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मोंटेफोर व आइंस्टीन कॉलेज ने कोविड-19 उपचार परीक्षण के अगले चरण की शुरुआत की

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Published : Jun 2, 2020, 7:17 PM IST

मोंटेफोर मल्टीसेंटर ट्रायल में शामिल होने वाला पहला स्थान न्यूयॉर्क था, जिसने एक व्यापक स्तर पर एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर का मूल्यांकन किया गया. अब मोंटेफोर हेल्थ सिस्टम और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने कोविड-19 उपचार परीक्षण (एसीटीटी) के अगले चरण की शुरुआत कर दी है.

drug combination for covid 19
डिजाइन फोटो

हैदराबाद : मोंटेफोर हेल्थ सिस्टम और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने कोविड-19 उपचार परीक्षण (एसीटीटी) के अगले चरण की शुरुआत कर दी है. इसके तहत अस्पताल में भर्ती लोगों के उपचार के विकल्पों का मूल्यांकन किया जाएगा. एसीटीटी के रूप में जाना जाने वाला नया पुनरावृत्ति परीक्षण, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और संक्रामक रोगों (NIAID) द्वारा प्रायोजित है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का हिस्सा है.

मार्च में मोंटेफोर मल्टीसेटर ट्रायल में शामिल होने वाला पहला स्थान न्यूयॉर्क था, जिसने एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर का मूल्यांकन किया. आपको बता दें कि परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों की घोषणा पिछले महीने की गई. वहीं इसे शुक्रवार को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया. यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि कोविड-19 के मरीजों का उपचार रेमडेसिविर से होने पर 15 दिन की तुलना में औसतन 11 दिन में स्वास्थ्य में सुधार हुआ था. यह सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार है. 1,063 नैदानिक ​​परीक्षण प्रतिभागियों में से 91 लगभग 10%, मोंटेफोर और आइंस्टीन से थे.

रेमडेसिविर (Remdesivir) के आशाजनक परिणामों के बाद अब बैरीसिटनिब (Baricitinib) या प्लेसीबो का रेमेडीसविर के साथ डबल-ब्लाइंड ट्रायल के बाद अध्ययन किया जा रहा है.

बैरीसिटनिब को रुमेटीइड गठिया से जुड़ी सूजन को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है. शोधकर्ता यह जानना चाहते हैं कि क्या बैरीसिटनिब रेमडेसिविर के साथ मिलकर हाईपर इन्फ्लेमेटरी 'साइटोकाइन स्टॉर्म' को रोक सकते हैं या कम कर सकता है, जो कोविड​​-19 वाले रोगियों में फेफड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों को मोटे तौर पर प्रभावित करता है. उस समय पर खासतौर पर जब प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोनो वायरस संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया करती है.

आइंस्टीन संक्रामक रोग के एमडी बैरी जिंगमैन ने कहा कि 'हमें चिंता है कि कुछ लोगों में कोरोनो वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया संक्रमण से अधिक घातक हो सकती है और इसके लिए अभी तक कोई ज्ञात इलाज नहीं है.'

एसीटीटी-2 में मरीजों को एक प्रयोगशाला में पुष्ट कोरोना वायरस संक्रमण और फेफड़ों की समस्या से ग्रसित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. इसमें सांस लेने में तेज आवाज शामिल होती है. पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता, निमोनिया दिखाने वाली असामान्य छाती एक्स-रे, या एक यांत्रिक मवादक की आवश्यकता होती है. सभी रोगियों को 10 दिन तक नस में रेमडेसिविर दी जाती है. आधे रोगियों को मुंह से बैरीसिटनिब भी दी जाएगा. शेष को एक समान प्लेसीबो 14 दिन तक दी जाती है.

रेमेडिसिविर को गिलियड साइंसेज द्वारा विकसित किया गया है, वहीं बैरीसिटनिब एली लिली एंड कंपनी द्वारा विकसित किया गया है.

पढ़ें-फिलिप्स के बायोसेंसर से होगी कोविड-19 मरीजों की मॉनिटरिंग

हैदराबाद : मोंटेफोर हेल्थ सिस्टम और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने कोविड-19 उपचार परीक्षण (एसीटीटी) के अगले चरण की शुरुआत कर दी है. इसके तहत अस्पताल में भर्ती लोगों के उपचार के विकल्पों का मूल्यांकन किया जाएगा. एसीटीटी के रूप में जाना जाने वाला नया पुनरावृत्ति परीक्षण, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और संक्रामक रोगों (NIAID) द्वारा प्रायोजित है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का हिस्सा है.

मार्च में मोंटेफोर मल्टीसेटर ट्रायल में शामिल होने वाला पहला स्थान न्यूयॉर्क था, जिसने एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर का मूल्यांकन किया. आपको बता दें कि परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों की घोषणा पिछले महीने की गई. वहीं इसे शुक्रवार को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया. यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि कोविड-19 के मरीजों का उपचार रेमडेसिविर से होने पर 15 दिन की तुलना में औसतन 11 दिन में स्वास्थ्य में सुधार हुआ था. यह सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार है. 1,063 नैदानिक ​​परीक्षण प्रतिभागियों में से 91 लगभग 10%, मोंटेफोर और आइंस्टीन से थे.

रेमडेसिविर (Remdesivir) के आशाजनक परिणामों के बाद अब बैरीसिटनिब (Baricitinib) या प्लेसीबो का रेमेडीसविर के साथ डबल-ब्लाइंड ट्रायल के बाद अध्ययन किया जा रहा है.

बैरीसिटनिब को रुमेटीइड गठिया से जुड़ी सूजन को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है. शोधकर्ता यह जानना चाहते हैं कि क्या बैरीसिटनिब रेमडेसिविर के साथ मिलकर हाईपर इन्फ्लेमेटरी 'साइटोकाइन स्टॉर्म' को रोक सकते हैं या कम कर सकता है, जो कोविड​​-19 वाले रोगियों में फेफड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों को मोटे तौर पर प्रभावित करता है. उस समय पर खासतौर पर जब प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोनो वायरस संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया करती है.

आइंस्टीन संक्रामक रोग के एमडी बैरी जिंगमैन ने कहा कि 'हमें चिंता है कि कुछ लोगों में कोरोनो वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया संक्रमण से अधिक घातक हो सकती है और इसके लिए अभी तक कोई ज्ञात इलाज नहीं है.'

एसीटीटी-2 में मरीजों को एक प्रयोगशाला में पुष्ट कोरोना वायरस संक्रमण और फेफड़ों की समस्या से ग्रसित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. इसमें सांस लेने में तेज आवाज शामिल होती है. पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता, निमोनिया दिखाने वाली असामान्य छाती एक्स-रे, या एक यांत्रिक मवादक की आवश्यकता होती है. सभी रोगियों को 10 दिन तक नस में रेमडेसिविर दी जाती है. आधे रोगियों को मुंह से बैरीसिटनिब भी दी जाएगा. शेष को एक समान प्लेसीबो 14 दिन तक दी जाती है.

रेमेडिसिविर को गिलियड साइंसेज द्वारा विकसित किया गया है, वहीं बैरीसिटनिब एली लिली एंड कंपनी द्वारा विकसित किया गया है.

पढ़ें-फिलिप्स के बायोसेंसर से होगी कोविड-19 मरीजों की मॉनिटरिंग

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