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दबाव में हैं बैंक, मदद करने की स्थिति में नहीं है सरकार: अभिजीत बनर्जी

जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि वाहन क्षेत्र में मांग में नरमी से भी पता चलता है कि लोगों में अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसे की कमी है. उन्होंने कहा कि सरकार प्रोत्साहन पैकेज देने की स्थिति में नहीं है. जानें पूरा विवरण

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अभिजीत बनर्जी
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Published : Jan 26, 2020, 11:31 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 2:16 AM IST

जयपुर : नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने रविवार को कहा कि देश में बैंकिंग क्षेत्र दबाव में है और सरकार प्रोत्साहन पैकेज देकर इसे संकट से बाहर निकालने की स्थिति में नहीं है.

अभिजीत ने कहा, 'वित्तीय क्षेत्र फिलहाल सबसे बड़ा दबाव वाला केंद्र है. बैंक क्षेत्र दबाव में है और यह चिंता वाली बात है. वास्तव में सरकार प्रोत्साहन पैकेज देकर इसे संकट से उबार पाने की स्थिति में नहीं है....' बनर्जी ने कहा, 'हम यह भी जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में मांग में कमी के कारण कार और दोपहिया वाहनों की बिक्री नहीं हो रही. यह सब संकेत है कि लोगों को अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि होने के अनुमान पर भरोसा नहीं है. इसीलिए वे खर्च नहीं कर रहे हैं.'

बता दें कि अभिजीत बनर्जी ने 'गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम' शीर्षक की किताब भी लिखी है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी का देश में गरीबी उन्मूलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि शहरी और गरीबी क्षेत्र आपस में जुड़े हैं. उन्होंने कहा, 'गरीबी उन्मूलन इस आधार पर होता है कि शहरी क्षेत्र कम कौशल वाला रोजगार सृजित करता है और गांवों के लोगों को शहरी क्षेत्र में ऐसे रोजगार मिलते हैं, जिससे पैसा वापस गांव में आता है.'

भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, 'इस प्रकार से शहरी क्षेत्र से वृद्धि ग्रामीण क्षेत्र में जाती है, और जैसे ही शहरी क्षेत्र में नरमी आती है, गांवों पर असर पड़ता है. गांवों के लोगों को निर्माण क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलता और इसका असर ग्रामीण क्षेत्र पर पड़ता है.'

यह पूछे जाने पर कि अगर लोगों का आंकड़ों को लेकर भरोसा नहीं है, आर्थिक नीतियां कैसे काम करेंगी, उन्होंने कहा, 'सरकार को इस मुद्दे को लेकर चिंतित होना चाहिए. इससे विदेशी निवेशक भी परेशान हैं.'

ये भी पढ़ें: विदेशी निवेशकों के कम होते रुझान पर विचार की जरूरत : अभिजीत बनर्जी

बनर्जी ने कहा, 'उन्हें नहीं पता कि वे कहां जा रहे हैं...मेरा मतलब है कि ये वास्तविक मसले हैं और सरकार को इस पर गौर करना चाहिए. यदि वह निवेश आकर्षित करने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल होना चाहती है, तब लोगों को सही आंकड़ा उपलब्ध कराना जरूरी है.'

जयपुर : नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने रविवार को कहा कि देश में बैंकिंग क्षेत्र दबाव में है और सरकार प्रोत्साहन पैकेज देकर इसे संकट से बाहर निकालने की स्थिति में नहीं है.

अभिजीत ने कहा, 'वित्तीय क्षेत्र फिलहाल सबसे बड़ा दबाव वाला केंद्र है. बैंक क्षेत्र दबाव में है और यह चिंता वाली बात है. वास्तव में सरकार प्रोत्साहन पैकेज देकर इसे संकट से उबार पाने की स्थिति में नहीं है....' बनर्जी ने कहा, 'हम यह भी जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में मांग में कमी के कारण कार और दोपहिया वाहनों की बिक्री नहीं हो रही. यह सब संकेत है कि लोगों को अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि होने के अनुमान पर भरोसा नहीं है. इसीलिए वे खर्च नहीं कर रहे हैं.'

बता दें कि अभिजीत बनर्जी ने 'गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम' शीर्षक की किताब भी लिखी है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी का देश में गरीबी उन्मूलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि शहरी और गरीबी क्षेत्र आपस में जुड़े हैं. उन्होंने कहा, 'गरीबी उन्मूलन इस आधार पर होता है कि शहरी क्षेत्र कम कौशल वाला रोजगार सृजित करता है और गांवों के लोगों को शहरी क्षेत्र में ऐसे रोजगार मिलते हैं, जिससे पैसा वापस गांव में आता है.'

भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, 'इस प्रकार से शहरी क्षेत्र से वृद्धि ग्रामीण क्षेत्र में जाती है, और जैसे ही शहरी क्षेत्र में नरमी आती है, गांवों पर असर पड़ता है. गांवों के लोगों को निर्माण क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलता और इसका असर ग्रामीण क्षेत्र पर पड़ता है.'

यह पूछे जाने पर कि अगर लोगों का आंकड़ों को लेकर भरोसा नहीं है, आर्थिक नीतियां कैसे काम करेंगी, उन्होंने कहा, 'सरकार को इस मुद्दे को लेकर चिंतित होना चाहिए. इससे विदेशी निवेशक भी परेशान हैं.'

