हैदराबाद (डेस्क): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया है. लगभग 978 करोड़ रुपये की इस परियोजना का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण है. इसके लिए ISRO चांद पर एक रोवर लैंड कराएगा. भारत की इस कामयाबी को दुनिया भर की मीडिया में प्रमुखता से जगह मिली है.
सोमवार को 'चंद्रयान-2' के सफल प्रक्षेपण के बाद अमेरिका के एक प्रमुख समाचारपत्र ने लिखा, 'भारत चंद्रमा की राह पर है.' गौरतलब है कि ये भारत का दूसरा चंद्र मिशन है. इससे पहले पहले मिशन के तहत भारत ने साल 2009 में चंद्रयान-एक का सफल प्रक्षेपण किया था. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर पानी मिलने की पुष्टि की थी.
अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने टिप्पणी की कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण ऐसे समय हुआ है जब ऐतिहासिक अपोलो-11 की 50वीं वर्षगांठ मनायी गई, जब मनुष्य पहली बार चंद्रमा पर उतरा था.
अमेरिका के शीर्ष समाचारपत्र ने याद किया कि भारत ने 2022 तक अपना मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने के इरादे की घोषणा की है.
उसने कहा कि भारत के कम लागत वाले स्वदेशी प्रौद्योगिकी ने उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम को शक्ति दी है जो कि राष्ट्रीय गर्व और प्रेरणा का एक स्रोत है.
वाशिंगटन पोस्ट ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि प्रक्षेपण टालने के कुछ ही दिन बाद सफल दूसरा प्रयास इसरो की उसकी प्रौद्योगिकी क्षमताओं में विश्वास को रेखांकित करता है जो 1.8 अरब डालर के बेहद कम बजट से प्रभावित नहीं हुआ है. वहीं नासा को इस वर्ष 21.5 अरब डालर की धनराशि आवंटित की गई.
न्यूयार्क टाइम्स ने टिप्पणी की, 'यदि बाकी का मिशन ठीक तरह से आगे बढ़ता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन जाएगा. उसका लक्ष्य रहस्यमय दक्षिणी ध्रुव के पास का एक क्षेत्र है जिसे किसी अन्य मिशन द्वारा अन्वेषित नहीं किया गया है.'
उसने लिखा, 'यह भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक बड़ा कदम होगा और सभी जगह के वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों की नजर इस पर लगी है कि क्या देश इसमें सफल रहता है.'
सीएनएन ने टिप्पणी की कि यह मिशन भारत के लिए शानदार है. देश एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनना चाहता है और 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजना चाहता है.
सीएनएन ने लिखा कि 2017 में भारत ने कम लागत के बजट में एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था.
ब्रिटिश समाचारपत्र 'द गार्डियन' ने लिखा कि चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सतह पर लैंडिंग का पहला मिशन है जहां से वह चंद्रमा की रचना के बारे में महत्वपूर्ण सूचना एकत्रित करेगा.
समाचारपत्र ने लिखा कि यह भारत की चंद्रमा की सतह पर पहली लैंडिंग होगी जो सफलता पूर्व में रूस, अमेरिका और चीन ने हासिल की है.
लंदन के 'द टाइम्स' समाचारपत्र ने लिखा कि भारत ने चंद्रमा के लिए एक रॉकेट का प्रक्षेपण किया है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर कोई यान उतारने वाला चौथा देश बनने और एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर उभरने को मजबूती प्रदान करना है.
बीबीसी ने लिखा कि यह भारत के अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किये गए प्रयासों में से सबसे जटिल है. प्रक्षेपण के कुछ ही मिनट बाद राकेट आकाश को चीरता आगे बढ़ा तो इसरो के नियंत्रण कक्ष में तालियां बजाई गई.
चीन की सरकारी संवाद समिति 'शिन्हुआ' ने चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया को व्यापक कवरेज दिया.
पाकिस्तान के प्रमुख समाचारपत्रों ने भी अपनी वेबसाइटों पर प्रक्षेपण के बारे में अंतरराष्ट्रीय संवाद समितियों द्वारा दी गई खबरों को जगह दी.
क्या है पूरा मिशन
'बाहुबली' नाम का देश का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके-3 एम 1 ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ. 3850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को सोमवार को प्रक्षेपित किया गया. इससे पहले एक तकनीकी गड़बड़ी के चलते इसरो ने 15 जुलाई को इसका प्रक्षेपण टाल दिया था.
लैंडर और रोवर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सितम्बर के शुरू में उतरने की उम्मीद है. इसके साथ ही यह चंद्रमा के उस क्षेत्र में उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जाएगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अभी तक अन्वेषण नहीं किया गया है.
मंगलयान के समय भी मिली थी सुर्खियां
बता दें कि साल 2014 में भारत लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना था जब उसने मंगलयान को मंगल की कक्षा में डाला था. मार्स आर्बिटर मिशन पर 7.4 करोड़ डालर का खर्च आया था जो कि उस 10 करोड़ डालर के खर्च से कम है जो हॉलीवुड ने स्पेस थ्रिलर 'ग्रैविटी' बनाने पर किया था.