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चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और उन्नत युद्धपोत दिया - टाइप 054ए/पी युद्धपोत

चीन अरब सागर और हिंद महासागर में अपने सहयोगी की नौसेना को मजबूत करना चाहता है. इस दिशा में चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत दिया है. इस क्षेत्र में चीन ने हाल के वर्षों में अपनी नौसैनिक क्षमताओं को काफी बढ़ाया है.

चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और उन्नत युद्धपोत दिया
चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और उन्नत युद्धपोत दिया
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Published : Nov 9, 2021, 7:00 PM IST

बीजिंग: चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत दिया है क्योंकि वह अरब सागर और हिंद महासागर में अपने सहयोगी की नौसेना को मजबूत करना चाहता है. इस क्षेत्र में चीन ने हाल के वर्षों में अपनी नौसैनिक उपस्थिति काफी बढ़ाई है. चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएससी) द्वारा निर्मित युद्धपोत को शंघाई में जहाज के जलावतरण समारोह में पाकिस्तान नौसेना को दिया गया. सीएसएससी ने सोमवार को एक बयान में इसकी घोषणा की.

सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने मंगलवार को बताया कि टाइप 054ए/पी युद्धपोत को पीएनएस तुगरिल नाम दिया गया है. अखबार की एक खबर में कहा गया है कि क्षेत्र के समग्र सुरक्षा हालात के संदर्भ में तुगरिल-श्रेणी के युद्धपोत, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री रक्षा सुनिश्चित करने, शांति, स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने, समुद्री चुनौतियों का जवाब देने के लिए पाकिस्तानी नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करेंगे.

अखबार ने पाकिस्तानी नौसेना के एक बयान का हवाला देते हुए कहा है कि पीएनएस तुगरिल पाकिस्तान की नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार युद्धपोतों में पहला पोत है. यह पोत तकनीकी रूप से काफी उन्नत है इसमें सतह से सतह, सतह से हवा और पानी के नीचे की मारक क्षमता के अलावा व्यापक निगरानी क्षमता है. प्रतिरक्षा क्षमताओं के साथ-साथ अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस होने के कारण श्रेणी 054ए/पी का युद्धपोत विभिन्न चुनौतियों वाले हालात में एक साथ कई नौसैनिक युद्ध अभियानों को अंजाम दे सकता है. सीएसएससी ने कहा कि युद्धपोत चीन द्वारा अब तक निर्यात किया गया सबसे बड़ा और सबसे उन्नत पोत है.

ये भी पढ़ें- '1959 में चीन ने जिस इलाके पर किया था कब्जा, वहीं पर चीन ने बसाया गांव'

पाकिस्तान के साथ सदाबहार रणनीतिक संबंध साझा करने वाला चीन पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. उन्नत नौसैनिक जहाजों के अलावा चीन ने जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान बनाने के लिए पाकिस्तानी वायु सेना के साथ साझेदारी की है.पर्यवेक्षकों का कहना है कि हाल के वर्षों में सैन्य सहयोग में नौसेना पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि चीन ने धीरे-धीरे हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा दी है।

हिंद महासागर क्षेत्र में जिबूती में अपना पहला सैन्य अड्डा बनाने के अलावा चीन ने अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का नियंत्रण हासिल किया है जो चीन के झिंजियांग प्रांत से 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़ता है. चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को भी 99 साल के पट्टे पर हासिल किया है. पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ नौसैनिक ठिकानों का नियंत्रण हासिल होने से हिंद महासागर और अरब सागर में चीनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ने की संभावना है. पाकिस्तानी नौसेना ने 2017 से चीन से 054ए/पी श्रेणी के चार युद्धपोतों के निर्माण का अनुबंध किया है.

(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग: चीन ने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत दिया है क्योंकि वह अरब सागर और हिंद महासागर में अपने सहयोगी की नौसेना को मजबूत करना चाहता है. इस क्षेत्र में चीन ने हाल के वर्षों में अपनी नौसैनिक उपस्थिति काफी बढ़ाई है. चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएससी) द्वारा निर्मित युद्धपोत को शंघाई में जहाज के जलावतरण समारोह में पाकिस्तान नौसेना को दिया गया. सीएसएससी ने सोमवार को एक बयान में इसकी घोषणा की.

सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने मंगलवार को बताया कि टाइप 054ए/पी युद्धपोत को पीएनएस तुगरिल नाम दिया गया है. अखबार की एक खबर में कहा गया है कि क्षेत्र के समग्र सुरक्षा हालात के संदर्भ में तुगरिल-श्रेणी के युद्धपोत, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री रक्षा सुनिश्चित करने, शांति, स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने, समुद्री चुनौतियों का जवाब देने के लिए पाकिस्तानी नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करेंगे.

अखबार ने पाकिस्तानी नौसेना के एक बयान का हवाला देते हुए कहा है कि पीएनएस तुगरिल पाकिस्तान की नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार युद्धपोतों में पहला पोत है. यह पोत तकनीकी रूप से काफी उन्नत है इसमें सतह से सतह, सतह से हवा और पानी के नीचे की मारक क्षमता के अलावा व्यापक निगरानी क्षमता है. प्रतिरक्षा क्षमताओं के साथ-साथ अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस होने के कारण श्रेणी 054ए/पी का युद्धपोत विभिन्न चुनौतियों वाले हालात में एक साथ कई नौसैनिक युद्ध अभियानों को अंजाम दे सकता है. सीएसएससी ने कहा कि युद्धपोत चीन द्वारा अब तक निर्यात किया गया सबसे बड़ा और सबसे उन्नत पोत है.

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पाकिस्तान के साथ सदाबहार रणनीतिक संबंध साझा करने वाला चीन पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. उन्नत नौसैनिक जहाजों के अलावा चीन ने जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान बनाने के लिए पाकिस्तानी वायु सेना के साथ साझेदारी की है.पर्यवेक्षकों का कहना है कि हाल के वर्षों में सैन्य सहयोग में नौसेना पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि चीन ने धीरे-धीरे हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा दी है।

हिंद महासागर क्षेत्र में जिबूती में अपना पहला सैन्य अड्डा बनाने के अलावा चीन ने अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का नियंत्रण हासिल किया है जो चीन के झिंजियांग प्रांत से 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़ता है. चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को भी 99 साल के पट्टे पर हासिल किया है. पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ नौसैनिक ठिकानों का नियंत्रण हासिल होने से हिंद महासागर और अरब सागर में चीनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ने की संभावना है. पाकिस्तानी नौसेना ने 2017 से चीन से 054ए/पी श्रेणी के चार युद्धपोतों के निर्माण का अनुबंध किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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