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चीन ने नेपाल की 150 हेक्‍टेयर जमीन पर किया कब्‍जा, बना रहा सैन्‍य ठिकाना - नेपाल चीन जमीन कब्जा

नेपाल के विपक्षी नेताओं ने कहा है कि चीन ने नेपाल के लगभग 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया है. नेपाली नेताओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार पर अपने सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार की नाराजगी के डर से चुप रहने का आरोप लगाया है. हालांकि, नेपाल सरकार के सूत्रों ने भूभाग पर कब्जे का खंडन किया है.

China annexed 150 hectares of Nepal
नेपाल-चीन
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Published : Nov 3, 2020, 6:18 PM IST

काठमांडू : नेपाल के राजनेताओं ने आरोप लगाया है कि चीन ने नेपाल के 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया है. उन्होंने कहा कि नेपाली भूमि पर कब्जा सीमा पर चीनी आक्रमण की शुरुआत है.

ब्रिटेन स्थित टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने मई में पांच सीमावर्ती जिलों में कथित तौर पर नेपाल की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. साथ ही चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों को सीमा के अपरिभाषित क्षेत्रों में भेज रहा है.

हुमला जिले में, पीएलए सैनिकों ने सीमा पारकर लिमी घाटी और हिलसा में पत्थर के खंभों को आगे बढ़ा दिया है, जो कथित सैन्य ठिकानों के निर्माण से पहले नेपाली क्षेत्र में सीमा का सीमांकन करते थे. डेली टेलीग्राफ ने सैन्य ठिकानों की तस्वीरें भी छापी हैं.

चीनी सैनिकों ने कथित रूप से गोरखा जिले में नेपाली क्षेत्र में सीमा स्तंभों को भी आगे बढ़ाया है.

इसके अलावा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीनी इंजीनियरों ने प्राकृतिक सीमा के रूप में कार्य करने वाली नदियों के प्रवाह को डायवर्ट कर दिया है. साथ ही रासुवा, सिंधुपालचौक और सैंकुवासा जिलों में नेपाली क्षेत्र पर कब्जा किया है और पहले से जलमग्न नेपाली क्षेत्र पर दावा किया है.

नेपाली कांग्रेस पार्टी के सांसद जीवन बहादुर शाही ने टेलीग्राफ से कहा कि चीन को नेपाल में क्यों आना चाहिए, जब चीन पहले से ही हमारे छोटे देश के आकार का साठ गुना है?

नेपाली राजनेताओं ने देश की सरकार पर अपने सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार और क्षेत्रीय सहयोगी को नाराज करने के डर से चुप रहने का आरोप लगाया है.

टेलीग्राफ ने दावा किया है कि चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में अधिक आक्रामक विदेश नीति अपनाई है. जिनपिंग के कार्यकाल की प्रमुख पहचान बेल्ट एंड रोड परियोजना है, जिसका उद्देश्य पूरे एशिया और यूरोप में व्यापार और परिवहन लिंक का निर्माण करना है.

नेपाली राजनेताओं ने कहा कि हुमला जिले में जमीन हड़पना रणनीतिक प्रतीत होती है, क्योंकि जिले की पहाड़ी चोटियां हिमालयी क्षेत्र में रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं.

साल 2009 में चीनी सैनिकों ने पहली बार सीमा पार की और बिना सुरक्षा वाले जिलों में जानवरों के लिए एक चिकित्सा केंद्र बनाया. जीवन बहादुर शाही ने इस निर्माण कार्य का विरोध किया, लेकिन नेपाली सरकार ने उनसे कहा कि यह बिल्डिंग यहां के स्थानीय लोगों के जीवन पर एक सकारात्मक असर डालेगी, खासकर उन गरीबों का जीवन सुधरेगा, जो मवेशी चराकर आजीविका का इंतजाम करते हैं.

शाही का कहना है कि चीन के लोगों ने नेपाल की लगभग 30 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है, जो लिमी घाटी में है. चीनी सैनिक कब्जाई गई जमीन पर 9 अतिरिक्त भवन बना रहे हैं, इन भवनों में मिलिट्री बेस भी शामिल हैं.

नेपाल में विपक्ष की पार्टी जनता समाज पार्टी के नेता राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि चीन ने हुमला जिले में जून में कुछ हिस्सों को अपने साथ मिला लिया था. इसके अलावा हिलसा में भी चीन ने कुछ हिस्सों को खुद के हिस्से में शामिल किया है. इससे दोनों जिलों का कुल कब्जा किया गया भूभाग 70 हेक्टेयर के करीब हो जाता है.

