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'अमेरिकी जीवन, खास तौर से अश्वेत और लातिन अमेरिकियों पर महामारी का असर'

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Published : Jun 2, 2021, 6:30 PM IST

अमेरिका महामारी दुख सूचकांक (America Pandemic Grief Index) में जो आंकड़े इस्तेमाल किए गए, वह अमेरिका में महामारी को समझने के लिए किए गए अध्ययन से लिए गए थे. महामारी की शुरुआत के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर किया गया यह ऐसा एकमात्र अध्ययन है, जो अमेरिकी निवासियों पर इसके प्रभाव पर नजर रखता है.

कोरोना वायरस
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लॉस एंजिलिस : तीन करोड़ से अधिक लोगों के संक्रमित होने और 5,50,000 लोगों की मौत के साथ, अमेरिका (America) कोविड-19 (Covid-19) महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से है. नौकरी छूटने से लेकर आवास की असुरक्षा और मानसिक संकट तक, महामारी द्वारा लाई गई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कठिनाइयां व्यापक हैं और महामारी रहने तक इनके बने रहने की संभावना है.

यूएससी डॉर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स (आर्ट्स एंड साइंसेज) रिसर्चर कायला थॉमस ने कहा, अमेरिकी जीवन पर महामारी के प्रभाव की व्यापकता और गहराई को बेहतर ढंग से समझने के लिए, मैंने यूएससी डोर्नसाइफ सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च के अपने सहयोगियों के साथ 'महामारी दुख' का एक सूचकांक विकसित करने के लिए काम किया. हमने पाया कि कुछ अमेरिकी निवासी महामारी से बच गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं था कि सभी समूहों ने कठिनाई का समान अनुभव किया हो.

80% ने कठिनाई का अनुभव किया

अमेरिका महामारी दुख सूचकांक (America Pandemic Grief Index) में जो आंकड़े इस्तेमाल किए गए, वह हमारे द्वारा अमेरिका में महामारी को समझने के लिए किए गए अध्ययन से लिए गए थे. महामारी की शुरुआत के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर किया गया यह ऐसा एकमात्र अध्ययन है, जो अमेरिकी निवासियों पर इसके प्रभाव पर नजर रखता है. लगभग 6,000 वयस्कों के इस इंटरनेट-आधारित पैनल का उद्देश्य महामारी के दौरान लोगों द्वारा अनुभव की गई गंभीर कठिनाइयों की मात्रा निर्धारित करना और अमेरिकी वयस्क आबादी तक उन अनुभवों के पहुंचने का आकलन करना है.

ये भी पढे़ं : भारत में पाया गया कोविड-19 का B.1.617 स्वरूप ही अब ‘चिंता का सबब’ : WHO

सूचकांक महामारी से संबंधित कठिनाई के नौ संकेतकों पर आधारित है

इनमें मार्च 2020 के बाद से वित्तीय असुरक्षा, खाद्य असुरक्षा, मध्यम या गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट के लक्षण, उच्च तनाव के लक्षण, नौकरी छूटना, कोविड-19 के आधार पर भेदभाव का अनुभव, आवास भुगतान की कमी, अलगाव या पृथकवास में रखा जाना और एक कोविड निदान या कथित कोविड-19 संक्रमण आदि शामिल हैं.

महामारी ने स्वास्थ्य और वित्तीय सुरक्षा में नस्लीय और जातीय असमानताओं को बढ़ा दिया. हमारे सूचकांक के अनुसार, नस्लीय और जातीय असमानताएं महामारी के एक वर्ष में बड़े पैमाने पर दिखाई देती हैं.

इस वर्ग को हो रही अधिक परेशानी

एक ओर जहां अधिकांश अमेरिकी वयस्कों को महामारी के परिणामस्वरूप किसी न किसी तरह से नुकसान उठाना पड़ा है, लातिन अमेरिकियों और अश्वेत निवासियों को स्पष्ट रूप से सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ी है. लगभग हर 10 में से 9 लातिन अमेरिकी (89 फीसदी) और 86 फीसदी अश्वेत लोगों ने महामारी की शुरुआत के बाद से 80 फीसदी एशियाई और 76 फीसदी गोरों की तुलना में कम से कम एक गंभीर कठिनाई का सामना किया है.

इसके अलावा, नस्लीय और जातीय समूहों में कठिनाई के प्रसार में गिरावट के बावजूद, लातिनों और अश्वेत निवासियों को गोरे और एशियाई निवासियों की तुलना में उच्च दर पर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए, 63 फीसदी लातीनी निवासियों ने अप्रैल 2020 में 46 फीसदी श्वेत निवासियों की तुलना में एक या अधिक कठिनाइयों की सूचना दी, जो अपने आप में 27 प्रतिशत का अंतर है. यह अंतर मार्च 2021 में 24 फीसदी पर बना रहा.

