नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन अगले साल जनवरी में भारत दौरे पर आएंगे. अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर नई दिल्ली आ रहे मॉरिसन रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogu) 2020 में उद्धाटन भाषण देंगे.
मॉरिसन ने गुरुवार को सिडनी टाउन हॉल में देश की विदेश नीति को लेकर अपने संबोधन में कहा, 'मुझे जनवरी (2020) में भारत जाना है. इसके लिए मुझे भारत की तरफ से निमंत्रण मिला है. मैं मित्र प्रधानमंत्री मोदी का निमंत्रण स्वीकार करते हुए स्वयं को बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं.'
बता दें कि जियो-पॉलिटिक्स और जियो-इकोनॉमिक्स पर भारत का वार्षिक प्रमुख मंच रायसीना डायलॉग अगले साल 14 से 16 जनवरी तक आयोजित किया जाना है. सम्मेलन को विदेश मंत्रालय के सहयोग से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित किया जा रहा है.
इस बीच ओआरएफ के अध्यक्ष समीर सरन ने ट्वीट के जरिये ऑस्ट्रेलियाई पीएम को भारतीय निमंत्रण स्वीकार करने के लिए धन्यवाद दिया. समीर ने ट्वीट में आगे कहा, 'हमे खुशी है कि मॉरिसन रायसीना डायलॉग में उद्घाटन भाषण देंगे.'
मॉरिसन ने रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए एक नैसर्गिक साथी है. मॉरिसन ने कहा कि आगामी यात्रा के दौरान के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल बोर्ड के अध्यक्ष अशोक जैकाब को आंमत्रित किया है.
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा, 'यह यात्रा एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ होगी. यह हमारी और भारत की आर्थिक रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और व्यापार को एक साथ लाएगी. यह भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी के शीर्ष स्तर पर भारत को मजबूत करने लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर मॉरिसन ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में एक महान सफलता की कहानी है. यह टिकाऊ संस्थानों और साझा मूल्यों का देश है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौता, 16 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर अगले महीने हस्ताक्षर किए जाएंगे.
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मॉरिसन ने कहा, 'अगले महीने हम, हमारे आसियान साझेदार और क्षेत्र के अन्य राष्ट्र क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी को अंतिम रूप देने की उम्मीद करते हैं. इसमें 16 अर्थव्यवस्थाओं की 3.5 बिलियन और 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की कुल जीडीपी समाहित है.'
ऑस्ट्रेलियाई पीएम के अनुसार इस सौदे का विशेष महत्व यह है कि यह भारत को इंडो-पैसिफिक अर्थव्यवस्था में और अधिक मजबूती प्रदान करेगा.