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अमेरिका ने पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाले NSO समूह को किया ब्लैकलिस्ट

अमेरिका ने इजराइल के एनएसओ समूह को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. बता दें कि पेगासस स्पाईवेयरका निर्माण इसी एनएसओ समूह ने किया है.

पेगासस स्पाईवेयर
पेगासस स्पाईवेयर
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Published : Nov 3, 2021, 10:20 PM IST

Updated : Nov 4, 2021, 2:48 AM IST

वाशिंगटन : अमेरिका ने इजराइल के एनएसओ समूह को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. समूह पर अमेरिका की विदेश नीति और सुरक्षा हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए यह कार्रवाई की गई है.

वहीं, विवाद सामने आने पर इस सॉफ्टवेयर के निर्माता कंपनी ने कहा था कि यह स्पाईवेयर अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए बनाया गया है और कंपनी इसे सिर्फ किसी भी देश की सरकारों को ही बेचती है. हालांकि, हाल ही में कुछ रिपोर्ट से इसको लेकर चौंकाने वाले दावे किए थे. जिसके मुताबिक कई लोगों की इस स्पाईवेयर के जरिए कई जासूसी की गई थी.

बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर का निर्माण इसी एनएसओ समूह ने किया है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, यह कार्रवाई बाइडेन प्रशासन के 'मानव अधिकारों को अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रखने के प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें दमन के लिए उपयोग किए जाने वाले डिजिटल उपकरणों के प्रसार को रोकने के लिए काम करना शामिल है.

इससे पहले एक मीडिया कंसोर्टियम ने अपनी जांच में पाया था कि पेगासस का इस्तेमाल पूरे विश्व में अलग-अलग राजनेताओं, व्यापारियों, मानवाधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं तथा अन्य बड़ी हस्तियों के फोन हैक करने और उनकी जासूसी में किया गया था.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे.

उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

वाशिंगटन : अमेरिका ने इजराइल के एनएसओ समूह को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. समूह पर अमेरिका की विदेश नीति और सुरक्षा हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए यह कार्रवाई की गई है.

वहीं, विवाद सामने आने पर इस सॉफ्टवेयर के निर्माता कंपनी ने कहा था कि यह स्पाईवेयर अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए बनाया गया है और कंपनी इसे सिर्फ किसी भी देश की सरकारों को ही बेचती है. हालांकि, हाल ही में कुछ रिपोर्ट से इसको लेकर चौंकाने वाले दावे किए थे. जिसके मुताबिक कई लोगों की इस स्पाईवेयर के जरिए कई जासूसी की गई थी.

बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर का निर्माण इसी एनएसओ समूह ने किया है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, यह कार्रवाई बाइडेन प्रशासन के 'मानव अधिकारों को अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रखने के प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें दमन के लिए उपयोग किए जाने वाले डिजिटल उपकरणों के प्रसार को रोकने के लिए काम करना शामिल है.

इससे पहले एक मीडिया कंसोर्टियम ने अपनी जांच में पाया था कि पेगासस का इस्तेमाल पूरे विश्व में अलग-अलग राजनेताओं, व्यापारियों, मानवाधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं तथा अन्य बड़ी हस्तियों के फोन हैक करने और उनकी जासूसी में किया गया था.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे.

उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

Last Updated : Nov 4, 2021, 2:48 AM IST
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