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महिलाओं की स्थिति से दिखते हैं लोकतंत्र के हालात : कमला हैरिस

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने महिलाओं के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र में अपने संबोधन में दुनियाभर में लोकतंत्र और आजादी में गिरावट पर चिंता जताई. उपराष्ट्रपति हैरिस ने कहा, 'निर्णय लेने की प्रक्रिया से महिलाओं को बाहर रखना लोकतंत्र में खामी की ओर इशारा करता है.'

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Published : Mar 17, 2021, 11:39 AM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में कहा कि लोकतंत्र का स्तर मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर निर्भर करता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया से उन्हें बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि 'लोकतंत्र में खामी' है.

हैरिस ने महिलाओं के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र में अपने संबोधन में दुनियाभर में लोकतंत्र और आजादी में गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्थिति लोकतंत्र की स्थिति है और अमेरिका दोनों को बेहतर बनाने के लिए काम करेगा.

इस वर्ष के सत्र का विषय महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में पूर्ण और प्रभावी, भागीदारी और निर्णय लेने के साथ है, वहीं लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए हिंसा को खत्म करना है भी शामिल है.

उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि आज लोकतंत्र पर दबाव बढ़ रहा है. हमने देखा है कि 15 वर्षों में दुनियाभर में आजादी में कमी आई है. यहां तक कि विशेषज्ञों का मानना है कि बीता साल विश्वभर में लोकतंत्र और आजादी की बिगड़ती स्थिति के लिहाज से सबसे बुरा था.'

हैरिस ने कहा, 'लोकतंत्र की स्थिति मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी निर्भर करती है क्योंकि निर्णय लेने की प्रक्रिया से महिलाओं को बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि लोकतंत्र में खामी है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत बनाती है.' लोकतंत्र की स्थिति महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी मौलिक रूप से निर्भर करती है. न केवल इसलिए कि निर्णय लेने में महिलाओं का बहिष्कार एक दोषपूर्ण लोकतंत्र का हिस्सा है, बल्कि इसलिए कि महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत करती है और यह हर जगह सच है

हैरिस ने आगे कहा कि वाशिंगटन विश्व संगठन और व्यापक बहुपक्षीय प्रणाली के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत कर रहा है, साथ ही साथ मानव परिषद को फिर से संगठित कर रहा है. उन्होंने इत बात पर जोर देते हुए कहा कि भले ही दुनिया एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट और एक आर्थिक संकट का सामना कर रही हो, यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतंत्र की रक्षा करना जारी रखें.

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश, सहयोगी संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन 15 से 26 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में वर्चुअल तरीके से भाग ले रहे हैं.

अमेरिका की पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई मूल की उपराष्ट्रपति हैरिस ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनियाभर में आर्थिक सुरक्षा, शारीरिक सुरक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है.

पढ़ें : ईरान के साथ समझौते में अमेरिका की वापसी संभव: राफेल ग्रोसी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को इस सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि महामारी ने महिलाओं और लड़कियों पर बहुत खराब असर डाला है. जैसे-जैसे महिलाएं अपनी जरूरत की स्वास्थ्य सेवा हासिल करने के लिए संघर्ष करती हैं, वैसे-वैसे कोविड-19 महामारी एचआईवी, एड्स, मलेरिया, कुपोषण और मातृ एवं बाल मृत्यु दर के खिलाफ संघर्षों में हमारे द्वारा किए गए वैश्विक लाभों को उलटती हुई प्रतीत होती है.

उन्होंने आगाह किया कि जब महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, तो उनके गरीबी में रहने की संभावना अधिक होती है, और इसलिए जलवायु परिवर्तन से असंतुष्ट रूप से लिंग आधारित हिंसा की चपेट में आ जाते हैं, और इसलिए विरोधाभासी रूप से संघर्ष से प्रभावित होते हैं। महिलाओं के लिए निर्णय लेने में पूरी तरह से भाग लेना मुश्किल है, जो बदले में, लोकतंत्र को पनपने के लिए इतना कठिन बना देता है

वॉशिंगटन : अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में कहा कि लोकतंत्र का स्तर मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर निर्भर करता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया से उन्हें बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि 'लोकतंत्र में खामी' है.

हैरिस ने महिलाओं के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र में अपने संबोधन में दुनियाभर में लोकतंत्र और आजादी में गिरावट पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्थिति लोकतंत्र की स्थिति है और अमेरिका दोनों को बेहतर बनाने के लिए काम करेगा.

इस वर्ष के सत्र का विषय महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में पूर्ण और प्रभावी, भागीदारी और निर्णय लेने के साथ है, वहीं लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए हिंसा को खत्म करना है भी शामिल है.

उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि आज लोकतंत्र पर दबाव बढ़ रहा है. हमने देखा है कि 15 वर्षों में दुनियाभर में आजादी में कमी आई है. यहां तक कि विशेषज्ञों का मानना है कि बीता साल विश्वभर में लोकतंत्र और आजादी की बिगड़ती स्थिति के लिहाज से सबसे बुरा था.'

हैरिस ने कहा, 'लोकतंत्र की स्थिति मूल रूप से महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी निर्भर करती है क्योंकि निर्णय लेने की प्रक्रिया से महिलाओं को बाहर रखना इस ओर इशारा करता है कि लोकतंत्र में खामी है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत बनाती है.' लोकतंत्र की स्थिति महिलाओं के सशक्तीकरण पर भी मौलिक रूप से निर्भर करती है. न केवल इसलिए कि निर्णय लेने में महिलाओं का बहिष्कार एक दोषपूर्ण लोकतंत्र का हिस्सा है, बल्कि इसलिए कि महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत करती है और यह हर जगह सच है

हैरिस ने आगे कहा कि वाशिंगटन विश्व संगठन और व्यापक बहुपक्षीय प्रणाली के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत कर रहा है, साथ ही साथ मानव परिषद को फिर से संगठित कर रहा है. उन्होंने इत बात पर जोर देते हुए कहा कि भले ही दुनिया एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट और एक आर्थिक संकट का सामना कर रही हो, यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतंत्र की रक्षा करना जारी रखें.

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश, सहयोगी संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन 15 से 26 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में वर्चुअल तरीके से भाग ले रहे हैं.

अमेरिका की पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई मूल की उपराष्ट्रपति हैरिस ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनियाभर में आर्थिक सुरक्षा, शारीरिक सुरक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है.

पढ़ें : ईरान के साथ समझौते में अमेरिका की वापसी संभव: राफेल ग्रोसी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को इस सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि महामारी ने महिलाओं और लड़कियों पर बहुत खराब असर डाला है. जैसे-जैसे महिलाएं अपनी जरूरत की स्वास्थ्य सेवा हासिल करने के लिए संघर्ष करती हैं, वैसे-वैसे कोविड-19 महामारी एचआईवी, एड्स, मलेरिया, कुपोषण और मातृ एवं बाल मृत्यु दर के खिलाफ संघर्षों में हमारे द्वारा किए गए वैश्विक लाभों को उलटती हुई प्रतीत होती है.

उन्होंने आगाह किया कि जब महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, तो उनके गरीबी में रहने की संभावना अधिक होती है, और इसलिए जलवायु परिवर्तन से असंतुष्ट रूप से लिंग आधारित हिंसा की चपेट में आ जाते हैं, और इसलिए विरोधाभासी रूप से संघर्ष से प्रभावित होते हैं। महिलाओं के लिए निर्णय लेने में पूरी तरह से भाग लेना मुश्किल है, जो बदले में, लोकतंत्र को पनपने के लिए इतना कठिन बना देता है

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