बैंकॉक : देश में पूरी तरह से राजतंत्र खत्म होने की सालगिरह पर थाईलैंड की राजधानी में बृहस्पतिवार को लोकतंत्र समर्थक सड़कों पर उतरे और उन्होंने सरकार के सत्ता छोड़ने, संविधान में संशोधन करने और शासन की अधिक जवाबदेही तय करने की मांग दोहराई.
गौरतलब है कि 24 जून 1932 को, प्रगतिशील सैन्य अधिकारियों और सिविल सेवकों के एक समूह ने संवैधानिक शासन और संसदीय लोकतंत्र को सत्ता सौंपने घोषणा की थी, जिससे थाईलैंड में पूर्ण राजतंत्र समाप्त हुआ था. इस दिन पर पिछले कुछ वर्षों से लोकतंत्र समर्थक रैली निकालाते हैं.
प्रधानमंत्री प्रयुत चन ओचा की सरकार को इन दिनों कोविड-19 वैश्विक महामारी से उबरने की उनकी योजना के विफल होने और टीकों की पर्याप्त आपूर्ति ना होने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
प्रदर्शनकारी बृहस्पतिवार सुबह बैंकॉक के 'डेमोक्रेसी मॉन्यूमेंट' पर मोमबत्तियां जलाने और 1932 में पूर्ण राजशाही के अंत की घोषणा को पढ़ने के लिए एकत्रित हुए. सैकड़ों लोगों ने संसद की ओर मार्च भी किया.
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संसद में संविधान में कई संशोधन को लेकर वोट होना है. हालांकि, प्रस्तावित बदलाव, प्रदर्शनकारियों द्वारा मांगे गए परिवर्तनों से बहुत कम हैं, जिसमें राजनीतिक दलों और निर्वाचित पदाधिकारियों को अधिक शक्ति बहाल करना शामिल है.
प्रदर्शनकारी नेता जटुपट बूनपट्टारकासा ने कहा, हम आज इस बात पर जोर देने के लिए सड़कों पर उतरे हैं कि संविधान का नाता लोगों से होना चाहिए.
(एपी)