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अमेरिका 'ओपन स्काइज' संधि से अलग, रूस को ठहराया जिम्मेदार

ओपन स्काइज संधि से अमेरिका ने खुद को अलग करने की घोषणा की है. इस संधि में शामिल ज्यादातर देश उत्तर अमेरिका, यूरोप में तथा पश्चिम एशिया के हैं. संधि का सदस्य भारत नहीं है. जानें विस्तार से...

united states separate from open sky treaty
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (फाइल फोटो)
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Published : May 22, 2020, 8:36 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिका ने गुरुवार को ओपन स्काइज संधि से अलग होने के अपने फैसले की घोषणा की. इस संधि के तहत रूस समेत 34 देशों को अपने विमान एक-दूसरे के क्षेत्र में उड़ाने की अनुमति है.

एक जनवरी 2002 को हुई इस संधि का सदस्य भारत नहीं है. इस संधि में शामिल ज्यादातर देश उत्तर अमेरिका, यूरोप में तथा पश्चिम एशिया के हैं.

विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका ओपन स्काइज पर संधि से अलग होने के अपने फैसले का नोटिस ट्रीटी डिपोजिटरीज और इस संधि के सभी पक्षकारों को सौंपेगा.

उन्होंने कहा, 'कल से छह महीने बाद अमेरिका इस संधि का हिस्सा नहीं रहेगा.'

अमेरिका ने कहा कि अगर रूस इस संधि का पूरी तरह से पालन करता है, तो वह इससे अलग होने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इस फैसले के लिए रूस द्वारा इस संधि का पालन न किए जाने को जिम्मेदार ठहराया.

पढ़ें : ह्वाइट हाउस का आरोप- पड़ोसियों से की गईं प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा चीन

ट्रंप ने ह्वाइट हाउस में कहा, 'रूस इस संधि का पालन नहीं करता है. इसलिए जब तक इसका पालन नहीं होता, तब तक हम इससे बाहर रहेंगे, लेकिन इसकी संभावना है कि हम नया समझौता करेंगे या इस समझौते में वापस आने के लिए कुछ करेंगे.'

उन्होंने कहा, 'ऐसा भी समझौता होता है, जहां दूसरा पक्ष सहमत नहीं होता, दुनियाभर में ऐसे कई समझौते हैं, जहां दो पक्षों के बीच समझौता होता है, लेकिन वे इसका पालन नहीं करते और हम करते हैं. जब इस तरह की चीजें होती हैं, तब हम इससे अलग हो जाते हैं.'

उन्होंने कहा, 'अगर आप हथियार संधियों को देखेंगे तो हम निश्चित तौर पर हथियार संधि पर रूस के साथ समझौता करने जा रहे हैं और इसमें चीन को भी शामिल किया जा सकता है.'

वाशिंगटन : अमेरिका ने गुरुवार को ओपन स्काइज संधि से अलग होने के अपने फैसले की घोषणा की. इस संधि के तहत रूस समेत 34 देशों को अपने विमान एक-दूसरे के क्षेत्र में उड़ाने की अनुमति है.

एक जनवरी 2002 को हुई इस संधि का सदस्य भारत नहीं है. इस संधि में शामिल ज्यादातर देश उत्तर अमेरिका, यूरोप में तथा पश्चिम एशिया के हैं.

विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका ओपन स्काइज पर संधि से अलग होने के अपने फैसले का नोटिस ट्रीटी डिपोजिटरीज और इस संधि के सभी पक्षकारों को सौंपेगा.

उन्होंने कहा, 'कल से छह महीने बाद अमेरिका इस संधि का हिस्सा नहीं रहेगा.'

अमेरिका ने कहा कि अगर रूस इस संधि का पूरी तरह से पालन करता है, तो वह इससे अलग होने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इस फैसले के लिए रूस द्वारा इस संधि का पालन न किए जाने को जिम्मेदार ठहराया.

पढ़ें : ह्वाइट हाउस का आरोप- पड़ोसियों से की गईं प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा चीन

ट्रंप ने ह्वाइट हाउस में कहा, 'रूस इस संधि का पालन नहीं करता है. इसलिए जब तक इसका पालन नहीं होता, तब तक हम इससे बाहर रहेंगे, लेकिन इसकी संभावना है कि हम नया समझौता करेंगे या इस समझौते में वापस आने के लिए कुछ करेंगे.'

उन्होंने कहा, 'ऐसा भी समझौता होता है, जहां दूसरा पक्ष सहमत नहीं होता, दुनियाभर में ऐसे कई समझौते हैं, जहां दो पक्षों के बीच समझौता होता है, लेकिन वे इसका पालन नहीं करते और हम करते हैं. जब इस तरह की चीजें होती हैं, तब हम इससे अलग हो जाते हैं.'

उन्होंने कहा, 'अगर आप हथियार संधियों को देखेंगे तो हम निश्चित तौर पर हथियार संधि पर रूस के साथ समझौता करने जा रहे हैं और इसमें चीन को भी शामिल किया जा सकता है.'

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