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पाकिस्तान : पंजाब प्रांत में 52 प्रतिशत जबरन धर्म परिवर्तन के मामले दर्ज

पाकिस्तान में शनिवार को फॉर सोशल जस्टिस नाम के एक संगठन ने जबरन धर्म परिवर्तन शिकायतें और धार्मिक स्वतंत्रता के टॉपिक पर एक ऑनलाइन चर्चा आयोजित की थी, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. एक खुलासे में ये सामने आया कि महिलाओं के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के 52 प्रतिशत मामले पंजाब प्रांत के हैं.

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धर्म परिवर्तन के मामले दर्ज
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Published : Nov 29, 2020, 3:58 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी अधिकार समूह के एक संगठन ने दावा किया है कि पंजाब प्रांत में महिलाओं के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के 52 प्रतिशत मामले सामने आए हैं. खासतौर से अल्पसंख्यक समुदायों के कम उम्र की लड़कियों के साथ ऐसा हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सीएसजे) नामक संगठन ने शनिवार को ऑनलाइन आयोजित 'जबरन धर्म परिवर्तन शिकायतें और धार्मिक स्वतंत्रता' नामक टॉपिक पर चर्चा किया, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ.

सीएसजे ने कहा कि, 2013 और 2020 के बीच लगभग 162 संदिग्ध धर्म परिवर्तन के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसे 1973 के पाकिस्तान के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के कारण कराया गया.

पंजाब के अलावा सिंध के आंकड़ें
सीएसजे के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के अलावा इनमें से 44 प्रतिशत घटनाएं सिंध में भी दर्ज की गई हैं, जबकि संघीय और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्रों में 1.23 प्रतिशत रिपोर्ट की गई थी, जबकि एक मामला (0.62 प्रतिशत) बलूचिस्तान में दर्ज किया गया है.

पिछले सात सालों में बहावलपुर में इस तरह के सबसे अधिक 21 मामले दर्ज किए गए हैं.

पढ़ें: 29 नवंबर : फिलीस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय दिवस

46.3 प्रतिशत से अधिक पीड़ित नाबालिग
सीएसजे ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि 54.3 फीसदी पीड़ित हिंदू समुदाय के हैं, जबकि 44.44 फीसदी ईसाई और 0.62 फीसदी सिख और कलश समुदाय के हैं.

आंकड़ों की मानें, तो 46.3 प्रतिशत से अधिक पीड़ित नाबालिग थीं, उनमें से कुछ 32.7 प्रतिशत लड़कियों की उम्र 11-15 वर्ष के बीच की थी.

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी अधिकार समूह के एक संगठन ने दावा किया है कि पंजाब प्रांत में महिलाओं के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के 52 प्रतिशत मामले सामने आए हैं. खासतौर से अल्पसंख्यक समुदायों के कम उम्र की लड़कियों के साथ ऐसा हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सीएसजे) नामक संगठन ने शनिवार को ऑनलाइन आयोजित 'जबरन धर्म परिवर्तन शिकायतें और धार्मिक स्वतंत्रता' नामक टॉपिक पर चर्चा किया, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ.

सीएसजे ने कहा कि, 2013 और 2020 के बीच लगभग 162 संदिग्ध धर्म परिवर्तन के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसे 1973 के पाकिस्तान के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के कारण कराया गया.

पंजाब के अलावा सिंध के आंकड़ें
सीएसजे के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के अलावा इनमें से 44 प्रतिशत घटनाएं सिंध में भी दर्ज की गई हैं, जबकि संघीय और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्रों में 1.23 प्रतिशत रिपोर्ट की गई थी, जबकि एक मामला (0.62 प्रतिशत) बलूचिस्तान में दर्ज किया गया है.

पिछले सात सालों में बहावलपुर में इस तरह के सबसे अधिक 21 मामले दर्ज किए गए हैं.

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46.3 प्रतिशत से अधिक पीड़ित नाबालिग
सीएसजे ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि 54.3 फीसदी पीड़ित हिंदू समुदाय के हैं, जबकि 44.44 फीसदी ईसाई और 0.62 फीसदी सिख और कलश समुदाय के हैं.

आंकड़ों की मानें, तो 46.3 प्रतिशत से अधिक पीड़ित नाबालिग थीं, उनमें से कुछ 32.7 प्रतिशत लड़कियों की उम्र 11-15 वर्ष के बीच की थी.

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