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विश्व स्वास्थ्य संगठन से आधिकारिक रूप से अलग हुआ अमेरिका : रिपोर्ट - कोरोना वायरस

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक रूप से अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से अलग कर लिया है. बता दें कि उन्होंने मई में ही डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को अलग करने के लिए कहा था. उसके पहले उन्होंने अमेरिका की तरफ से डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली सहायता राशि पर भी रोक लगा दी थी.

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Published : Jul 8, 2020, 5:45 AM IST

Updated : Jul 8, 2020, 2:57 PM IST

वॉशिंगटन : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आधिकारिक रूप से अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अलग कर लिया है. यह जानकारी अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों से मिली है. यह फैसला सोमवार से प्रभावी किया गया है और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को इस बारे में सूचित कर दिया गया है.

अमेरिकी सांसद मेनेंडेज ने ट्वीट कर कहा कि, 'कांग्रेस को राष्ट्रपति कार्यालय से यह जानकारी मिली है कि अमेरिका कोरोना महामारी के बीच डब्ल्यूएचओ से आधिकारिक तौर पर अलग हो गया है.' कोरोना के समय में ट्रंप का यह निर्णय अन्यायपूर्ण है. ट्रंप का यह निर्णय अमेरिकियों की रक्षा नहीं करेगा,बल्कि महामारी के समय उन्हें अलग-थलग कर देगा.'

अमेरिका सांसद का ट्वीट
अमेरिकी सांसद का ट्वीट

बता दें कि मई में ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अपने सभी संबंध खत्म करने के लिए कहा था. उसके पहले उन्होंने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली राशि पर भी रोक लगा थी.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन डब्ल्यूएचओ को एक साल में 40 मिलियन डॉलर देने के बावजूद अपने नियंत्रण में रखता है, जबकि अमेरिका एक साल में डब्ल्यूएचओ को करीब 450 मिलियन डॉलर का अनुदान देता है. उन्होंने कहा था कि डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली सहायता राशि अब वैश्विक जरूरतों के लिए दी जाएगी.

बता दें कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ पर लगातार कोविड-19 को लेकर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाता रहा है. यह वैश्विक महामारी पिछले साल चीन के वुहान शहर से ही शुरू हुई थी. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य संगठन के विश्व को गुमराह करने के कारण इस वायरस से दुनिया भर में पांच लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 1,30,000 से अधिक लोग तो अमेरिका के ही हैं.

ट्रंप प्रशासन के संबंधों की समीक्षा शुरू करने के बाद अमेरिका ने अप्रैल में ही डब्ल्यूएचओ को कोष देना बंद कर दिया था. इसके एक महीने बाद ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंध समाप्त करने की घोषणा की थी. अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे अधिक कोष, 45 करोड़ डॉलर से अधिक प्रति वर्ष देता है जबकि चीन का योगदान अमेरिका के योगदान के 10वें हिस्से के बराबर है.

अमेरिका के डब्ल्यूएचओ से अलग होने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा, 'मैं कह सकता हूं कि छह जुलाई 2020 को अमेरिका ने महासचिव को विश्च स्वास्थ्य संगठन से हटने की आधिकारिक जानकारी दी जो छह जुलाई 2021 से प्रभावी होगा.'

दुजारिक ने कहा कि महासचिव डब्ल्यूएचओ के साथ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि संगठन से हटने की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं की नहीं. गौरतलब है कि अमेरिका 21 जून 1948 से डब्ल्यूएचओ संविधान का पक्षकार है.

वॉशिंगटन : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आधिकारिक रूप से अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अलग कर लिया है. यह जानकारी अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों से मिली है. यह फैसला सोमवार से प्रभावी किया गया है और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को इस बारे में सूचित कर दिया गया है.

अमेरिकी सांसद मेनेंडेज ने ट्वीट कर कहा कि, 'कांग्रेस को राष्ट्रपति कार्यालय से यह जानकारी मिली है कि अमेरिका कोरोना महामारी के बीच डब्ल्यूएचओ से आधिकारिक तौर पर अलग हो गया है.' कोरोना के समय में ट्रंप का यह निर्णय अन्यायपूर्ण है. ट्रंप का यह निर्णय अमेरिकियों की रक्षा नहीं करेगा,बल्कि महामारी के समय उन्हें अलग-थलग कर देगा.'

अमेरिका सांसद का ट्वीट
अमेरिकी सांसद का ट्वीट

बता दें कि मई में ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अपने सभी संबंध खत्म करने के लिए कहा था. उसके पहले उन्होंने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली राशि पर भी रोक लगा थी.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन डब्ल्यूएचओ को एक साल में 40 मिलियन डॉलर देने के बावजूद अपने नियंत्रण में रखता है, जबकि अमेरिका एक साल में डब्ल्यूएचओ को करीब 450 मिलियन डॉलर का अनुदान देता है. उन्होंने कहा था कि डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली सहायता राशि अब वैश्विक जरूरतों के लिए दी जाएगी.

बता दें कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ पर लगातार कोविड-19 को लेकर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाता रहा है. यह वैश्विक महामारी पिछले साल चीन के वुहान शहर से ही शुरू हुई थी. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य संगठन के विश्व को गुमराह करने के कारण इस वायरस से दुनिया भर में पांच लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 1,30,000 से अधिक लोग तो अमेरिका के ही हैं.

ट्रंप प्रशासन के संबंधों की समीक्षा शुरू करने के बाद अमेरिका ने अप्रैल में ही डब्ल्यूएचओ को कोष देना बंद कर दिया था. इसके एक महीने बाद ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंध समाप्त करने की घोषणा की थी. अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे अधिक कोष, 45 करोड़ डॉलर से अधिक प्रति वर्ष देता है जबकि चीन का योगदान अमेरिका के योगदान के 10वें हिस्से के बराबर है.

अमेरिका के डब्ल्यूएचओ से अलग होने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा, 'मैं कह सकता हूं कि छह जुलाई 2020 को अमेरिका ने महासचिव को विश्च स्वास्थ्य संगठन से हटने की आधिकारिक जानकारी दी जो छह जुलाई 2021 से प्रभावी होगा.'

दुजारिक ने कहा कि महासचिव डब्ल्यूएचओ के साथ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि संगठन से हटने की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं की नहीं. गौरतलब है कि अमेरिका 21 जून 1948 से डब्ल्यूएचओ संविधान का पक्षकार है.

Last Updated : Jul 8, 2020, 2:57 PM IST
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