वाशिंगटन : भारतीय अमेरिकी अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों ने अमेरिकी कैपटिल (संसद भवन) के सामने ग्रीन कार्ड आवेदन के लंबित रहने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. सांसदों तथा बाइडन प्रशासन से कहा कि देश में स्थायी रूप से रहने का कार्ड हासिल करने के लिए प्रति व्यक्ति देश-विशिष्ट कोटे को समाप्त किया जाए.
ग्रीन कार्ड को औपचारिक रूप से स्थायी निवास कार्ड के नाम से जाना जाता है. इसे अमेरिका प्रवासियों को जारी करता है. भारतीय आईटी पेशेवर मुख्य रूप से एच-1बी कार्य वीजा पर अमेरिका आते हैं और वर्तमान आव्रजन व्यवस्था से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इस व्यवस्था के तहत ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए प्रत्येक देश का सात फीसदी का कोटा है.
संक्रामक रोग के डॉक्टर राज कर्नाटक और फेफड़ों के डॉक्टर प्रणव सिंह ने कहा कि हम अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धा हैं और हम पूरे देश से यहां पर इंसाफ मांगने आए हैं. उस न्याय के लिए आए हैं जिसे हमसे दशकों से वंचित किया हुआ है. शांतिपूर्ण प्रदर्शन के आयोजक दो भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हममें से अधिकतर भारतीय हैं। हमारा प्रशिक्षण अमेरिका में हुआ है और डॉक्टरों के तौर पर बीमारों की सेवा करने की शपथ ली है. हममें से अधिकतर लोग ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सेवा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ग्रीन कार्ड जारी करने के लिए देश की सीमा तय करने की वजह से उनके ग्रीन कार्ड के आवेदन लंबित हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, दशकों से आवेदन लंबित रहने के कारण उच्च कौशल रखने वाले प्रवासी अपनी नौकरी नहीं बदल सकते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि ऐसा करने से वे ग्रीन कार्ड की कतार में अपना स्थान गवां सकते हैं.
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डॉ कर्नाटक और डॉ सिंह ने कहा कि भारत में एक अरब से ज्यादा की आबादी है लेकिन भारत के लोगों को उतने ही ग्रीन कार्ड मिलेंगे जितने आइसलैंड जैसे छोटे देश के लोगों को. अमेरिका में ग्रीन कार्ड के करीब 4.73 लाख आवेदन लंबित हैं.