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अमेरिका ने हुवावेई को काली सूची में डाला, चीन ने कहा- जरूरी कदम उठाएंगे

अमेरिका ने चीन की दूरसंचार नेटवर्क और उपकरण कंपनी हुवावेई (Huawei) के उपकरणों का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. इससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में कटुता और बढ़ने के आसार है. हुवावेई ने कदम को अनुचित और अपने अधिकारों का उल्लंघन बताया है.

डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग.
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Published : May 16, 2019, 10:02 PM IST

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध बढ़ता ही जा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को विदेश में बने उन दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करने से रोक दिया है. ट्रंप ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. यह कदम चीन की दूरसंचार नेटवर्क और उपकरण कंपनी हुवावेई को ध्यान में रख कर उठाया गया है.

इससे पहले अमेरिका ने चीन के 200 अरब डॉलर के सामानों पर शुल्क बढ़ाया था. चीन ने अमेरिका की कार्रवाई पर जवाबी कदम उठाते हुए 60 अरब डॉलर के अमेरिकी सामानों पर आयात-शुल्क बढ़ाया.

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बाबत बुधवार को एक आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस आदेश में सीधे तौर पर किसी कंपनी या देश का नाम नहीं है लेकिन अधिकारी पहले कह चुके हैं कि हुवावेई सुरक्षा के लिहाज से खतरा है. अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को उससे (हुवावेई) 5 जी दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लिए उपकरण नहीं खरीदने के लिए कहा है.

राष्ट्रपति का यह आदेश आने वाले दिनों में लागू हो जाएगा. इसके तहत हुवावेई को अमेरिकी प्रौद्योगिकी खरीदने के लिए अमेरिकी सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत होगी.

अमेरिका के वाणिज्य विभाग के उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) ने घोषणा की है कि वह हुवावेई टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड और उससे संबद्ध कंपनियों को व्यापार के लिए प्रतिबंधित इकाइयों की सूची में डालेगा.

उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो इस सूची में उन विदेशी पक्षों को रखता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति हितों के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल हों. इनमें व्यक्ति, कंपनी, कारोबार, शोध संस्थान या सरकारी संगठन हो सकते हैं.

वाणिज्य विभाग का आरोप है कि हुवावेई की गतिविधियां अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों के खिलाफ है. इस सूची में शामिल कंपनी या व्यक्ति को अमेरिकी प्रौद्योगिकी की बिक्री या स्थानांतरण करने के लिए बीआईएस के लाइसेंस की जरूरत होती है. यदि बिक्री या स्थानांतरण अमेरिकी सुरक्षा या विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने वाला हो तो लाइसेंस देने से मना किया जा सकता है.

पढ़ें-चीन ने अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामानों पर लगाया जवाबी शुल्क

वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति के सहयोग से वाणिज्य विभाग के उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो ने कार्रवाई करते हुए हुवावेई को काली सूची वाली इकाइयों में डाला है.'

हुवावेई दुनिया की सबसे बड़ी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी है. वाणिज्य विभाग का फैसला संघीय राज-पत्र में प्रकाशित होने के बाद लागू हो जाएगा.

रॉस ने कहा कि यह कदम विदेशी स्वामित्व वाली इकाइयों को अमेरिकी प्रौद्योगिकी का उन तरीकों से उपयोग करने से रोकेगा, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों को संभावित रूप से कमजोर करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है.

इसी बीच चीन ने कहा है कि वह अपनी कंपनियों के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी.

ट्रंप के कदम पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि चीन अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा. उन्होंने कहा कि चीन अपने कारोबारों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

उन्होंने कहा कि हमने अमेरिका के वाणिज्य विभाग के फैसले पर गौर किया है. चीन अपने कारोबारों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

बकौल लू कांग चीन ने हमेशा अपनी कंपनियों को निर्यात नियंत्रण में कानूनों और नियमों का पालन करने और अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए कहा है. हमने वैश्विक कारोबार में हमेशा उनसे अन्य देशों के नियमों का पालन करने को कहा है.

लू ने कहा , 'हम घरेलू कानून और गतिविधियों के आधार पर अन्य देशों के अनुचित प्रतिबंधों के खिलाफ रहे हैं. हम अमेरिका से इस तरह की गतिविधियों को रोकने और बेहतर कारोबारी सहयोग स्थापित करने का आग्रह करते हैं.'

हुवावेई ने ट्रंप सरकार की ओर से अमेरिकी कंपनियों को विदेशी दूरसंचार उपकरणों के इस्तेमाल से रोकने पर कहा है कि अमेरिका का अनुचित प्रतिबंध उसके अधिकारों का उल्लंघन है.

पढ़ें-चीन अभी कर ले व्यापार समझौता वर्ना 2020 के बाद स्थिति होगी और खराब: ट्रंप

कंपनी ने बयान में कहा, 'हुवावेई को अमेरिका में कारोबार करने से रोककर अमेरिका बहुत ज्यादा सुरक्षित या मजबूत नहीं होगा बल्कि, यह कदम अमेरिका के लिए नुकसानदेह होगा और उसे अधिक महंगे विकल्प अपनाने होंगे.'

