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ईस्टर हमले की बरसी से एक से दिन पहले देश में दूसरे हमले की योजना भी बना रहे थे दोषी

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Published : Apr 21, 2020, 2:08 PM IST

ईस्टर के दिन श्रीलंका में आतंकी हमलों की बरसी से ठीक एक दिन पहले जब श्रीलंका पुलिस प्रवक्ता एसपी जालिया सेनारत्ने ने जानकारी दी कि अपराधी देश में दूसरे हमले की योजना भी बना रहे थे. पिछले साल आज ही के दिन हुए हमले में 259 से अधिक निर्दोष मारे गए जिनमें 45 विदेशी नागरिक (11 भारतीय) और तीन पुलिस अधिकारी शामिल थे, और कम से कम 500 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा करोड़ो संपत्ति का नुकसान हुआ था.

ईस्टर हमले की बरसी
ईस्टर हमले की बरसी

हैदराबाद : ईस्टर के दिन श्रीलंका में आतंकी हमलों के एक बाद एक साल बीत गए. हालांकि, एक साल के बाद भी इस द्वीप राष्ट्र पर हुए भीषण हमलों से जुड़े कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं. हमलों की बरसी से ठीक एक दिन पहले जब श्रीलंका पुलिस प्रवक्ता एसपी जालिया सेनारत्ने ने जानकारी दी कि अपराधी देश में दूसरे हमले की योजना भी बना रहे थे.

अधिकारी के हवाले से अखबार ने बताया, 'हाल में गिरफ्तार संदिग्धों ने खुलासा किया कि वे कट्टरपंथ की तालीम देने, युवाओं को इस्लाम की गलत व्याख्या कर भड़काने वाले कुछ संगठनो के लिए काम करते हैं.'

पिछले साल आज ही के दिन हुए हमले में 259 से अधिक निर्दोष मारे गए जिनमें 45 विदेशी नागरिक (11 भारतीय) और तीन पुलिस अधिकारी शामिल थे, और कम से कम 500 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा करोड़ो संपत्ति का नुकसान हुआ था.

ईस्टर हमले की बरसी

इस हमले में कोलोंबो , नेगोमबो और बैटिकलोआ में ईसाईयों को ईस्टर संडे के दौरान लक्षित कर विस्फोट किया गया था.

एक साल बाद कहां पहुंची जांच?

इस मामले में जांच कर रही पुलिस ने दो हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां की. इस हमले के बाद श्रीलंकन पुलिस ने एक प्रमुख वकील और एक मुस्लिम राजनीतिक दल के नेता के भाई को गिरफ्तार किया, जो कथित रूप से आत्मघाती हमलावरों में शामिल थे.

नेशनल थोहेद जमात ने करवाया था हमला

स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी समूह नेशनल थोहेद जमात (NTJ) से जुड़े नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन चर्च और तीन लग्जरी होटल में विस्फोट किया. NTJ एक जिहादी समूह है, जो इस्लामिक स्टेट से संबद्ध है. हमले के बादश्रीलंकन सरकार ने इस समूह पर प्रतिबंध लगा दिया.

कोरोना वायरस के कारण लोगों ने घर में मनाया ईस्टर

श्रीलंका में ईसाईयों ने रविवार को अपने घरों में ईस्टर मनाया, टेलीविजन के माध्यम से धार्मिक सेवाओं में भाग लिया क्योंकि कोरोन वायरस महामारी के कारण चर्च बंद रहे.

टीवी स्टेशनों ने हिंद महासागर द्वीप राष्ट्र में उपयोग की जाने वाली तीन मुख्य भाषाओं में ईस्टर विजिल और होली मास को प्रसारित किया. लेकिन 259 से अधिक लोगों को याद करने के लिए कोई संगठित कार्यक्रम नहीं थे.

मरने वालों में अधिकतर कैथोलिक समुदाय से संबंधित

ज्यादातर कैथोलिक थे, जो पिछले ईस्टर में श्रीलंका के तीन चर्चों और तीन होटलों पर इस्लामिक स्टेट समूह-प्रेरित बम हमलों में मारे गए थे.

