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विरोध के बावजूद नहीं बदला गया अमेरिका के 'स्वस्तिक' गांव का नाम

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Published : Sep 25, 2020, 7:12 PM IST

अमेरिका में 'स्वस्तिक' गांव के नाम को न बदले का फैसला किया गया है. यहां के लोग इसे नाजी शासन की हिंसा और असहिष्णुता से भी जोड़कर देखते हैं, जिस कारण यह विवाद उत्पन्न हो गया.

अमेरिका के स्वस्तिक गांव का नाम
अमेरिका के स्वस्तिक गांव का नाम

वॉशिंगटन : अमेरिका के न्यूयॉर्क में 'स्वस्तिक' नाम का एक गांव है. विरोध के बावजूद इसकी परिषद ने नाम नहीं बदलने के समर्थन में सर्वसम्मति से फैसला किया है.

स्वस्तिक हिंदू संस्कृति में मंगल का प्रतीक माना जाता है और हर शुभ कार्य से पहले इसका पूजन किया जाता है, लेकिन अमेरिका में लोग इसे नाजी शासन की हिंसा और असहिष्णुता से भी जोड़कर देखते हैं. इसी वजह से गांव के नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया था.

स्वस्तिक चिह्न में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं. इसके बाद यह रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं.

न्यूयॉर्क के ब्लैक ब्रूक कस्बे के तहत आने वाले इस गांव को एक सदी से भी अधिक समय से स्वस्तिक नाम से जाना जाता है, लेकिन न्यूयॉर्क शहर से आए यात्री माइकल अलकामो ने कहा कि यह नाम निकट स्थित द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों की कब्रों का अपमान है, जिसके बाद कस्बा परिषद के सदस्यों ने नाम बदलने को लेकर मतदान करने विचार किया. परिषद के सदस्यों ने 14 सितंबर को बैठक की और नाम न बदलने का सर्वसम्मति से फैसला किया.

ब्लैक ब्रूक के पर्यवेक्षक जॉन डगलस ने गुरुवार को एक ईमेल में लिखा कि हमें खेद है कि हमारे समुदाय के इतिहास के बारे में नहीं जानने वाले इलाके के बाहर के लोगों को गांव का नाम देखकर अपमानजनक महसूस हुआ.

यह भी पढ़ें- पाक को आतंकी समूहों पर और दबाव बनाने की जरूरत : अमेरिकी राजनयिक

उन्होंने कहा कि यह नाम हमारे पुरखों ने रखा था. कई लोग इस चिह्न को 1930 के दशक के बाद से तानाशाह एडोल्फ हिटलर और उसकी नाजी पार्टी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन इसका इतिहास इससे कहीं अधिक प्राचीन है.

इस गांव का नाम संस्कृत भाषा के शब्द स्वस्तिक पर रखा गया है, जिसका अर्थ कल्याण होता है. डगलस ने कहा कि इलाके के कुछ ऐसे भी निवासी हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे, लेकिन उन्होंने केवल इसलिए नाम बदलने से इनकार कर दिया, क्योंकि हिटलर ने स्वस्तिक के अर्थ को कलंकित करने की कोशिश की.

वॉशिंगटन : अमेरिका के न्यूयॉर्क में 'स्वस्तिक' नाम का एक गांव है. विरोध के बावजूद इसकी परिषद ने नाम नहीं बदलने के समर्थन में सर्वसम्मति से फैसला किया है.

स्वस्तिक हिंदू संस्कृति में मंगल का प्रतीक माना जाता है और हर शुभ कार्य से पहले इसका पूजन किया जाता है, लेकिन अमेरिका में लोग इसे नाजी शासन की हिंसा और असहिष्णुता से भी जोड़कर देखते हैं. इसी वजह से गांव के नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया था.

स्वस्तिक चिह्न में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं. इसके बाद यह रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं.

न्यूयॉर्क के ब्लैक ब्रूक कस्बे के तहत आने वाले इस गांव को एक सदी से भी अधिक समय से स्वस्तिक नाम से जाना जाता है, लेकिन न्यूयॉर्क शहर से आए यात्री माइकल अलकामो ने कहा कि यह नाम निकट स्थित द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों की कब्रों का अपमान है, जिसके बाद कस्बा परिषद के सदस्यों ने नाम बदलने को लेकर मतदान करने विचार किया. परिषद के सदस्यों ने 14 सितंबर को बैठक की और नाम न बदलने का सर्वसम्मति से फैसला किया.

ब्लैक ब्रूक के पर्यवेक्षक जॉन डगलस ने गुरुवार को एक ईमेल में लिखा कि हमें खेद है कि हमारे समुदाय के इतिहास के बारे में नहीं जानने वाले इलाके के बाहर के लोगों को गांव का नाम देखकर अपमानजनक महसूस हुआ.

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उन्होंने कहा कि यह नाम हमारे पुरखों ने रखा था. कई लोग इस चिह्न को 1930 के दशक के बाद से तानाशाह एडोल्फ हिटलर और उसकी नाजी पार्टी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन इसका इतिहास इससे कहीं अधिक प्राचीन है.

इस गांव का नाम संस्कृत भाषा के शब्द स्वस्तिक पर रखा गया है, जिसका अर्थ कल्याण होता है. डगलस ने कहा कि इलाके के कुछ ऐसे भी निवासी हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े थे, लेकिन उन्होंने केवल इसलिए नाम बदलने से इनकार कर दिया, क्योंकि हिटलर ने स्वस्तिक के अर्थ को कलंकित करने की कोशिश की.

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