उन्होंने कहा कि चीन की इस कार्रवाई से स्थानीय लोग काफी डरे हुए हैं, खासकर इसलिए, क्योंकि यह लोग चीनी व्यापारियों पर निर्भर रहा करते थे, जो इन लोगों से चावल ब्रेड और नमक जैसी चीजें खरीदते थे. उनका कहना है कि अगर यह लोग अपनी आवाजें उठाएंगे, तो यह उनके व्यापार को प्रभावित करेगा.

राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि मई के पहले सप्ताह में चीन ने अपने कुछ पिलर सुदूर पहाड़ी गांव रुई की तरह बढ़ाए हैं. इससे तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र को चीन ने अपने भूभाग में शामिल करने का प्रयास किया है.

राकेश कुमार मिश्रा विपक्ष की पार्टी जनता समाज पार्टी की कमेटी के सदस्य भी हैं.

राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि करीब 60 हेक्टेयर जमीन चीन अपने हिस्से में शामिल कर चुका है.

मिश्रा और शाही दोनों ने इस मुद्दे पर नेपाली सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं.

नेपाल के सर्वे एंड मैपिंग डिपार्टमेंट का कहना है कि चीन ने एक उद्देश्य के तहत कुछ नदियों का प्रवाह बदला है, जो एक प्राकृतिक सीमा के रूप में सामने आई हैं. इसके तहत 33 हेक्टेयर जमीन पर दावा किया गया है. हालांकि, नेपाल सरकार के सूत्रों ने इस बात का खंडन किया है.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में अभी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का शासन है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) के साथ वैचारिक समानता रखती है. दिलचस्प है कि चीन ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के माध्यम से नेपाल में बड़ा निवेश किया है. नेपाल एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक है.

राकेश मिश्रा का कहना है कि नेपाल के लोगों को अन्य देशों से मदद की दरकार है, जिससे इस देश की सीमाओं की रक्षा की जा सके. ऐसा इसलिए, क्योंकि नेपाल एक छोटा और भूभाग से घिरा हुआ देश है.

चीनी सैनिकों ने भवन निर्माण किए हैं, जो सीमा से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर हैं और यह लप्चा लिमी इलाके में आता है, जो हुमला जिले का भाग है. चीन पिछले कुछ वर्षों से निर्माण कार्य लगातार कर रहा है, विशेषकर नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में.

इस संबंध में नेपाल स्थित चीनी मिशन ने एक बयान जारी किया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि भवन निर्माण चीनी भूभाग पर ही किया जा रहा है. चीन ने नेपाल के अधिकारियों से सीमा का स्पष्टीकरण करने को कहा है.

नेपाल में चीनी दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट में जिन भवन निर्माण का जिक्र किया जा रहा है, यह चीन नेपाल सीमा पर चीनी भूभाग पर ही बना है और नेपाल इस बात की दोबारा पुष्टि कर सकता है.

काठमांडू : नेपाल के राजनेताओं ने आरोप लगाया है कि चीन ने नेपाल के 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया है. उन्होंने कहा कि नेपाली भूमि पर कब्जा सीमा पर चीनी आक्रमण की शुरुआत है.

ब्रिटेन स्थित टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने मई में पांच सीमावर्ती जिलों में कथित तौर पर नेपाल की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. साथ ही चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों को सीमा के अपरिभाषित क्षेत्रों में भेज रहा है.

हुमला जिले में, पीएलए सैनिकों ने सीमा पारकर लिमी घाटी और हिलसा में पत्थर के खंभों को आगे बढ़ा दिया है, जो कथित सैन्य ठिकानों के निर्माण से पहले नेपाली क्षेत्र में सीमा का सीमांकन करते थे. डेली टेलीग्राफ ने सैन्य ठिकानों की तस्वीरें भी छापी हैं.

चीनी सैनिकों ने कथित रूप से गोरखा जिले में नेपाली क्षेत्र में सीमा स्तंभों को भी आगे बढ़ाया है.

इसके अलावा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीनी इंजीनियरों ने प्राकृतिक सीमा के रूप में कार्य करने वाली नदियों के प्रवाह को डायवर्ट कर दिया है. साथ ही रासुवा, सिंधुपालचौक और सैंकुवासा जिलों में नेपाली क्षेत्र पर कब्जा किया है और पहले से जलमग्न नेपाली क्षेत्र पर दावा किया है.

नेपाली कांग्रेस पार्टी के सांसद जीवन बहादुर शाही ने टेलीग्राफ से कहा कि चीन को नेपाल में क्यों आना चाहिए, जब चीन पहले से ही हमारे छोटे देश के आकार का साठ गुना है?

नेपाली राजनेताओं ने देश की सरकार पर अपने सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार और क्षेत्रीय सहयोगी को नाराज करने के डर से चुप रहने का आरोप लगाया है.

