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'बुचर ऑफ बीजिंग ' के नाम से मशहूर चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग का निधन - butcher of biejing

'बुचर ऑफ बीजिंग ' के नाम से मशहूर चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग का अज्ञात बीमारी से निधन हो गया. वो 90 वर्ष के थे.

ली पेंग ( फाइल फोटो)
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Published : Jul 23, 2019, 8:44 PM IST

बीजिंग: थ्यानमेन चौक पर दमनकारी कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर 'बुचर ऑफ बीजिंग '(यानी बीजिंग का हत्यारा) नाम से चर्चित चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग का निधन हो गया.

सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमिटी के पूर्व अध्यक्ष ली का सोमवार को अज्ञात बीमारी से निधन हो गया. वो 90 वर्ष के थे.

बता दें कि ली चार जून, 1989 को राजधानी में लोकतंत्र समर्थक व्यापक प्रदर्शन पर नृशंस कार्रवाई को लेकर ली दुनियाभर में कुख्यात हो गए थे.

वो एक दशक से अधिक समय तक कम्युनिस्ट शासन के शीर्ष पर रहे.उन्हें जीवन के आखिरी क्षण तक लोग दमन के प्रतीक के रूप में नफरत की नजर से देखते रहे.

दरअसल, चार जून, 1989 जब विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों की अपार भीड़ बदलाव की मांग करते हुए हफ्तों तक थ्यानमेन चौक पर डाला तो ली ने 20 मई, 1989 को मार्शल लॉ की घोषणा कर दी.

दो हफ्ते बाद 3-4 जून की दरम्यानी रात को सेना ने प्रदर्शन को हिंसा से रोका. इस दौरान चीन के सैंकड़ों नागरिक मारे गए. कुछ अनुमानों के अनुसार 1000 से अधिक लोगों की जान गई.

गौरतलब है कि सेना को भेजने का फैसला सामूहिक रूप से किया गया था लेकिन ली को इस खूनी कार्रवाई के लिए व्यापक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया.

पढ़ें- बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने, टेरीजा मे की लेंगे जगह

हालांकि, ली ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के फैसले को जरूरी कदम बताते हुए बार-बार बचाव किया.

उन्होंने 1994 में ऑस्ट्रिया की यात्रा के दौरान कहा था, 'बिना इन कदमों के चीन के सम्मुख पूर्वी सोवियत संघ या पूर्वी यूरोप से भी भयावह स्थिति खड़ी हो जाती.'

बीजिंग: थ्यानमेन चौक पर दमनकारी कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर 'बुचर ऑफ बीजिंग '(यानी बीजिंग का हत्यारा) नाम से चर्चित चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग का निधन हो गया.

सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमिटी के पूर्व अध्यक्ष ली का सोमवार को अज्ञात बीमारी से निधन हो गया. वो 90 वर्ष के थे.

बता दें कि ली चार जून, 1989 को राजधानी में लोकतंत्र समर्थक व्यापक प्रदर्शन पर नृशंस कार्रवाई को लेकर ली दुनियाभर में कुख्यात हो गए थे.

वो एक दशक से अधिक समय तक कम्युनिस्ट शासन के शीर्ष पर रहे.उन्हें जीवन के आखिरी क्षण तक लोग दमन के प्रतीक के रूप में नफरत की नजर से देखते रहे.

दरअसल, चार जून, 1989 जब विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों की अपार भीड़ बदलाव की मांग करते हुए हफ्तों तक थ्यानमेन चौक पर डाला तो ली ने 20 मई, 1989 को मार्शल लॉ की घोषणा कर दी.

दो हफ्ते बाद 3-4 जून की दरम्यानी रात को सेना ने प्रदर्शन को हिंसा से रोका. इस दौरान चीन के सैंकड़ों नागरिक मारे गए. कुछ अनुमानों के अनुसार 1000 से अधिक लोगों की जान गई.

गौरतलब है कि सेना को भेजने का फैसला सामूहिक रूप से किया गया था लेकिन ली को इस खूनी कार्रवाई के लिए व्यापक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया.

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हालांकि, ली ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के फैसले को जरूरी कदम बताते हुए बार-बार बचाव किया.

उन्होंने 1994 में ऑस्ट्रिया की यात्रा के दौरान कहा था, 'बिना इन कदमों के चीन के सम्मुख पूर्वी सोवियत संघ या पूर्वी यूरोप से भी भयावह स्थिति खड़ी हो जाती.'

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