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वो दिन चले गए जब वैश्विक फैसले एक छोटे से ग्रुप द्वारा लिए जाते थे : चीन

जी -7 शिखर सम्मेलन पर निशाना साधते हुए चीन ने कहा है कि अब वह दिन चले गए हैं, जब वैश्विक निर्णय देशों के एक छोटे समूह द्वारा तय किए जाते थे.

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Published : Jun 13, 2021, 9:57 PM IST

बीजिंग : चीन ने रविवार को जोर देकर कहा कि अब वह दिन चले गए हैं, जब वैश्विक निर्णय देशों के एक छोटे समूह द्वारा तय किए जाते थे. जी -7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) पर निशाना साधते हुए चीन ने यह बात कही. सम्मेलन में बीजिंग कोविड ​​-19 मूल, मानवाधिकारों पर गंभीर आलोचना का केंद्र रहा.

जी -7 के नेताओं के रूप में - कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका - लंदन में मिले, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के आर्थिक दबदबे के खिलाफ सहयोगियों को एकजुट करने के लिए आवाज उठाई. इस दौरान मानव अधिकारों के अलावा कोविड-19 मूल की जांच के लिए सहमत होने की अनिच्छा के अलावा, बीजिंग ब्लॉक (Beijing bloc) की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए उद्दंड और दृढ़ दिखाई.

हालांकि यहां चीनी सरकार (Chinese government) की ओर से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं है, सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने लंदन में चीन के दूतावास द्वारा जारी बयान का हवाला देते हुए बीजिंग के खिलाफ जी -7 की आलोचना का खंडन किया.

चीनी दूतावास के बयान ( Chinese embassy statement ) में कहा गया है. यहां केवल एक ही प्रणाली है, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली, जिसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र करता है.

हम हमेशा मानते हैं कि देश, बड़े या छोटे, मजबूत या कमजोर, गरीब या अमीर, समान हैं और विश्व मामलों को सभी देशों द्वारा परामर्श (consultation by all countries) के माध्यम से संभाला जाना चाहिए.

बयान में कहा गया अब वो दिन चले गए जब वैश्विक निर्णय (global decisions ) देशों के एक छोटे समूह द्वारा तय किए जाते थे.

दुनिया में केवल एक प्रणाली (one system) और एक व्यवस्था है, वह है, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली ( international system) जिसके मूल में संयुक्त राष्ट्र है और अंतर्राष्ट्रीय कानून (international law) पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है, न कि तथाकथित प्रणाली और व्यवस्था जिसकी मुट्ठी भर देशों द्वारा वकालत की जाती है.

इस सवाल पर कि जी-7 शिखर सम्मेलन में जरूरतमंद देशों को कोविड-19 टीके की एक अरब खुराक के प्रावधान पर एक घोषणा की जाएगी,इसके जवाब में बयान में चीन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया जिसमें 80 से अधिक विकासशील देशों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराना और 43 देशों को टीके निर्यात करना शामिल है.

उसने कहा, 'हमने वैश्विक भागीदारों को 35 करोड़ खुराक वितरित की हैं जो दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक हैं.'

उसने कहा, 'चीन सबसे गरीब देशों के लिए जी20 ऋण सेवा निलंबन पहल को पूरी तरह से लागू कर रहा है और अब तक 1.3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के ऋण की अदायगी स्थगित की है. यह जी20 सदस्यों के बीच सबसे अधिक आस्थगन राशि है.'

जी-7 और यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ आम सहमति बनाने का बाइडन का प्रयास चीन के लिए एक आश्चर्य के तौर पर आया, वहीं यहां विश्लेषकों ने बीजिंग को अमेरिका द्वारा बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का मुकाबला करने के लिए अपनी बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू) योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के प्रति आगाह किया.