ये भी पढ़ें: विदेशी निवेशकों के कम होते रुझान पर विचार की जरूरत : अभिजीत बनर्जी

बनर्जी ने कहा, 'उन्हें नहीं पता कि वे कहां जा रहे हैं...मेरा मतलब है कि ये वास्तविक मसले हैं और सरकार को इस पर गौर करना चाहिए. यदि वह निवेश आकर्षित करने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल होना चाहती है, तब लोगों को सही आंकड़ा उपलब्ध कराना जरूरी है.'

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चीन में कोरोनावायरस से अब 56 की मौत, विषाणु के फैलने की आशंका बढ़ी



बीजिंग, 26 जनवरी (भाषा) चीन में वैज्ञानिक प्राणघातक कोरानावायरस के खिलाफ टीका विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. इस बीच रविवार को इस विषाणु से अकेले चीन में मरने वालों की तादाद 56 हो गई, वहीं सार्स जैसे विषाणु से संक्रमित होने वालों की संख्या 3000 पहुंचने की आशंका हैं जिसके मद्देनजर प्रशासन ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंधों में विस्तार किया है.



हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान 1.1 करोड़ आबादी वाला शहर है और संक्रमण का मुख्य केंद्र हैं. हुबेई के महापौर ने रविवार को बताया कि 56 लोगों की मौत हुई है, 1975 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है जबकि शहर में 1,000 नए मरीज होने की आशंका है. यह जानकारी सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने दी.



महापौर झोउ शियांवांग ने कहा, 'यह संभव है कि करीब एक हजार विषाणु संक्रमण के मामले हैं.' उन्होंने यह दावा अस्पतालों में मरीजों के परीक्षण और निगरानी में रखे गए लोगों के आधार पर किया है.



स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कोरोनावायरस महामारी से मुकाबला करने के लिए उच्चस्तरीय समिति का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली क्विंग करेंगे. उन्होंने इसके साथ ही खुलासा किया कि विषाणु के फैलने की ताकत और बढ़ रही है.



चीन के रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) के निदेशक झू वेनबो ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से रविवार को कहा कि सीडीसी के शोधकर्ताओं ने विषाणु को अलग कर लिया है उसके टीके के लिए ' स्ट्रेन' का चुनाव कर रहे हैं.



झु ने बीजिंग में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि शोधकर्ताओं ने रोगाणु की आनुवांशिकी कड़ी का पता दो जनवरी को वुहान से भेजे गए नमूने के अगले दिन ही लगा लिया गया था.



हांगकांग से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने रविवार को बताया कि नया कोरोनावायरस इनक्युबेशन काल (अंडे सेने का समय)जो 14 दिनों का होता है और संक्रमण फैला सकता है और इस प्रकार विषाणु के संक्रमण फैलाने की क्षमता मजबूत हो रही है.



एनएचसी का प्रभार देख रहे मंत्री मा झियावेई ने बताया कि प्रशासन की विषाणु के प्रति जानकारी सीमित है और वे इसमें होने वाले बदलाव से होने वाले खतरे के बारे में अनभिज्ञ हैं.



उन्होंने कहा, 'यह महामारी की स्थिति कुछ समय तक जारी रह सकती है.



मा ने बताया कि सार्स (सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) की तरह कोरोनावायरस भी इंक्यूबेशन काल में संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है. उन्होंने दोहराया कि विषाणु से संक्रमित लोगों में तुरंत लक्षण सामने नहीं आते हैं.



इस बीमारी का केंद्र वुहान और हुबेई प्रांत के 17 अन्य शहरों को बताया जा रहा है जहां विषाणु ने सबसे अधिक लोगों की जान ली है लेकिन अब बीजिंग समेत चीन के अन्य प्रांतों और शहरों में भी इस प्रकार के मामले तेजी से फैल रहे हैं .



वुहान से शुरू संक्रमण पूरे चीन में फैल गया है और अमेरिका सहित करीब एक दर्जन देशों में इससे संक्रमण होने की पुष्टि हुई है. अमेरिका, फ्रांस और रूस अपने नागरिकों को वुहान से निकालने की तैयारी कर रही है. वहीं अन्य देश संक्रमण रोकने के लिए संभावित संक्रमितों को अलग स्थान पर रखने की वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है.



शहरों को बंद करने के साथ सरकार और अधिक डॉक्टरों और नर्सों को वुहान भेज रही है. 1350 स्वास्थ्यकर्मी पहले ही वुहान पहुंच चुके हैं और 1,000 स्वास्थ्य कर्मियों को और भेजा जा रहा है.



हालात के गंभीर होने के बीच, राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को कहा कि चीन एक 'गंभीर स्थिति' का सामना कर रहा है लेकिन साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि चीन कोरोनावायरस के खिलाफ इस लड़ाई को जीत लेगा.



सार्स जैसी इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अपने चहुंमुखी प्रयासों में तेजी लाते हुए चीन ने रविवार को ऐलान किया कि वह वुहान में अगले 15 दिन में 1300 बिस्तरों का एक और अस्थायी अस्पताल बनाएगा. शहर में इस समय एक हजार बिस्तरों का अस्पताल पहले ही बनाया जा रहा है जिसका काम दस दिन में पूरा हो जाएगा.


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 2:16 AM IST
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