कंपनी ने कहा कि अमेरिका के अनुचित प्रतिबंध हुवावेई के अधिकारों में हस्तक्षेप करेंगे और अन्य गंभीर कानून मुद्दे खड़े करेंगे.

(एजेंसी इनपुट)

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध बढ़ता ही जा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को विदेश में बने उन दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करने से रोक दिया है. ट्रंप ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. यह कदम चीन की दूरसंचार नेटवर्क और उपकरण कंपनी हुवावेई को ध्यान में रख कर उठाया गया है.

इससे पहले अमेरिका ने चीन के 200 अरब डॉलर के सामानों पर शुल्क बढ़ाया था. चीन ने अमेरिका की कार्रवाई पर जवाबी कदम उठाते हुए 60 अरब डॉलर के अमेरिकी सामानों पर आयात-शुल्क बढ़ाया.

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बाबत बुधवार को एक आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस आदेश में सीधे तौर पर किसी कंपनी या देश का नाम नहीं है लेकिन अधिकारी पहले कह चुके हैं कि हुवावेई सुरक्षा के लिहाज से खतरा है. अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को उससे (हुवावेई) 5 जी दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लिए उपकरण नहीं खरीदने के लिए कहा है.

राष्ट्रपति का यह आदेश आने वाले दिनों में लागू हो जाएगा. इसके तहत हुवावेई को अमेरिकी प्रौद्योगिकी खरीदने के लिए अमेरिकी सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत होगी.

अमेरिका के वाणिज्य विभाग के उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) ने घोषणा की है कि वह हुवावेई टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड और उससे संबद्ध कंपनियों को व्यापार के लिए प्रतिबंधित इकाइयों की सूची में डालेगा.

उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो इस सूची में उन विदेशी पक्षों को रखता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति हितों के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल हों. इनमें व्यक्ति, कंपनी, कारोबार, शोध संस्थान या सरकारी संगठन हो सकते हैं.

वाणिज्य विभाग का आरोप है कि हुवावेई की गतिविधियां अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों के खिलाफ है. इस सूची में शामिल कंपनी या व्यक्ति को अमेरिकी प्रौद्योगिकी की बिक्री या स्थानांतरण करने के लिए बीआईएस के लाइसेंस की जरूरत होती है. यदि बिक्री या स्थानांतरण अमेरिकी सुरक्षा या विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने वाला हो तो लाइसेंस देने से मना किया जा सकता है.

पढ़ें-चीन ने अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामानों पर लगाया जवाबी शुल्क

वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति के सहयोग से वाणिज्य विभाग के उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो ने कार्रवाई करते हुए हुवावेई को काली सूची वाली इकाइयों में डाला है.'

हुवावेई दुनिया की सबसे बड़ी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी है. वाणिज्य विभाग का फैसला संघीय राज-पत्र में प्रकाशित होने के बाद लागू हो जाएगा.

रॉस ने कहा कि यह कदम विदेशी स्वामित्व वाली इकाइयों को अमेरिकी प्रौद्योगिकी का उन तरीकों से उपयोग करने से रोकेगा, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों को संभावित रूप से कमजोर करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है.

इसी बीच चीन ने कहा है कि वह अपनी कंपनियों के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी.

ट्रंप के कदम पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि चीन अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा. उन्होंने कहा कि चीन अपने कारोबारों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

उन्होंने कहा कि हमने अमेरिका के वाणिज्य विभाग के फैसले पर गौर किया है. चीन अपने कारोबारों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

बकौल लू कांग चीन ने हमेशा अपनी कंपनियों को निर्यात नियंत्रण में कानूनों और नियमों का पालन करने और अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए कहा है. हमने वैश्विक कारोबार में हमेशा उनसे अन्य देशों के नियमों का पालन करने को कहा है.

लू ने कहा , 'हम घरेलू कानून और गतिविधियों के आधार पर अन्य देशों के अनुचित प्रतिबंधों के खिलाफ रहे हैं. हम अमेरिका से इस तरह की गतिविधियों को रोकने और बेहतर कारोबारी सहयोग स्थापित करने का आग्रह करते हैं.'

हुवावेई ने ट्रंप सरकार की ओर से अमेरिकी कंपनियों को विदेशी दूरसंचार उपकरणों के इस्तेमाल से रोकने पर कहा है कि अमेरिका का अनुचित प्रतिबंध उसके अधिकारों का उल्लंघन है.

पढ़ें-चीन अभी कर ले व्यापार समझौता वर्ना 2020 के बाद स्थिति होगी और खराब: ट्रंप

कंपनी ने बयान में कहा, 'हुवावेई को अमेरिका में कारोबार करने से रोककर अमेरिका बहुत ज्यादा सुरक्षित या मजबूत नहीं होगा बल्कि, यह कदम अमेरिका के लिए नुकसानदेह होगा और उसे अधिक महंगे विकल्प अपनाने होंगे.'

कंपनी ने कहा कि अमेरिका के अनुचित प्रतिबंध हुवावेई के अधिकारों में हस्तक्षेप करेंगे और अन्य गंभीर कानून मुद्दे खड़े करेंगे.

(एजेंसी इनपुट)

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