इससे पहले दुनिया के अमीर देशों के नेताओं ने गरीब देशों को कोविड-19 रोधी टीके की एक अरब से ज्यादा खुराकें मुहैया कराने का संकल्प लिया. इसके साथ ही उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम कर का समर्थन किया और सहमति जतायी कि वे चीन की बाजार विरोधी आर्थिक नीतियों से मुकाबला के लिए साथ मिलकर काम करेंगे और बीजिंग से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कहा.

दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में रविवार को जी-7 के शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने समूह के नेताओं के बीच तालमेल की सराहना की. पिछले दो साल में पहली बार प्रत्यक्ष तौर पर समूह की बैठक हुई.

पढ़ें - जी-7 सम्मेलन संपन्न, समूह ने टीका और जलवायु परिवर्तन पर कदम उठाने का आह्वान किया

जी-7 के नेता प्रदर्शित करना चाहते थे कि महामारी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये के कारण पड़े असर के बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग की फिर से शुरुआत हुई है. जी-7 के नेता यह भी जताना चाहते थे कि चीन जैसे अधिनायकवादी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में गरीब देशों के लिए समूह के कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका अच्छे मित्र हैं.

जॉनसन ने कहा कि जी-7 दुनिया के बाकी हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूल्य का प्रदर्शन करेगा और "दुनिया के सबसे गरीब देशों को खुद को हरित और टिकाऊ तरीके से विकसित करने में मदद करेगा." कॉर्नवाल तट पर तीन दिनों की बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह हमारे लिए पर्याप्त नहीं है कि हम अपनी प्रशंसा पर मुग्ध हो जाएं और इस बारे में बात करें कि वे मूल्य कितने महत्वपूर्ण हैं. यह बाकी दुनिया पर हमारे मूल्य थोपने के बारे में नहीं है. जी-7 के तौर पर हमें बाकी दुनिया को लोकतंत्र और स्वतंत्रता तथा मानवाधिकारों के फायदे को प्रदर्शित करने का मौका मिला है.'

जॉनसन ने कहा कि 2022 के अंत तक देशों को सीधे तौर पर और अंतरराष्ट्रीय ‘कोवैक्स’ पहल, दोनों तरीके से कोविड-19 रोधी टीकों की एक अरब खुराकों की आपूर्ति की जाएगी. इस प्रतिबद्धता के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत

बीजिंग : चीन ने रविवार को जोर देकर कहा कि अब वह दिन चले गए हैं, जब वैश्विक निर्णय देशों के एक छोटे समूह द्वारा तय किए जाते थे. जी -7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) पर निशाना साधते हुए चीन ने यह बात कही. सम्मेलन में बीजिंग कोविड ​​-19 मूल, मानवाधिकारों पर गंभीर आलोचना का केंद्र रहा.

जी -7 के नेताओं के रूप में - कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका - लंदन में मिले, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के आर्थिक दबदबे के खिलाफ सहयोगियों को एकजुट करने के लिए आवाज उठाई. इस दौरान मानव अधिकारों के अलावा कोविड-19 मूल की जांच के लिए सहमत होने की अनिच्छा के अलावा, बीजिंग ब्लॉक (Beijing bloc) की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए उद्दंड और दृढ़ दिखाई.

हालांकि यहां चीनी सरकार (Chinese government) की ओर से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं है, सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने लंदन में चीन के दूतावास द्वारा जारी बयान का हवाला देते हुए बीजिंग के खिलाफ जी -7 की आलोचना का खंडन किया.

चीनी दूतावास के बयान ( Chinese embassy statement ) में कहा गया है. यहां केवल एक ही प्रणाली है, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली, जिसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र करता है.

हम हमेशा मानते हैं कि देश, बड़े या छोटे, मजबूत या कमजोर, गरीब या अमीर, समान हैं और विश्व मामलों को सभी देशों द्वारा परामर्श (consultation by all countries) के माध्यम से संभाला जाना चाहिए.

बयान में कहा गया अब वो दिन चले गए जब वैश्विक निर्णय (global decisions ) देशों के एक छोटे समूह द्वारा तय किए जाते थे.

