इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसद ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने के लिए सहकारी समितियों के पंजीकरण और नियमन में ज्यादा नियंत्रण व पारदर्शिता लाने के लिए एक विधेयक पारित किया है. माना जा रहा है कि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानीकर्ता द्वारा कालीसूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे प्रयासों का ही हिस्सा है.
पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को काली सूची में डाला था और कहा था कि काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए इस्लामाबाद आतंकी वित्तपोषण रोकने की दिशा में काम करे.
संसदीय मामलों पर प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार बाबर अवान द्वारा सोमवार को नेशनल असेंबली में सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश किया गया.
निचले सदन ने इस विधेयक को पारित करने के लिए प्रासंगिक स्थायी समिति को भेजने के नियम में ढील दी. यह विधेयक सहकारी समितियां अधिनियम,1925 में बदलाव करेगा.
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नेशनल असेंबली ने एफएटीएफ द्वारा तय कड़ी शर्तों से संबंधित दो विधेयकों को भी विचारार्थ और पारित कराने के उद्देश्य से संसद के संयुक्त सत्र को संदर्भित करने के प्रस्ताव भी मंजूर किए. निचले सदन ने इन विधेयकों को पारित कर दिया था, लेकिन उच्च सदन ने पिछले महीने इन्हें खारिज कर दिया था.
नेशनल असेंबली और सीनेट में किसी कानून को लेकर मतभेद होने पर दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है.