ये भी पढे़ं : भारत और अमेरिका के संबंधों का महत्वपूर्ण स्तंभ है शिक्षा: राजदूत संधू

एशियाई लोगों को हुई कठिनाइयों में उल्लेखनीय गिरावट के कारण महामारी के दौरान एशियाई और गोरों के बीच असमानता काफी हद तक गायब हो गई. अप्रैल 2020 में जहां 50 फीसदी एशियाई लोगों ने एक या अधिक कठिनाइयों की सूचना दी, 23 फीसदी ने मार्च 2021 में कठिनाई की सूचना दी.

एशियाई लोगों के खुद के या अपने सामाजिक दायरे में कोविड-19 संक्रमण की सूचना देने की संभावना बहुत कम रही. अप्रैल 2020 से, 61 फीसदी एशियाई लोगों ने 78 फीसदी, लातिनो, 77 फीसदी, गोरों और 70 फीसदी अश्वेतों की तुलना में कोविड​​​​-19 से संक्रमित कम से कम एक व्यक्ति को जानने की सूचना दी. फिर भी, एशियाई लोगों ने अन्य नस्लीय या जातीय समूहों की तुलना में कोविड-19 आधारित भेदभाव का अधिक अनुभव किया. अर्थात, संक्रमण की आशंका से दूसरों द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार.

समुदायों पर असमान रूप से पड़ रहा महामारी का प्रभाव

इसके अतिरिक्त, हम अमेरिकी वयस्कों के एक हिस्से में बड़ी नस्लीय और जातीय असमानताएं देखते हैं, जिन्हें कोविड-19 के कारण किसी को खोने का दुख उठाना पड़ा. अप्रैल 2020 के बाद से कोविड-19 के कारण किसी मित्र या परिवार के सदस्य के मरने की रिपोर्ट करने वाले अश्वेतों और लातिनों की संख्या गोरों की तुलना में लगभग दोगुना और एशियाई लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होने की संभावना है.

महामारी के दुख का बोझ भी अलग अलग रंग के समुदायों पर असमान रूप से पड़ रहा है. जबकि हमारे सूचकांक से पता चलता है कि गोरों और एशियाई लोगों के बीच का अंतर कम हो गया है, लातिनी और अश्वेत लोगों को उच्च दरों पर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और संभव है कि उन्हें महामारी से उबरने के लिए अधिक कठिन रास्ते का सामना करना पड़ेगा.

ये भी पढे़ं : कोरोना वायरस के कारण पेरू में अब तक 1,80,000 से अधिक लोगों की मौत

कुल मिलाकर, ये निष्कर्ष लोगों के जीवन पर महामारी के प्रभाव की बहुआयामी प्रकृति को रेखांकित करते हैं. कई अमेरिकियों के लिए, विशेष रूप से काले और लातिन अमेरिकियों के लिए, महामारी से उबरने के मार्ग के लिए एक टीकाकरण या एकमुश्त प्रोत्साहन जांच से अधिक प्रयास करने होंगे. इसके लिए निरंतर वित्तीय सहायता, भोजन और आवास सहायता और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता होगी.

लॉस एंजिलिस : तीन करोड़ से अधिक लोगों के संक्रमित होने और 5,50,000 लोगों की मौत के साथ, अमेरिका (America) कोविड-19 (Covid-19) महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से है. नौकरी छूटने से लेकर आवास की असुरक्षा और मानसिक संकट तक, महामारी द्वारा लाई गई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कठिनाइयां व्यापक हैं और महामारी रहने तक इनके बने रहने की संभावना है.

यूएससी डॉर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स (आर्ट्स एंड साइंसेज) रिसर्चर कायला थॉमस ने कहा, अमेरिकी जीवन पर महामारी के प्रभाव की व्यापकता और गहराई को बेहतर ढंग से समझने के लिए, मैंने यूएससी डोर्नसाइफ सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च के अपने सहयोगियों के साथ 'महामारी दुख' का एक सूचकांक विकसित करने के लिए काम किया. हमने पाया कि कुछ अमेरिकी निवासी महामारी से बच गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं था कि सभी समूहों ने कठिनाई का समान अनुभव किया हो.

80% ने कठिनाई का अनुभव किया

अमेरिका महामारी दुख सूचकांक (America Pandemic Grief Index) में जो आंकड़े इस्तेमाल किए गए, वह हमारे द्वारा अमेरिका में महामारी को समझने के लिए किए गए अध्ययन से लिए गए थे. महामारी की शुरुआत के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर किया गया यह ऐसा एकमात्र अध्ययन है, जो अमेरिकी निवासियों पर इसके प्रभाव पर नजर रखता है. लगभग 6,000 वयस्कों के इस इंटरनेट-आधारित पैनल का उद्देश्य महामारी के दौरान लोगों द्वारा अनुभव की गई गंभीर कठिनाइयों की मात्रा निर्धारित करना और अमेरिकी वयस्क आबादी तक उन अनुभवों के पहुंचने का आकलन करना है.