दुनिया में केवल एक प्रणाली (one system) और एक व्यवस्था है, वह है, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली ( international system) जिसके मूल में संयुक्त राष्ट्र है और अंतर्राष्ट्रीय कानून (international law) पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है, न कि तथाकथित प्रणाली और व्यवस्था जिसकी मुट्ठी भर देशों द्वारा वकालत की जाती है.

इस सवाल पर कि जी-7 शिखर सम्मेलन में जरूरतमंद देशों को कोविड-19 टीके की एक अरब खुराक के प्रावधान पर एक घोषणा की जाएगी,इसके जवाब में बयान में चीन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया जिसमें 80 से अधिक विकासशील देशों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराना और 43 देशों को टीके निर्यात करना शामिल है.

उसने कहा, 'हमने वैश्विक भागीदारों को 35 करोड़ खुराक वितरित की हैं जो दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक हैं.'

उसने कहा, 'चीन सबसे गरीब देशों के लिए जी20 ऋण सेवा निलंबन पहल को पूरी तरह से लागू कर रहा है और अब तक 1.3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के ऋण की अदायगी स्थगित की है. यह जी20 सदस्यों के बीच सबसे अधिक आस्थगन राशि है.'

जी-7 और यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ आम सहमति बनाने का बाइडन का प्रयास चीन के लिए एक आश्चर्य के तौर पर आया, वहीं यहां विश्लेषकों ने बीजिंग को अमेरिका द्वारा बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का मुकाबला करने के लिए अपनी बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू) योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के प्रति आगाह किया.

इससे पहले दुनिया के अमीर देशों के नेताओं ने गरीब देशों को कोविड-19 रोधी टीके की एक अरब से ज्यादा खुराकें मुहैया कराने का संकल्प लिया. इसके साथ ही उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम कर का समर्थन किया और सहमति जतायी कि वे चीन की बाजार विरोधी आर्थिक नीतियों से मुकाबला के लिए साथ मिलकर काम करेंगे और बीजिंग से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कहा.

दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में रविवार को जी-7 के शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने समूह के नेताओं के बीच तालमेल की सराहना की. पिछले दो साल में पहली बार प्रत्यक्ष तौर पर समूह की बैठक हुई.

पढ़ें - जी-7 सम्मेलन संपन्न, समूह ने टीका और जलवायु परिवर्तन पर कदम उठाने का आह्वान किया

जी-7 के नेता प्रदर्शित करना चाहते थे कि महामारी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये के कारण पड़े असर के बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग की फिर से शुरुआत हुई है. जी-7 के नेता यह भी जताना चाहते थे कि चीन जैसे अधिनायकवादी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में गरीब देशों के लिए समूह के कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका अच्छे मित्र हैं.

जॉनसन ने कहा कि जी-7 दुनिया के बाकी हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूल्य का प्रदर्शन करेगा और "दुनिया के सबसे गरीब देशों को खुद को हरित और टिकाऊ तरीके से विकसित करने में मदद करेगा." कॉर्नवाल तट पर तीन दिनों की बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह हमारे लिए पर्याप्त नहीं है कि हम अपनी प्रशंसा पर मुग्ध हो जाएं और इस बारे में बात करें कि वे मूल्य कितने महत्वपूर्ण हैं. यह बाकी दुनिया पर हमारे मूल्य थोपने के बारे में नहीं है. जी-7 के तौर पर हमें बाकी दुनिया को लोकतंत्र और स्वतंत्रता तथा मानवाधिकारों के फायदे को प्रदर्शित करने का मौका मिला है.'

जॉनसन ने कहा कि 2022 के अंत तक देशों को सीधे तौर पर और अंतरराष्ट्रीय ‘कोवैक्स’ पहल, दोनों तरीके से कोविड-19 रोधी टीकों की एक अरब खुराकों की आपूर्ति की जाएगी. इस प्रतिबद्धता के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत

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