इस्लामाबादः पाक स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है. याचिका में हाफिज सईद ने खुद के खिलाफ लगे आतंक के वित्त पोषण के आरोपों को झूठा करार दिया है.
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में हाफिज सईद ने अपने खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) को निरस्त करने की अपील की है. सईद ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा या ऐसे किसी भी प्रतिबंधित संगठन से उसका कोई रिश्ता नहीं है.
पंजाब (पाकिस्तान) पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने बुधवार को हाफिज सईद समेत जेयूडी के 13 नेताओं के खिलाफ 23 प्राथमिकियां दर्ज की. पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में आतंकवाद को धन मुहैया करने के आरोप में ये प्राथमिकियां दर्ज की गई. इनमें सईद का साला अब्दुल रहमान मक्की भी शामिल है.
इन संगठनों पर हुई कार्रवाई
हाफिज सईद पर आरोप है कि उसके आतंकी संगठन दान की आड़ में आतंकियों का वित्त पोषण करने में संलिप्त हैं. सईद के कुल पांच संगठनों पर आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत लाहौर, गुर्जनवाला और मुल्तान में मुकदमा दर्ज किया गया है. इन संगठनों में दवातुल इरशाद ट्रस्ट, मोआज बिन जबल ट्रस्ट, अल अन्फाल ट्रस्ट, अल मदीना फाउंडेशन ट्रस्ट और अलह्मद ट्रस्ट शामिल हैं.
भारत ने पाक की कार्रवाई को खोखला बताया
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीते 4 जुलाई को जारी एक बयान में कहा कि पाकिस्तान की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि वह उसी की जमीन पर पल रहे आतंकियों और उनके संगठनों पर कठोर कार्रवाई करे और उसे तथ्यों के साथ प्रस्तुत करे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की वाहवाही लूटने के लिए कार्रवाई करने से कुछ नहीं होगा.
गौरतलब है कि जमात-उद-दावा लश्कर ए तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है, जो 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार है. अमेरिका ने लश्कर को जून 2014 में विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था. हाफिज सईद लश्कर-ए-तैयबा का भी प्रमुख माना जाता है.