ये भी पढे़ं : भारत में पाया गया कोविड-19 का B.1.617 स्वरूप ही अब ‘चिंता का सबब’ : WHO

सूचकांक महामारी से संबंधित कठिनाई के नौ संकेतकों पर आधारित है

इनमें मार्च 2020 के बाद से वित्तीय असुरक्षा, खाद्य असुरक्षा, मध्यम या गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट के लक्षण, उच्च तनाव के लक्षण, नौकरी छूटना, कोविड-19 के आधार पर भेदभाव का अनुभव, आवास भुगतान की कमी, अलगाव या पृथकवास में रखा जाना और एक कोविड निदान या कथित कोविड-19 संक्रमण आदि शामिल हैं.

महामारी ने स्वास्थ्य और वित्तीय सुरक्षा में नस्लीय और जातीय असमानताओं को बढ़ा दिया. हमारे सूचकांक के अनुसार, नस्लीय और जातीय असमानताएं महामारी के एक वर्ष में बड़े पैमाने पर दिखाई देती हैं.

इस वर्ग को हो रही अधिक परेशानी

एक ओर जहां अधिकांश अमेरिकी वयस्कों को महामारी के परिणामस्वरूप किसी न किसी तरह से नुकसान उठाना पड़ा है, लातिन अमेरिकियों और अश्वेत निवासियों को स्पष्ट रूप से सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ी है. लगभग हर 10 में से 9 लातिन अमेरिकी (89 फीसदी) और 86 फीसदी अश्वेत लोगों ने महामारी की शुरुआत के बाद से 80 फीसदी एशियाई और 76 फीसदी गोरों की तुलना में कम से कम एक गंभीर कठिनाई का सामना किया है.

इसके अलावा, नस्लीय और जातीय समूहों में कठिनाई के प्रसार में गिरावट के बावजूद, लातिनों और अश्वेत निवासियों को गोरे और एशियाई निवासियों की तुलना में उच्च दर पर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए, 63 फीसदी लातीनी निवासियों ने अप्रैल 2020 में 46 फीसदी श्वेत निवासियों की तुलना में एक या अधिक कठिनाइयों की सूचना दी, जो अपने आप में 27 प्रतिशत का अंतर है. यह अंतर मार्च 2021 में 24 फीसदी पर बना रहा.

ये भी पढे़ं : भारत और अमेरिका के संबंधों का महत्वपूर्ण स्तंभ है शिक्षा: राजदूत संधू

एशियाई लोगों को हुई कठिनाइयों में उल्लेखनीय गिरावट के कारण महामारी के दौरान एशियाई और गोरों के बीच असमानता काफी हद तक गायब हो गई. अप्रैल 2020 में जहां 50 फीसदी एशियाई लोगों ने एक या अधिक कठिनाइयों की सूचना दी, 23 फीसदी ने मार्च 2021 में कठिनाई की सूचना दी.

एशियाई लोगों के खुद के या अपने सामाजिक दायरे में कोविड-19 संक्रमण की सूचना देने की संभावना बहुत कम रही. अप्रैल 2020 से, 61 फीसदी एशियाई लोगों ने 78 फीसदी, लातिनो, 77 फीसदी, गोरों और 70 फीसदी अश्वेतों की तुलना में कोविड​​​​-19 से संक्रमित कम से कम एक व्यक्ति को जानने की सूचना दी. फिर भी, एशियाई लोगों ने अन्य नस्लीय या जातीय समूहों की तुलना में कोविड-19 आधारित भेदभाव का अधिक अनुभव किया. अर्थात, संक्रमण की आशंका से दूसरों द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार.

समुदायों पर असमान रूप से पड़ रहा महामारी का प्रभाव

इसके अतिरिक्त, हम अमेरिकी वयस्कों के एक हिस्से में बड़ी नस्लीय और जातीय असमानताएं देखते हैं, जिन्हें कोविड-19 के कारण किसी को खोने का दुख उठाना पड़ा. अप्रैल 2020 के बाद से कोविड-19 के कारण किसी मित्र या परिवार के सदस्य के मरने की रिपोर्ट करने वाले अश्वेतों और लातिनों की संख्या गोरों की तुलना में लगभग दोगुना और एशियाई लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होने की संभावना है.

महामारी के दुख का बोझ भी अलग अलग रंग के समुदायों पर असमान रूप से पड़ रहा है. जबकि हमारे सूचकांक से पता चलता है कि गोरों और एशियाई लोगों के बीच का अंतर कम हो गया है, लातिनी और अश्वेत लोगों को उच्च दरों पर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और संभव है कि उन्हें महामारी से उबरने के लिए अधिक कठिन रास्ते का सामना करना पड़ेगा.

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कुल मिलाकर, ये निष्कर्ष लोगों के जीवन पर महामारी के प्रभाव की बहुआयामी प्रकृति को रेखांकित करते हैं. कई अमेरिकियों के लिए, विशेष रूप से काले और लातिन अमेरिकियों के लिए, महामारी से उबरने के मार्ग के लिए एक टीकाकरण या एकमुश्त प्रोत्साहन जांच से अधिक प्रयास करने होंगे. इसके लिए निरंतर वित्तीय सहायता, भोजन और आवास सहायता और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता होगी.

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