नई दिल्ली : भारत ने पिछले वर्ष देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए चीनी एप्स पर बैन लगाया दिया था. इस पर भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रॉन्ग ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हम भारतीय पक्ष से आग्रह करते हैं कि वह तुरंत अपने भेदभावपूर्ण उपायों को ठीक करे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को द्विपक्षीय सहयोग को और नुकसान पहुंचाने से बचाने का काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला WTO के व्यापार को लेकर बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है. इसलिए भारत के इस निर्णय का चीन विरोध करता है. भारत के इस निर्णय से चीनी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
चीनी मामलों के जानकार की प्रतिक्रिया
इस मामले पर ईटीवी भारत ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापाली से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध बना हुआ है और विवादित भूमि पर चीन ने कब्जा किया है. इसके अलावा चीन भारत और चीन के बीच 1993 में हुए सीमा समझौते को मानने से इनकार कर रहा है. इसके मद्देनजर भारत चिंतित है कि चीनी आईटी सेक्टर भारतीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा करके, भारत चीन के साथ व्यापार संबंधों में कटौती नहीं कर रहा है. भारत केवल इस बात से चिंतित है कि चीन व्यापार का इस्तेमाल एक हथियार की तरह कर रहा है. प्रोफेसर श्रीकांत ने कहा कि व्यापार पर निर्भरता के चलते ऑस्ट्रेलिया परेशान है.
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बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने अलग अलग तरीके के चीनी मोबाइल एप को देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रह रखने वाला बताते हुए उन पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसमें टिक टॉक, शेयरइट और वीचैट जैसे चीनी एप भी शामिल हैं.