बीजिंग : चीन ने एक नया विथधेयक पारित किया है, जो सैन्य कर्मियों की 'मानहानि' को प्रतिबंधित करता है. यह 2018 के कानून की एक कड़ी है. चीन के 2018 के कानून के तहत देश के एक लोकप्रिय ब्लॉगर को पिछले साल पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ संघर्ष में मारे गए पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को 'बदनाम करने' के मामले में हाल में सजा दी गई थी.
सरकारी समाचार एजेंसी ने खबर दी कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति द्वारा बृहस्पतिवार को स्वीकृत विधेयक में कहा गया कि कोई भी व्यक्ति या संगठन किसी भी प्रकार से सैनिकों के सम्मान की निंदा या अपमान नहीं करेगा, न ही वे सशस्त्र बलों के सदस्यों की साख की निंदा या अपमान करेंगे.
नये विधेयक में सैन्यकर्मियों के सम्मान में बनाए गई पट्टिकाओं को अपवित्र किए जाने को भी प्रतिबंधित किया गया है.
नये विधेयक के मुताबिक, अभियोजक सैन्यकर्मियों की मानहानि और उनके वैध अधिकारों एवं हितों के उल्लंघन के मामले में जनहित याचिका दायर कर सकते हैं, जिन्होंने उनके कर्तव्यों और मिशनों के प्रदर्शन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है तथा समाज के सार्वजनिक हितों को नुकसान पहुंचाया है.
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हांगकांग से संचालित एक पोस्ट ने खबर दी कि यह नया कानून क्रांतिकारी 'शहीदों' की मानहानि को पहले से प्रतिबंधित करने वाले कानूनी उपायों की श्रृंखला में जुड़ा नया उपाय है. इन उपायों में देश की आपराधिक संहिता में सुधार और नायकों एवं शहीदों के संरक्षण के लिए बने 2018 का कानून भी शामिल है.
नये विधेयक पर टिप्पणी करते हुए, पीएलए के पूर्व प्रशिक्षक एवं हांगकांग निवासी सैन्य मामलों के टीकाकार सोंग झोंगपिंग ने कहा कि यह कानून, जिसमें सेवा कर्मियों के परिवारों को भी शामिल किया गया है, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मिशन की भावना को मजबूत करने के लिए है.
सोग ने अखबार से कहा, पूर्व में हमारे कानूनी साधन पूर्ण नहीं थे और यह नया कानून हमारे सैनिकों के अधिकारों एवं सम्मानों के लिए अधिक व्यापक संरक्षण उपलब्ध कराएगा.
चीन में इंटरनेट की एक हस्ती को 31 मई को पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की 'बदनामी' के मामले में सजा दी गई.
सरकारी समाचार-पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने एक जून को खबर दी कि करीब 25 लाख फॉलोअर वाले क्यू जिमिंग को आठ महीने की जेल की सजा दी गई.
(भाषा)