवायु परिवर्तन, धन शोधन एवं इस्लामोफोबिया सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.
खान ने कहा कि पश्चिमी देशों में अरबों मुस्लिम अल्पसंख्यकों की तरह रह रहे हैं तथा 9/11 के हमले के बाद से इस्लामोफोबिया चिंताजनक गति से बढ़ा है.
इस्लामोफोबिया विभाजन पैदा कर रहा
उन्होंने कहा, 'इस्लामोफोबिया विभाजन पैदा कर रहा है, हिजाब एक हथियार बन गया है, एक महिला अपने वस्त्र निकाल सकती है किंतु वह अधिक वस्त्र नहीं पहन सकती. यह 9/11 के बाद हुआ है तथा यह इसलिए शुरू हुआ क्योंकि कुछ पश्चिमी देशों ने इस्लाम की तुलना आतंकवाद से की है.'
खान ने कहा कि 'कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद' शब्द के प्रयोग पर सवाल उठाया और कहा कि इस्लाम केवल एक है.
उन्होंने कहा, 'कट्टरपंथी इस्लाम जैसी कोई चीज नहीं है.'
साथ ही उन्होंने कहा कि हर धर्म में कट्टरपंथी कृत्य करने वाले लोग होते हैं.
खान ने कहा, 'प्रत्येक धर्म का आधार करूणा एवं न्याय है तथा वही हमें जानवरों की दुनिया से अलग करते हैं.'
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कट्टरपंथी इस्लामी पर चर्चा की
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने संरा (संयुक्त राष्ट्र) से कहा कि अन्य धर्मों के प्रति भी समझ होनी चाहिए किंतु उन्हें वैश्विक आबादी के बीच विभाजन पैदा करने के रूप में देखा जा रहा है.
खान ने कहा कि नेताओं द्वारा कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के प्रयोग ने इस्लाम के प्रति भय पैदा किया है और मुस्लिमों को तकलीफ दी है.
उन्होंने पूछा, 'यह (शब्द) क्या संदेश देता है? न्यूयॉर्क का कोई व्यक्ति नरमपंथी मुसलमानों एवं कट्टर मुस्लिमों में कैसे भेद करेगा?'
उन्होंने कहा, 'यूरोपीय देशों में यह मुस्लिमों को हाशिए पर डाल रहा है और इससे कट्टरपंथ बढ़ रहा है. कुछ आतंकवादी वंचित मुस्लिम समुदायों से हैं. हम मुस्लिम नेताओं ने इस समस्या का समाधान नहीं किया. सभी मुस्लिम नेता नरमपंथी बन गए और हमारी सरकार ने ‘प्रबुद्ध नरमपंथ’ की कहावत गढ़ दी.'
एक इस्लामी टीवी चैनल शुरू करेगा पाकिस्तान
खान की ये टिप्पणियां ऐसे वक्त में आईं हैं जब इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया ने संयुक्त रूप से अंग्रेजी भाषा में एक इस्लामी टीवी चैनल शुरू करने का फैसला किया है, जिसके जरिए इस्लाम के भय के कारण पैदा हो रही चुनौतियों का सामना किया जाएगा और गलत धारणाओं को दूर किया जाएगा.
खान ने ट्वीट किया था, 'राष्ट्रपति एर्दोआन, प्रधानमंत्री महातिर और मैंने आज एक बैठक की जिसमें हमने तय किया कि हम तीन देश संयुक्त रूप से अंग्रेजी भाषा में एक चैनल शुरू करेंगे जो इस्लाम के प्रति भय की चुनौतियों का सामना करने और हमारे महान धर्म- इस्लाम के खिलाफ गलत धारणों को सही करने का काम करेगा.'
उन्होंने कहा, 'गलतफहमियां जो लोगों को मुस्लिमों के खिलाफ एकजुट करती हैं उन्हें दूर किया जाएगा, ईशनिंदा के मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य में समझाया जाएगा, हमारे अपने लोगों और दुनिया को शिक्षित/ सूचित करने के लिए फिल्मों एवं श्रृंखलाओं का निर्माण किया जाएगा, मुस्लिमों (से जुड़े विषयों) को मीडिया में विशेष स्थान दिया जाएगा.'
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जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर इमरान खान
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर खान ने कहा कि इस पर कई नेता बात करते हैं लेकिन इसमें गंभीरता का अभाव है.
उन्होंने कहा, 'हम स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं. हमारे पास कई विचार हैं लेकिन वित्तपोषण के बिना वे महज भ्रम हैं.'
खान ने कहा, 'हमारा देश उन शीर्ष 10 देशों में से है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित है. हमें 80 प्रतिशत जल हिमखंड से मिलता है. ये हिमखंड तेज गति से पिघल रहे हैं. ये ग्लेशियर भारत में हिमालय, कराकोरम और हिंदू कुश में भी हैं. मुझे डर है कि अगर कुछ नहीं किया गया तो लोगों को बड़ी आपदा झेलनी पड़ सकती है.'
ग्लोबल वार्मिंग पर अपने प्रयासों को रेखांकित करते हुए खान ने कहा कि जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी तो उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा में एक अरब पौधे लगाए थे और 10 अरब और पौधे लगाने की योजना है.
खान ने कहा कि एक देश कुछ नहीं कर सकता, इसके लिए पूरे विश्व को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा. साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से उन देशों पर दबाव बनाने को कहा जो ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन अधिक करते हैं.
