वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि तालिबान नहीं बदला है, लेकिन अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लेने के बाद वे इस बात को लेकर 'अस्तित्व के संकट' से गुजर रहे हैं कि क्या वे वैश्विक मंच पर वैधता चाहते हैं.
बाइडन ने एबीसी के 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' पर एक साक्षात्कार में कहा कि वह इस संबंध में 'निश्चित नहीं हैं' कि तालिबान 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक वैध सरकार के रूप में मान्यता प्राप्त' करना चाहता है.
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में अल-कायदा और उनके सहयोगी संगठनों से अफगानिस्तान की अपेक्षा अधिक खतरा है. सीरिया या पूर्वी अफ्रीका में अल-कायदा से संबद्ध समूहों से 'उभरती समस्याओं' को नजरअंदाज करना 'तर्कसंगत नहीं' है. ऐसे स्थानों पर अमेरिका के लिए 'काफी बड़ा खतरा है.'
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का बचाव करते हुए बाइडन ने कहा, 'हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि कहां सबसे बड़ा खतरा है.
बाइडन ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ व्यवहार के बारे में जतायी जा रही चिंता को भी तवज्जो नहीं दी और दलील दी कि सैन्य बल के माध्यम से दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश 'तर्कसंगत नहीं' है. इसके बदले, मानवाधिकारों का हनन करने वालों पर व्यवहार बदलने के लिए 'राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव' दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ' और यह विचार कि हम अरबों डॉलर का खर्च जारी रख सकते हैं, और अफगानिस्तान में हजारों अमेरिकी सैनिक हैं, जब हमारे सामने उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अफ्रीका है... यह विचार कि हम ऐसा कर सकते हैं और उन बढ़ती समस्याओं की अनदेखी कर सकते हैं, यह तर्कसंगत नहीं है.'
बाइडेन ने ऐसे स्थानों के रूप में सीरिया और पूर्वी अफ्रीका का नाम लिया जहां इस्लामिक स्टेट समूह अफगानिस्तान की तुलना में 'काफी बड़ा खतरा' है. उन्होंने कहा कि आईएसआईएस ने काफी प्रसार कर लिया है. उन्होंने कहा कि सीरिया जैसी जगह पर अमेरिका की बड़ी सैन्य उपस्थिति नहीं है, लेकिन उसके पास उन्हें बाहर निकालने की क्षमता है.
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उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के समय को लेकर बाइडेन प्रशासन की तीखी आलोचना हो रही है.
तालिबान द्वारा काफी तेजी से अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लेने से अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी तथा हजारों अफगान और अमेरिकी नागरिक जल्द से जल्द से वहां से बाहर निकलने की फिराक में हैं.
बाइडेन ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ व्यवहार के बारे में जतायी जा रही चिंता को भी तवज्जो नहीं दिया और दलील दी कि सैन्य बल के माध्यम से दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश 'तर्कसंगत नहीं' है. इसके बदले, मानवाधिकारों का हनन करने वालों पर व्यवहार बदलने के लिए 'राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव' दिया जाना चाहिए.
तालिबान द्वारा पिछले सप्ताह अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लेने के बाद वहां करीब 15,000 अमेरिकी मौजूद थे. बाइडेन ने उसी साक्षात्कार में कहा कि वह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को उस समय तक रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक कि हर अमेरिकी को वहां से बाहर नहीं निकाल लिया जाता. भले ही इसका अर्थ अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 31 अगस्त की समय सीमा से आगे भी सैन्य उपस्थिति बनाए रखना हो.
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यह पूछे जाने पर कि 31 अगस्त के बाद वहां से अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालने में प्रशासन किस प्रकार मदद करेगा, बाइडेन ने कहा, 'अगर वहां अमेरिकी नागरिक बच जाएंगे तो हम उन सभी को बाहर निकालने तक वहां रहने वाले हैं.'
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया था कि शनिवार से अब तक अमेरिकी सेना ने करीब 6,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है.
(एपी)