वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि वह चीन की आक्रामकता के खिलाफ भारत के प्रति एकजुट है. इसके साथ ही अमेरिका के कई सांसदों ने 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए पीएलए के सैनिक को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने के चीन के फैसले की निंदा की है. बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, 'जहां तक बात भारत-चीन सीमा विवाद की है, हम सीधे संवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना जारी रखेंगे.'
उन्होंने कहा कि, 'हमने पहले भी अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है. लेकिन जैसा कि हम हमेशा करते हैं, हम अपने दोस्तों के साथ खड़े हैं. हम हिंद-प्रशांत में अपनी साझा समृद्धि, सुरक्षा तथा मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों और सहयोगियों के साथ हैं.' इससे पहले, दो शीर्ष अमेरिकी सांसदों मार्को रुबियो और जिम रिश ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फाबाओ को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने के फैसले के लिए चीन की आलोचना की थी.
वहीं अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने भी आरोप लगाया कि चीन की सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा ओलंपिक का इस्तेमाल किया जा रहा है और चीन में हो रहे मानवाधिकारों के हनन से दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि सेना के रेजिमेंट कमांडर क्वी फाबाओ 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ सीमा पर हुई हिसंक झड़प में घायल हो गए थे जिसके बाद चीन ने ओलंपिक समारोह में उन्हें मशाल वाहक के रूप में चुना है.
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वहीं गलवान घाटी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. पिछले साल फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि उसके पांच सैन्य अधिकारी तथा जवान झड़प में शहीद हुए थे. बता दें कि बीजिंग में 24वें शीतकालीन ओलंपिक समारोह की शुरुआत शुक्रवार को होगी.
(पीटीआई-भाषा)