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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना महामारी सबसे बड़ी चुनौती : गुतारेस

यूएन महासचिव गुतारेस ने कोरोना वायरस को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती करार दिया है. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि यदि सही कदम उठाए जाएं तो यह महामारी नए किस्म के वैश्विक और सामाजिक सहयोग की शुरुआत में मील का पत्थर हो सकती है. पढ़ें विस्तार से

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Published : Apr 1, 2020, 1:09 PM IST

UN chief says COVID19 pandemic
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोविड-19 महामारी सबसे बड़ी चुनौती

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कोरोना वायरस को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा है कि यह महामारी न केवल लोगों की जान ले रही है बल्कि आर्थिक मंदी की ओर भी ले जा रही है. उन्होंने कहा कि हालिया इतिहास में ऐसा भयानक संकट नहीं पैदा हुआ था.

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुमानों के अनुसार, दुनिया में कोरोना वायरस के 8,50,500 पुष्ट मामले सामने आए हैं और 42,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में अब दुनिया के सर्वाधिक 1,84,183 मामले हैं और यहां मरने वालों का आंकड़ा चार हजार को पार कर गया है.

गुतारेस ने मंगलवार को 'साझी जिम्मेदारी, वैश्विक एकजुटता: सामाजिक आर्थिक प्रतिक्रिया' विषय पर एक रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के पिछले 75 सालों के इतिहास में ऐसा संकट पहले नहीं देखा गया. हम उसका सामना कर रहे हैं - ऐसा संकट जो लोगों की जान ले रहा है, इंसान को पीड़ा दे रहा है, लोगों की जिंदगी को दुरूह कर रहा है.'

गुतारेस ने इस रिपोर्ट को ऑनलाइन जारी करते हुए कहा कि मौजूदा महामारी स्वास्थ्य संकट से कहीं आगे की चीज है.

बाद में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह भीषण वैश्विक संकट है क्योंकि यह एक संयोजन है, एक ओर एक बीमारी है, जो पूरी दुनिया में हर किसी के लिए खतरा है और दूसरी ओर इसके आर्थिक प्रभाव हैं, जिससे मंदी आएगी और ऐसी मंदी आएगी कि हालिया इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं देखी गई होगी.'

उन्होंने कहा कि इन दो तत्वों का मेल और यह तथ्य कि यह अस्थिरता, अशांति और संघर्षों को जन्म देगा ... इनसे हमें यह मानने को मजबूर होना पड़ रहा है कि वास्तव में यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा संकट है. इसके लिए मजबूत और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है और इस प्रकार के कदम एकजुटता के साथ ही संभव हैं. यह तभी होगा जब हम सब एक साथ आएंगे, अपने राजनीतिक खेलों को भुलाकर एक साथ आएंगे और इस समझ के साथ एक साथ आएंगे कि आज मानवता दांव पर है.'

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस मानवीय संकट से निपटने के लिए 'विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ओर से समन्वित, निर्णायक, समग्र और नवोन्मेषी नीतिगत कार्रवाई की जरूरत है. इसके लिए हमें गरीबों और अधिक संवेदनशील देशों के लोगों के लिए अधिकतम आर्थिक और तकनीकी समर्थन भी जुटाना होगा.'

उन्होंने इस दिशा में 'त्वरित समन्वित स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की जरूरत बताई, ताकि संक्रमण के प्रसार को काबू करने के साथ ही इस महामारी को खत्म किया जा सके.'

गुतारेस ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मामलों की जांच क्षमता बढ़ाने, प्रभावितों का पता लगाने, उन्हें अलग थलग रखने और लोगों की आवाजाही को सीमित किए जाने की तत्काल जरूरत है.

उन्होंने इस महामारी से निपटने के लिए एक नया बहु-साझेदारी वाला 'ट्रस्ट फंड' बनाने की वकालत करते हुए कहा कि जब हम इस संकट से उबर जाएंगे जो कि हम निश्चित ही उबरेंगे, उसके बाद हमारे सामने एक सवाल होगा. या तो हम अपनी दुनिया में लौट जाएं जो पहले के जैसी थी या फिर हम उन मुद्दों से निर्णायक तरीके से निपटें, जो हमें संकटों के प्रति अनावश्यक रूप से कमजोर बनाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, इस महामारी के कारण 50 लाख से लेकर ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी और अमेरिका को श्रमिक आय के रूप में 960 अरब से लेकर 3.4 खबर डालर का नुकसान होगा.

कोरोना वायरस महामारी से वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पर 30. 40 फीसदी का नकारात्मक दबाव पड़ेगा और विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय आगमन में 20.30 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.