टेलीग्राफ ने दावा किया है कि चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में अधिक आक्रामक विदेश नीति अपनाई है. जिनपिंग के कार्यकाल की प्रमुख पहचान बेल्ट एंड रोड परियोजना है, जिसका उद्देश्य पूरे एशिया और यूरोप में व्यापार और परिवहन लिंक का निर्माण करना है.

नेपाली राजनेताओं ने कहा कि हुमला जिले में जमीन हड़पना रणनीतिक प्रतीत होती है, क्योंकि जिले की पहाड़ी चोटियां हिमालयी क्षेत्र में रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं.

साल 2009 में चीनी सैनिकों ने पहली बार सीमा पार की और बिना सुरक्षा वाले जिलों में जानवरों के लिए एक चिकित्सा केंद्र बनाया. जीवन बहादुर शाही ने इस निर्माण कार्य का विरोध किया, लेकिन नेपाली सरकार ने उनसे कहा कि यह बिल्डिंग यहां के स्थानीय लोगों के जीवन पर एक सकारात्मक असर डालेगी, खासकर उन गरीबों का जीवन सुधरेगा, जो मवेशी चराकर आजीविका का इंतजाम करते हैं.

शाही का कहना है कि चीन के लोगों ने नेपाल की लगभग 30 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है, जो लिमी घाटी में है. चीनी सैनिक कब्जाई गई जमीन पर 9 अतिरिक्त भवन बना रहे हैं, इन भवनों में मिलिट्री बेस भी शामिल हैं.

नेपाल में विपक्ष की पार्टी जनता समाज पार्टी के नेता राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि चीन ने हुमला जिले में जून में कुछ हिस्सों को अपने साथ मिला लिया था. इसके अलावा हिलसा में भी चीन ने कुछ हिस्सों को खुद के हिस्से में शामिल किया है. इससे दोनों जिलों का कुल कब्जा किया गया भूभाग 70 हेक्टेयर के करीब हो जाता है.

उन्होंने कहा कि चीन की इस कार्रवाई से स्थानीय लोग काफी डरे हुए हैं, खासकर इसलिए, क्योंकि यह लोग चीनी व्यापारियों पर निर्भर रहा करते थे, जो इन लोगों से चावल ब्रेड और नमक जैसी चीजें खरीदते थे. उनका कहना है कि अगर यह लोग अपनी आवाजें उठाएंगे, तो यह उनके व्यापार को प्रभावित करेगा.

राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि मई के पहले सप्ताह में चीन ने अपने कुछ पिलर सुदूर पहाड़ी गांव रुई की तरह बढ़ाए हैं. इससे तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र को चीन ने अपने भूभाग में शामिल करने का प्रयास किया है.

राकेश कुमार मिश्रा विपक्ष की पार्टी जनता समाज पार्टी की कमेटी के सदस्य भी हैं.

राकेश कुमार मिश्रा का कहना है कि करीब 60 हेक्टेयर जमीन चीन अपने हिस्से में शामिल कर चुका है.

मिश्रा और शाही दोनों ने इस मुद्दे पर नेपाली सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं.

नेपाल के सर्वे एंड मैपिंग डिपार्टमेंट का कहना है कि चीन ने एक उद्देश्य के तहत कुछ नदियों का प्रवाह बदला है, जो एक प्राकृतिक सीमा के रूप में सामने आई हैं. इसके तहत 33 हेक्टेयर जमीन पर दावा किया गया है. हालांकि, नेपाल सरकार के सूत्रों ने इस बात का खंडन किया है.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में अभी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का शासन है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) के साथ वैचारिक समानता रखती है. दिलचस्प है कि चीन ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के माध्यम से नेपाल में बड़ा निवेश किया है. नेपाल एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक है.

राकेश मिश्रा का कहना है कि नेपाल के लोगों को अन्य देशों से मदद की दरकार है, जिससे इस देश की सीमाओं की रक्षा की जा सके. ऐसा इसलिए, क्योंकि नेपाल एक छोटा और भूभाग से घिरा हुआ देश है.

चीनी सैनिकों ने भवन निर्माण किए हैं, जो सीमा से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर हैं और यह लप्चा लिमी इलाके में आता है, जो हुमला जिले का भाग है. चीन पिछले कुछ वर्षों से निर्माण कार्य लगातार कर रहा है, विशेषकर नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में.

इस संबंध में नेपाल स्थित चीनी मिशन ने एक बयान जारी किया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि भवन निर्माण चीनी भूभाग पर ही किया जा रहा है. चीन ने नेपाल के अधिकारियों से सीमा का स्पष्टीकरण करने को कहा है.

नेपाल में चीनी दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट में जिन भवन निर्माण का जिक्र किया जा रहा है, यह चीन नेपाल सीमा पर चीनी भूभाग पर ही बना है और नेपाल इस बात की दोबारा पुष्टि कर सकता है.

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