इस्लामाबाद : पाकिस्तान में स्थानीय और छोटे व्यवसायियों को बड़ा झटका लगा है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीनी कंपनियों को पाकिस्तान में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को स्थापित करने की अनुमति देने का फैसला किया है.
प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऊर्जा, कृषि, वित्तीय क्षेत्र और संचार सहित अन्य क्षेत्रों में व्यावसायिक हितों को देखते हुए 10 प्रमुख चीनी कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान कहा कि चीनी व्यापारिक घराने पाकिस्तान में अपने क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करें.
प्रधानमंत्री ने चीनी निवेशकों को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार चीनी निवेशकों को हरसंभव सुविधा प्रदान करने के लिए प्राथमिकता देगी.
यह निर्णय तब लिया गया है जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कोरोना वायरस महामारी की वजह से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की कमर और टूट गई है. पाकिस्तान अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कर्ज तले दबा हुआ है और इससे उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है.
अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और स्थानीय लोगों के लिए अधिक नौकरियां पैदा करने के बजाय पाकिस्तानी सरकार मौद्रिक और सैन्य समर्थन के लिए अपने करीबी सहयोगी चीन पर भरोसा कर रही है.
बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना, चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन, चाइना गेझोआबा, चाइना थ्री गोरजेस साउथ एशिया इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड, इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना मशीनरी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन और चाइना मोबाइल पाकिस्तान लिमिटेड और चाइना रेलवे ग्रुप के प्रतिनिधि शामिल थे. चीनी राजदूत याओ जिंग और हायर कंपनी के सीईओ जावेद अफरीदी भी मौजूद थे.
पाकिस्तान के संचार मंत्री मुराद सईद, उद्योग मंत्री हम्माद अजहर, योजना मंत्री असद उमर, वित्त सलाहकार डॉ. अब्दुल हफीज शेख, वाणिज्य सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाऊद, निवेश बोर्ड के अध्यक्ष आतिफ आर. बुखारी, सीपीईसी प्राधिकरण के अध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा भी बैठक में शामिल हुए.
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हाल ही में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चीन का दौरा किया था जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर चर्चा की.
इस यात्रा को इस्लामाबाद द्वारा बीजिंग के समर्थन के लिए एक प्रयास के रूप में देखा गया था ताकि पाकिस्तान को एफएटीएफ की बैठक में ब्लैक लिस्टेड होने से रोका जा सके, जो अक्टूबर में होने वाली है. बैठक में पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी, जो वर्तमान में आतंकी फंडिंग पर पर्याप्त अंकुश न लगाने के लिए ग्रे लिस्ट में है.