गुतारेस ने कहा कि सही कदम उठाने से कोविड-19 महामारी एक नए किस्म के वैश्विक और सामाजिक सहयोग की शुरूआत में मील का पत्थर हो सकती है.

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कोरोना वायरस को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा है कि यह महामारी न केवल लोगों की जान ले रही है बल्कि आर्थिक मंदी की ओर भी ले जा रही है. उन्होंने कहा कि हालिया इतिहास में ऐसा भयानक संकट नहीं पैदा हुआ था.

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुमानों के अनुसार, दुनिया में कोरोना वायरस के 8,50,500 पुष्ट मामले सामने आए हैं और 42,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में अब दुनिया के सर्वाधिक 1,84,183 मामले हैं और यहां मरने वालों का आंकड़ा चार हजार को पार कर गया है.

गुतारेस ने मंगलवार को 'साझी जिम्मेदारी, वैश्विक एकजुटता: सामाजिक आर्थिक प्रतिक्रिया' विषय पर एक रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के पिछले 75 सालों के इतिहास में ऐसा संकट पहले नहीं देखा गया. हम उसका सामना कर रहे हैं - ऐसा संकट जो लोगों की जान ले रहा है, इंसान को पीड़ा दे रहा है, लोगों की जिंदगी को दुरूह कर रहा है.'

गुतारेस ने इस रिपोर्ट को ऑनलाइन जारी करते हुए कहा कि मौजूदा महामारी स्वास्थ्य संकट से कहीं आगे की चीज है.

बाद में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह भीषण वैश्विक संकट है क्योंकि यह एक संयोजन है, एक ओर एक बीमारी है, जो पूरी दुनिया में हर किसी के लिए खतरा है और दूसरी ओर इसके आर्थिक प्रभाव हैं, जिससे मंदी आएगी और ऐसी मंदी आएगी कि हालिया इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं देखी गई होगी.'

उन्होंने कहा कि इन दो तत्वों का मेल और यह तथ्य कि यह अस्थिरता, अशांति और संघर्षों को जन्म देगा ... इनसे हमें यह मानने को मजबूर होना पड़ रहा है कि वास्तव में यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा संकट है. इसके लिए मजबूत और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है और इस प्रकार के कदम एकजुटता के साथ ही संभव हैं. यह तभी होगा जब हम सब एक साथ आएंगे, अपने राजनीतिक खेलों को भुलाकर एक साथ आएंगे और इस समझ के साथ एक साथ आएंगे कि आज मानवता दांव पर है.'

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस मानवीय संकट से निपटने के लिए 'विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ओर से समन्वित, निर्णायक, समग्र और नवोन्मेषी नीतिगत कार्रवाई की जरूरत है. इसके लिए हमें गरीबों और अधिक संवेदनशील देशों के लोगों के लिए अधिकतम आर्थिक और तकनीकी समर्थन भी जुटाना होगा.'

उन्होंने इस दिशा में 'त्वरित समन्वित स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की जरूरत बताई, ताकि संक्रमण के प्रसार को काबू करने के साथ ही इस महामारी को खत्म किया जा सके.'

गुतारेस ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मामलों की जांच क्षमता बढ़ाने, प्रभावितों का पता लगाने, उन्हें अलग थलग रखने और लोगों की आवाजाही को सीमित किए जाने की तत्काल जरूरत है.

उन्होंने इस महामारी से निपटने के लिए एक नया बहु-साझेदारी वाला 'ट्रस्ट फंड' बनाने की वकालत करते हुए कहा कि जब हम इस संकट से उबर जाएंगे जो कि हम निश्चित ही उबरेंगे, उसके बाद हमारे सामने एक सवाल होगा. या तो हम अपनी दुनिया में लौट जाएं जो पहले के जैसी थी या फिर हम उन मुद्दों से निर्णायक तरीके से निपटें, जो हमें संकटों के प्रति अनावश्यक रूप से कमजोर बनाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, इस महामारी के कारण 50 लाख से लेकर ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी और अमेरिका को श्रमिक आय के रूप में 960 अरब से लेकर 3.4 खबर डालर का नुकसान होगा.

कोरोना वायरस महामारी से वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पर 30. 40 फीसदी का नकारात्मक दबाव पड़ेगा और विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय आगमन में 20.30 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.

गुतारेस ने कहा कि सही कदम उठाने से कोविड-19 महामारी एक नए किस्म के वैश्विक और सामाजिक सहयोग की शुरूआत में मील का पत्थर हो सकती है.

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