टोक्यो:जापान एक ऐसा देश है जहां स्वच्छता को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है. खासकर यहां साफ-सुथरी पैकेजिंग को सबसे अच्छी सेवा माना जाता है. इसलिए यहां प्रत्येक वस्तु प्लास्टिक से लिपटी हुई होती है.
लेकिन जब जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए विश्व के तमाम बड़े नेता जापान पहुंचेंगे तो ऐसे में खुद को पर्यावरण नीति में अग्रणी बनने का प्रयास अवश्य करेगा.
यह भी सच है कि जी-20 राष्ट्र दुनिया के आधे प्लास्टिक कचरे का उत्पादन करता है. वहीं जापान दुनिया का दूसरा ऐसा राष्ट्र है जो सबसे ज्यादा प्लास्टिक पैकेजिंग पर निर्भर है. वहीं अमेरिका इसमें सबसे अव्वल है.
अब जब जापान में जी-20 शिखर सम्मेलन हो रहा है और उसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री शिंजो आबे कर रहे हैं तो इस समस्या को हल करने की दिशा में वो पहल भी कर रहे हैं.
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आपको बता दें कि 2018 यूएन एनवायरनमेंट प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार - जापान दुनिया का नंबर 2 प्रति व्यक्ति एकल-उपयोग प्लास्टिक पैकेजिंग का उपभोक्ता है साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका नंबर 1पर हैं.
2018 यूएन पर्यावरण प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली गर्मियों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा ऐसा करने वाला एकमात्र देश G-7 प्लास्टिक चार्टर पर हस्ताक्षर करने में विफल रहने के लिए जापान की आलोचना की गई थी.
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पर्यावरण मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार, 12.7 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा हर साल समुद्र में जाता है, जिसमें से 60,000 टन जापान से आता है. जापान प्लास्टिक कचरे का दुनिया का नंबर 2 निर्यातक भी है
यह प्रति वर्ष लगभग 1.5 मिलियन टन निर्यात करता है. जिसमें मुख्य रूप से चीन आता है. जापान के प्लास्टिक कचरे का निर्यात पिछले साल कुल 1 मिलियन टन था.
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पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी हिरोशी ओनो ने कहा कि जापान अधिक रीसाइक्लिंग सुविधाओं के निर्माण के लिए काम कर रहा है, लेकिन 'इसमें कुछ समय लगता है. प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या अंतराष्ट्रीय चिंता का विषय बनी हुई है.
जापान में प्लास्टिक वेस्ट है बड़ी चुनौती
जापान में पहले काफी प्लास्टिक वेस्ट रीसाइक्लिंग के लिए निर्यात किया जाता था. ज्यादातर वेस्ट वेस्ट चीन भेजा जाता था. लेकिन, चीन ने इसके आयात पर रोक लगा दिया है, जिससे जापान में प्लास्टिक वेस्ट का ढेर लग गया है.
इसके बाद जापान की सरकार ने पिछले साल इसके लिए एक योजना बनाई है. इसके मुताबिक 2030 तक देश में प्लास्टिक वेस्ट को घटाकर 94 लाख टन तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा यह भी प्रस्ताव है कि दुकानदार को प्लास्टिक बैग के लिए लोगों से कीमत वसूलने को कहा जाए.