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भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी चुने गए सूरीनाम के राष्ट्रपति - president of Suriname

भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी को सूरीनाम का निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया है. बता दें कि वह पूर्व सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स की जगह लेंगे, जिनकी नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम (एनपीएस) देश में आर्थिक संकट के कारण मई में चुनाव हार गई थी. पढ़ें पूरी खबर...

Chandrika prasad Santokhi
चंद्रिका प्रसाद संतोखी
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Published : Jul 14, 2020, 5:15 PM IST

पारामारिबो : भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी को लैटिन अमेरिकी देश सूरीनाम का राष्ट्रपति चुना गया है. कैरेबियन मीडिया कॉर्पोरेशन (सीएमसी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश की नेशनल एसेंबली द्वारा पूर्व न्याय मंत्री व प्रोग्रेसिव रिफार्म पार्टी (पीआरपी) के नेता संतोखी (61) को निर्विरोध चुना गया.

वह पूर्व सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स की जगह लेंगे जिनकी नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम (एनपीएस) देश में आर्थिक संकट के कारण मई में चुनाव हार गई थी.

सूरीनाम एक पूर्व डच उपनिवेश है, जहां 587,000 की आबादी में 27.4 प्रतिशत लोगों के साथ भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं.

पीआरपी मुख्यत: भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और मूल रूप से इसे युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता था.

संतोखी को विरासत में बॉउटर्स से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है, जिन्होंने चीन और वेनेजुएला के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करते हुए देश को आर्थिक समस्याओं का शिकार बना दिया.

संतोखी ने सोमवार को नेशनल असेंबली में कहा कि देश ने एक आर्थिक पतन का सामना किया है और कहा कि उनकी सरकार सूरीनाम को वापस पटरी पर लाने के लिए नीतियां बनाएगी.

सूरीनाम मूल रूप से बॉक्साइट के निर्यात पर निर्भर रहा है, लेकिन हाल ही में इसके क्षेत्रीय जल में तेल के विशाल भंडार पाए गए हैं और वह एक बार व्यवस्थित हो जाने के बाद अंतत: आर्थिक संकट में देश की मदद कर सकते हैं.

पढ़ें : हांगकांग में कोविड-19 के मामले बढ़े, सात दिनों का लॉकडाउन घोषित

तब तक इसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और नीदरलैंड से मदद की आवश्यकता हो सकती है, जिसका देश उपनिवेश रह चुका है.

बॉउटर्स के शासनकाल में देश का संबंध नीदरलैंड और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अच्छा नहीं रहा. पहले तख्तापलट के कारण, फिर उनके चुनाव में चुने जाने के बाद विरोधियों की हत्या कराने के मामलों में दोषी करार दिए जाने और वेनेजुएला और चीन की तरफ उनके झुकाव के कारण यह नौबत आई.

बॉउटर्स ने 1980 में निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट दिया था. उन्हें 15 विरोधियों की हत्या के मामले में अदलत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है, जिसके खिलाफ उन्होंने अपील की हुई है.

संतोखी के सामने अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पश्चिमी जगत के साथ संबंधों को सुधारने की चुनौती होगी.

पारामारिबो : भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी को लैटिन अमेरिकी देश सूरीनाम का राष्ट्रपति चुना गया है. कैरेबियन मीडिया कॉर्पोरेशन (सीएमसी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश की नेशनल एसेंबली द्वारा पूर्व न्याय मंत्री व प्रोग्रेसिव रिफार्म पार्टी (पीआरपी) के नेता संतोखी (61) को निर्विरोध चुना गया.

वह पूर्व सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स की जगह लेंगे जिनकी नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम (एनपीएस) देश में आर्थिक संकट के कारण मई में चुनाव हार गई थी.

सूरीनाम एक पूर्व डच उपनिवेश है, जहां 587,000 की आबादी में 27.4 प्रतिशत लोगों के साथ भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं.

पीआरपी मुख्यत: भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और मूल रूप से इसे युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता था.

संतोखी को विरासत में बॉउटर्स से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है, जिन्होंने चीन और वेनेजुएला के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करते हुए देश को आर्थिक समस्याओं का शिकार बना दिया.

संतोखी ने सोमवार को नेशनल असेंबली में कहा कि देश ने एक आर्थिक पतन का सामना किया है और कहा कि उनकी सरकार सूरीनाम को वापस पटरी पर लाने के लिए नीतियां बनाएगी.

सूरीनाम मूल रूप से बॉक्साइट के निर्यात पर निर्भर रहा है, लेकिन हाल ही में इसके क्षेत्रीय जल में तेल के विशाल भंडार पाए गए हैं और वह एक बार व्यवस्थित हो जाने के बाद अंतत: आर्थिक संकट में देश की मदद कर सकते हैं.

पढ़ें : हांगकांग में कोविड-19 के मामले बढ़े, सात दिनों का लॉकडाउन घोषित

तब तक इसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और नीदरलैंड से मदद की आवश्यकता हो सकती है, जिसका देश उपनिवेश रह चुका है.

बॉउटर्स के शासनकाल में देश का संबंध नीदरलैंड और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अच्छा नहीं रहा. पहले तख्तापलट के कारण, फिर उनके चुनाव में चुने जाने के बाद विरोधियों की हत्या कराने के मामलों में दोषी करार दिए जाने और वेनेजुएला और चीन की तरफ उनके झुकाव के कारण यह नौबत आई.

बॉउटर्स ने 1980 में निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट दिया था. उन्हें 15 विरोधियों की हत्या के मामले में अदलत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है, जिसके खिलाफ उन्होंने अपील की हुई है.

संतोखी के सामने अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पश्चिमी जगत के साथ संबंधों को सुधारने की चुनौती होगी.

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