हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना वायरस से फैली महामारी ने सामान्य जनजीवन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. इस वजह से लोग उद्योगों को बंद करने के लिए मजबूर हो गए हैं.
आर्थिक संकट के इस समय में कई कंपनियों ने अपने आप को बचाने का एक तरीका निकाला है. वह अपने कर्मचारियों को कंपनी से निकालने के बजाय उन्हें अवैतनिक अवकाश पर भेज रही हैं.
अवैतनिक अवकाश पर भेजे गए कर्मचारियों की स्थिति और खराब इसलिए है, क्योंकि वह कंपनी के पेरोल पर बने हुए हैं. यह तरीका कंपनी के लिए तो फायदेमंद है, कंपनी के कर्मचारियों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान है.
आइए देखते हैं कि दुनियाभर के देश ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की सहायता करने के लिए क्या कर रहे हैं.
यूनाइटेड किंगडम
सरकार ने कर्मचारियों के लिए अनुदान की पेशकश की है, जो कर्मचारियों के लगभग 80 प्रतिशत वेतन के बराबर है. सरकार ने मार्च में Corona virus Job retention योजना शुरू की थी, जिसके तहत हर एक कर्मचारी को प्रतिमाह अधिकतम 2,500 यूरो अनुदान के रूप में दिए जाएंगा.
अमेरिका
अमेरिकी सीनेट ने दो खरब डॉलर के पैकेज को पारित किया है. सरकार इससे कंपनी के पेरोल पर बने कर्मचारियों और उन लोगों के वेतन का भुगतान करेगी, जो अपनी नौकरी खो चुके हैं.
फ्रांस
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने लोगों को आश्वासन दिया कि सराकर उन लोगों का वित्तीय भार वहन करेगी, जो घर पर रहने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कंपनियों और कर्मचारियों की सहायता के लिए 45 बिलियन यूरो की घोषणा की है.
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने घोषणा की कि वह अगले छह महीनों में 130 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की योजना के हिस्से के रूप में छह मिलियन लोगों के वेतन का वहन करेगी. हर 15 दिन पर लोगों को 1500 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की सब्सिडी दी जाएगी.
स्वीडन
स्वीडन सरकार ने वादा किया है कि वह सब्सिडी के माध्यम से लोगों को 90 प्रतिशत वेतन देगी. इसके साथ ही उनके काम करने की अवधि को भी कम किया जाएगा.
डेनमार्क
डेनमार्क सरकार ने भी कहा है कि वह कंपनियों को 75 प्रतिशत वेतन के लिए सब्सिडी देगी, बशर्ते वह अपने कर्मचारियों की छटनी न करें.