ह्यूस्टन : एयरोनॉटिकल इंजीनियर सिरिशा बांदला रविवार को अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई. उन्होंने न्यू मैक्सिको से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रानसन सहित वर्जिन गैलेक्टिक के पूर्ण चालक दल सदस्य के साथ उपकक्षीय परीक्षण उड़ान भरी.
वर्जिन गैलेक्टिक वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान है जिसने खराब मौसम की वजह से करीब 90 मिनट की देरी से 1.5 घंटे की उड़ान न्यू मैक्सिको के ऊपर भरी.
वर्जिन गैलेक्टिक वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान उद्यमी रिचर्ड ब्रैनसन की सबसे साहसिक साहसिक परियोजना मानी जा रही है. उन्होंने अपने साथी अरबपति जेफ बेजोस को पछाड़ते हुए अपने अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष में प्रवेश किया.
लगभग 71 वर्षीय ब्रैनसन और उनकी वर्जिन गेलेक्टिक अंतरिक्ष पर्यटन कंपनी के पांच चालक दल न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान के ऊपर लगभग 53 मील (८८ किलोमीटर) की ऊंचाई पर पहुंच गए.
इसके बाद तीन से चार मिनट के भारहीनता (weightlessness) का अनुभव करने और पृथ्वी की वक्रता (curvature) को देखने के बाद फिर सुरक्षित रूप से एक रनवे लैंडिंग के लिए घर वापस आ गया.
बता दें कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में जन्मीं और टेक्सास के ह्यूस्टम में पली-बढ़ीं बांदला, कंपनी के अरबपति संस्थापक सर रिचर्ड ब्रेनसन तथा वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्षयान टू 'यूनिटी' में सवार होने वाले पांच अन्य सदस्यों के साथ न्यू मेक्सिको से अंतरिक्ष के सिरे तक का सफर किया.
सफर से पहले उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं यूनिटी 22 के अद्भुत क्रू का हिस्सा और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनने के लिए अविश्वसनीय रूप से सम्मानित महसूस कर रही हूं, जिसका मिशन अंतरिक्ष को सभी के लिए उपलब्ध कराना है.'
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बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई हैं. उनसे पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं. हालांकि, भारतीय नागरिक के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले एक मात्र विंग कमांडर राकेश शर्मा हैं. वायुसेना के पूर्व पायलट शर्मा तीन अप्रैल 1984 को सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे.
बांदला जब चार साल की थीं तब अमेरिका चली गई थीं और वर्ष 2011 में पुर्डे यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक किया. उन्होंने वर्ष 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की.