आपातकालीन स्थिति

हमले के बाद श्रीलंका की सरकार ने हमलों के बाद सुरक्षा के मद्देनजर सभी सुविधाओं को बंद कर दिया. अधिकारियों की जांच के लिए देश में आपात स्थिति लगा दी और हमलावरो कों बिना वारंट के गिरफतार करने की इजाजात दी.

तत्कालीन शिक्षा मंत्री अकिला विराज करियावासम ने अगले दो दिनों के लिए सभी स्कूल बंद कर दिए थे. उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने बम विस्फोटों की जांच के लिए एक राष्ट्रपति आयोग की नियुक्ति की. इसके अलावा राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भी औपचारिक जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त की और पीड़ितों को न्याय देने का वादा किया.

चेहरा ढकने पर लगाई रोक

इसके अलावा सिरिसेना ने देशभर में चेहरे ढकने वाले परिधान और बुर्का पहनने पर पांबदी लगा दी. इसके अलावा मस्जिदों के अंदर गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी.

पुलिस प्रमुख और तत्कालीन शीर्ष नौकरशाह बर्खास्त हुए

हमलों ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी और रक्षा मंत्रालय पर तत्कालीन पुलिस प्रमुख और तत्कालीन शीर्ष नौकरशाह को बर्खास्त कर दिया, उन पर हमले की पूर्व खुफिया जानकारी के बावजूद हमलों को रोकने में विफल रहने का आरोप था.

आतंकवाद-रोधी अधिनियम बनाया

इस घातक घटना ने 2019 के श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले सरकार और अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया. हमले के बाद , सरकार ने आतंकी हमले रोकने के लिए आतंकवाद-रोधी अधिनियम बनाया. इसके अलावा मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय ने मंत्रालय के तहत एक बोर्ड स्थापित करने के लिए मदरसा शिक्षा नियामक अधिनियम का प्रस्ताव दिया.यह अधिनियम श्रीलंका में मदरसों के भीतर शिक्षा के विनियमन, पंजीकरण, पर्यवेक्षण, नियंत्रण और विकास के लिए था.

पर्यटन क्षेत्र हुआ बर्बाद

हमलों ने द्वीप के पर्यटन क्षेत्र को तबाह कर दिया. टूरिज्म ऑपरेटरों ने सुरक्षा भय के कारण बुकिंग रद्द कर दी.

हैदराबाद : ईस्टर के दिन श्रीलंका में आतंकी हमलों के एक बाद एक साल बीत गए. हालांकि, एक साल के बाद भी इस द्वीप राष्ट्र पर हुए भीषण हमलों से जुड़े कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं. हमलों की बरसी से ठीक एक दिन पहले जब श्रीलंका पुलिस प्रवक्ता एसपी जालिया सेनारत्ने ने जानकारी दी कि अपराधी देश में दूसरे हमले की योजना भी बना रहे थे.

अधिकारी के हवाले से अखबार ने बताया, 'हाल में गिरफ्तार संदिग्धों ने खुलासा किया कि वे कट्टरपंथ की तालीम देने, युवाओं को इस्लाम की गलत व्याख्या कर भड़काने वाले कुछ संगठनो के लिए काम करते हैं.'

पिछले साल आज ही के दिन हुए हमले में 259 से अधिक निर्दोष मारे गए जिनमें 45 विदेशी नागरिक (11 भारतीय) और तीन पुलिस अधिकारी शामिल थे, और कम से कम 500 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा करोड़ो संपत्ति का नुकसान हुआ था.

ईस्टर हमले की बरसी

इस हमले में कोलोंबो , नेगोमबो और बैटिकलोआ में ईसाईयों को ईस्टर संडे के दौरान लक्षित कर विस्फोट किया गया था.

एक साल बाद कहां पहुंची जांच?

