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भारतीय व अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वापसी की अनुमति देने के मामले में चीन की चुप्पी - करीब 25,000 भारतीय छात्र भी हैं

चीन ने मंगलवार को भी कोई समयसीमा नहीं बताई है. चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे भारत तथा अन्य देशों के हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से लगे यातायात प्रतिबंधों के कारण पिछले साल मार्च से चीन नहीं लौट सके हैं.

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Published : Mar 9, 2021, 10:59 PM IST

बीजिंग : चीन ने मंगलवार को भी कोई समयसीमा नहीं बताई है. चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीयों तथा विदेशी छात्रों को टीकाकरण समेत कोविड-19 के समस्त प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद अपने देशों से लौटने के मामले में उसका रुख अस्पष्ट बना हुआ है.

चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे भारत तथा अन्य देशों के हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से लगे यातायात प्रतिबंधों के कारण पिछले साल मार्च से चीन नहीं लौट सके हैं. जनवरी में फेसबुक पर एक खुले पत्र में छात्रों ने चीन की सरकार से अपील की थी कि यात्रा पाबंदी हटाई जाए और उन्हें पढ़ाई के लिए लौटने की अनुमति दी जाए.

उन्होंने कहा कि वे जरूरी जांच कराने और पृथक-वास प्रक्रियाओं का पालन करने समेत कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन करेंगे. दुनियाभर के अनेक हिस्सों से 4.40 लाख से अधिक विदेशी छात्र चीन में अध्ययन करते हैं. इनमें करीब 25,000 भारतीय छात्र भी हैं. इनमें से अधिकतर विद्यार्थी विभिन्न चीनी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं.

कोविड-19 संबंधी पाबंदियों का जिक्र करते हुए चीन छात्रों को लगातार ऑनलाइन कक्षाएं करने की सलाह दे रहा है. हालांकि छात्रों का कहना है कि उनमें से अधिकतर विज्ञान विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें प्रयोगशालाओं में जाने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें-जानिए कोराना काल में कितने मजदूरों की हुई 'घर वापसी'

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से मंगलवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सोमवार को जारी चीन का कोविड-19 अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रमाणपत्र केवल चीन वासियों पर लागू है.

बीजिंग : चीन ने मंगलवार को भी कोई समयसीमा नहीं बताई है. चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीयों तथा विदेशी छात्रों को टीकाकरण समेत कोविड-19 के समस्त प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद अपने देशों से लौटने के मामले में उसका रुख अस्पष्ट बना हुआ है.

चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे भारत तथा अन्य देशों के हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से लगे यातायात प्रतिबंधों के कारण पिछले साल मार्च से चीन नहीं लौट सके हैं. जनवरी में फेसबुक पर एक खुले पत्र में छात्रों ने चीन की सरकार से अपील की थी कि यात्रा पाबंदी हटाई जाए और उन्हें पढ़ाई के लिए लौटने की अनुमति दी जाए.

उन्होंने कहा कि वे जरूरी जांच कराने और पृथक-वास प्रक्रियाओं का पालन करने समेत कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन करेंगे. दुनियाभर के अनेक हिस्सों से 4.40 लाख से अधिक विदेशी छात्र चीन में अध्ययन करते हैं. इनमें करीब 25,000 भारतीय छात्र भी हैं. इनमें से अधिकतर विद्यार्थी विभिन्न चीनी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं.

कोविड-19 संबंधी पाबंदियों का जिक्र करते हुए चीन छात्रों को लगातार ऑनलाइन कक्षाएं करने की सलाह दे रहा है. हालांकि छात्रों का कहना है कि उनमें से अधिकतर विज्ञान विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें प्रयोगशालाओं में जाने की जरूरत है.

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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से मंगलवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सोमवार को जारी चीन का कोविड-19 अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रमाणपत्र केवल चीन वासियों पर लागू है.

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