भारत को कश्मीर में 'अमानवीय कर्फ्यू' हटाना चाहिए
इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में कश्मीर मुद्दे की राग छेड़ते हुए मांग की कि भारत को कश्मीर में 'अमानवीय कर्फ्यू' हटाना चाहिए एवं सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में करीब 50 मिनट के भाषण में उन्होंने आधा समय कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की.
खान ने चेतावनी दी कि यदि परमाणु शक्ति संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच टकराव हुआ तो उसके नतीजे उनकी सीमाओं से परे जाएंगे.
खान संरा महासभा में अपना भाषण निर्धारित समय से करीब 15 मिनट अधिक समय तक दिया.
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इमरान खान का युद्ध राग
बता दें, खान का युद्ध राग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उसी मंच से कुछ समय पहले दिये गये शांति संदेश के ठीक उलट था.
मोदी ने कहा था कि भारत एक देश है जिसने विश्व को 'युद्ध नहीं बुद्ध' दिए.
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का उस समय से अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास कर रहा है, जब भारत ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था.
हालांकि इससे संबंधित अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने को भारत ने अपना 'आंतरिक मामला' बताया है.
भारत के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान ने कठोर प्रतिक्रिया दिखाते हुए भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कमतर कर दिया और भारतीय उच्चायुक्त को अपने देश से निष्कासित कर दिया.
भारत के अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का उल्लेख
खान ने संरा में अपने संबोधन में भारत के अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का उल्लेख किया और संचार माध्यमों पर पाबंदी लगाने के लिए भारत सरकार की आलोचना की.
उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करके संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव, शिमला समझौते और स्वयं अपने संविधान का उल्लंघन किया है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, 'विश्व समुदाय क्या कर सकता है. क्या वह 1.2 अरब की आबादी का तुष्टिकरण करेगा अथवा वह न्याय एवं मानवता के लिए खड़ा होगा.'
उन्होंने कहा, 'यह कदम उठाने का समय है. पहला कदम होना चाहिए कि भारत को कश्मीर में अमानवीय कर्फ्यू हटाना चाहिए. उसे सभी राजनीतिक बंदियों को मुक्त करना चाहिए.'
उन्होंने यह भी कहा कि विश्व समुदाय को कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार प्रदान करना चाहिए.
भारत द्वारा कर्फ्यू हटाये जाने के बाद कश्मीर में स्थिति बिगड़ने का दावा करते हुए खान ने कहा, 'आप सर्वोत्तम की उम्मीद करिए किंतु सबसे बुरे के लिए तैयार रहिए.'
उन्होंने कहा कि जब कर्फ्यू हटेगा तो कश्मीर में प्रतिक्रिया होगी और भारत पाकिस्तान पर दोषारोपण करेगा.
उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले और उसके बाद उत्पन्न हुई स्थिति का परोक्ष संकेत देते हुए कहा, 'दो परमाणु संपन्न देशों के बीच आमने सामने की तनातनी होगी, जैसा कि हमने फरवरी में देखा.'
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परमाणु हथियार संपन्न वाले देश में लड़ाई हो सकती है
खान ने कहा, 'यदि दोनों देशों के बीच पारंपरिक युद्ध हुआ तो कुछ भी हो सकता है. एक देश, जो अपने पड़ोसी से सात गुना छोटा है, उसके समक्ष यह परिस्थिति है..या तो आप आत्मसमर्पण कर दे अथवा आप अपनी स्वतंत्रता के लिए मृत्युपर्यन्त लड़ता रहे.'
उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में उनका देश लड़ेगा, और जब एक परमाणु हथियार क्षमता संपन्न देश अंत तक लड़ता है तो इसके नतीजें सीमाओं से परे चले जाते हैं. इसके विश्व के लिए नतीजें होंगे. मैं आपको आगाह कर रहा हूं, यह कोई खतरा नहीं है.
उन्होंने कहा, 'हम इस दिशा में आगे बढ़ें, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की एक जिम्मेदारी है. इसी कारण से संयुक्त 1945 में अस्तित्व में आया था. उम्मीद की जाती है कि आपको इसे होने से रोकना है.'
खान ने कहा कि वह जब पिछले साल सत्ता में आये तो उन्होंने तय किया कि वह पड़ोसियों के साथ मतभेद दूर करेंगे और क्षेत्र में शांति लायेंगे.
उन्होंने कहा, 'हम जब सत्ता में आये तो हमने निर्णय किया कि हम (आतंकी समूहों को)ध्वस्त करेंगे. मैं जानता हूं कि भारत यह आरोप लगाता रहा है कि ऐसे समूह वहां हैं. मैं संरा पर्यवेक्षकों का स्वागत करता हूं कि वे स्वयं आकर देखें.'
उन्होंने इस वैश्विक संगठन से उन कदमों पर विचार करने के लिए कहा जो पाकिस्तान में आतंकी समूहों के खिलाफ उठाये गये हैं.
उन्होंने कहा, 'भारत में मेरे मित्र हैं और मैं भारत जाना पसंद करता हूं. लिहाजा जब मेरी पार्टी सत्ता में आयी तो हमने भारत से संपर्क साधा और (कहा कि) हमें व्यापार के जरिये मतभेद दूर करने चाहिए.'
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश इस दिशा में प्रगति नहीं हुई.
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री इस संगठन के आजीवन सदस्य हैं.