इस मामले में जांच कर रही पुलिस ने दो हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां की. इस हमले के बाद श्रीलंकन पुलिस ने एक प्रमुख वकील और एक मुस्लिम राजनीतिक दल के नेता के भाई को गिरफ्तार किया, जो कथित रूप से आत्मघाती हमलावरों में शामिल थे.

नेशनल थोहेद जमात ने करवाया था हमला

स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी समूह नेशनल थोहेद जमात (NTJ) से जुड़े नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन चर्च और तीन लग्जरी होटल में विस्फोट किया. NTJ एक जिहादी समूह है, जो इस्लामिक स्टेट से संबद्ध है. हमले के बादश्रीलंकन सरकार ने इस समूह पर प्रतिबंध लगा दिया.

कोरोना वायरस के कारण लोगों ने घर में मनाया ईस्टर

श्रीलंका में ईसाईयों ने रविवार को अपने घरों में ईस्टर मनाया, टेलीविजन के माध्यम से धार्मिक सेवाओं में भाग लिया क्योंकि कोरोन वायरस महामारी के कारण चर्च बंद रहे.

टीवी स्टेशनों ने हिंद महासागर द्वीप राष्ट्र में उपयोग की जाने वाली तीन मुख्य भाषाओं में ईस्टर विजिल और होली मास को प्रसारित किया. लेकिन 259 से अधिक लोगों को याद करने के लिए कोई संगठित कार्यक्रम नहीं थे.

मरने वालों में अधिकतर कैथोलिक समुदाय से संबंधित

ज्यादातर कैथोलिक थे, जो पिछले ईस्टर में श्रीलंका के तीन चर्चों और तीन होटलों पर इस्लामिक स्टेट समूह-प्रेरित बम हमलों में मारे गए थे.

आपातकालीन स्थिति

हमले के बाद श्रीलंका की सरकार ने हमलों के बाद सुरक्षा के मद्देनजर सभी सुविधाओं को बंद कर दिया. अधिकारियों की जांच के लिए देश में आपात स्थिति लगा दी और हमलावरो कों बिना वारंट के गिरफतार करने की इजाजात दी.

तत्कालीन शिक्षा मंत्री अकिला विराज करियावासम ने अगले दो दिनों के लिए सभी स्कूल बंद कर दिए थे. उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने बम विस्फोटों की जांच के लिए एक राष्ट्रपति आयोग की नियुक्ति की. इसके अलावा राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भी औपचारिक जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त की और पीड़ितों को न्याय देने का वादा किया.

चेहरा ढकने पर लगाई रोक

इसके अलावा सिरिसेना ने देशभर में चेहरे ढकने वाले परिधान और बुर्का पहनने पर पांबदी लगा दी. इसके अलावा मस्जिदों के अंदर गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी.

पुलिस प्रमुख और तत्कालीन शीर्ष नौकरशाह बर्खास्त हुए

हमलों ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी और रक्षा मंत्रालय पर तत्कालीन पुलिस प्रमुख और तत्कालीन शीर्ष नौकरशाह को बर्खास्त कर दिया, उन पर हमले की पूर्व खुफिया जानकारी के बावजूद हमलों को रोकने में विफल रहने का आरोप था.

आतंकवाद-रोधी अधिनियम बनाया

इस घातक घटना ने 2019 के श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले सरकार और अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया. हमले के बाद , सरकार ने आतंकी हमले रोकने के लिए आतंकवाद-रोधी अधिनियम बनाया. इसके अलावा मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय ने मंत्रालय के तहत एक बोर्ड स्थापित करने के लिए मदरसा शिक्षा नियामक अधिनियम का प्रस्ताव दिया.यह अधिनियम श्रीलंका में मदरसों के भीतर शिक्षा के विनियमन, पंजीकरण, पर्यवेक्षण, नियंत्रण और विकास के लिए था.

पर्यटन क्षेत्र हुआ बर्बाद

हमलों ने द्वीप के पर्यटन क्षेत्र को तबाह कर दिया. टूरिज्म ऑपरेटरों ने सुरक्षा भय के कारण बुकिंग रद्द कर दी.

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