ETV Bharat / international

चंद्रयान-2 : दुनिया भर में ISRO और भारत की धूम, सफलता की हुई प्रशंसा

विश्व भर के मीडिया प्रतिष्ठानों ने भारत के चंद्रयान-2 के लिये भारत की सफलता की प्रशंसा की है. बता दें, 3850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को सोमवार को प्रक्षेपित किया गया है. देखें पूरी रिपोर्ट

फोटो सौ. (@isro)
author img

By

Published : Jul 23, 2019, 2:40 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 4:45 PM IST

हैदराबाद (डेस्क): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया है. लगभग 978 करोड़ रुपये की इस परियोजना का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण है. इसके लिए ISRO चांद पर एक रोवर लैंड कराएगा. भारत की इस कामयाबी को दुनिया भर की मीडिया में प्रमुखता से जगह मिली है.

सोमवार को 'चंद्रयान-2' के सफल प्रक्षेपण के बाद अमेरिका के एक प्रमुख समाचारपत्र ने लिखा, 'भारत चंद्रमा की राह पर है.' गौरतलब है कि ये भारत का दूसरा चंद्र मिशन है. इससे पहले पहले मिशन के तहत भारत ने साल 2009 में चंद्रयान-एक का सफल प्रक्षेपण किया था. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर पानी मिलने की पुष्टि की थी.

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @isro)

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने टिप्पणी की कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण ऐसे समय हुआ है जब ऐतिहासिक अपोलो-11 की 50वीं वर्षगांठ मनायी गई, जब मनुष्य पहली बार चंद्रमा पर उतरा था.

अमेरिका के शीर्ष समाचारपत्र ने याद किया कि भारत ने 2022 तक अपना मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने के इरादे की घोषणा की है.

उसने कहा कि भारत के कम लागत वाले स्वदेशी प्रौद्योगिकी ने उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम को शक्ति दी है जो कि राष्ट्रीय गर्व और प्रेरणा का एक स्रोत है.

वाशिंगटन पोस्ट ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि प्रक्षेपण टालने के कुछ ही दिन बाद सफल दूसरा प्रयास इसरो की उसकी प्रौद्योगिकी क्षमताओं में विश्वास को रेखांकित करता है जो 1.8 अरब डालर के बेहद कम बजट से प्रभावित नहीं हुआ है. वहीं नासा को इस वर्ष 21.5 अरब डालर की धनराशि आवंटित की गई.

न्यूयार्क टाइम्स ने टिप्पणी की, 'यदि बाकी का मिशन ठीक तरह से आगे बढ़ता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन जाएगा. उसका लक्ष्य रहस्यमय दक्षिणी ध्रुव के पास का एक क्षेत्र है जिसे किसी अन्य मिशन द्वारा अन्वेषित नहीं किया गया है.'

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @isro)

उसने लिखा, 'यह भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक बड़ा कदम होगा और सभी जगह के वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों की नजर इस पर लगी है कि क्या देश इसमें सफल रहता है.'

सीएनएन ने टिप्पणी की कि यह मिशन भारत के लिए शानदार है. देश एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनना चाहता है और 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजना चाहता है.

सीएनएन ने लिखा कि 2017 में भारत ने कम लागत के बजट में एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था.

ब्रिटिश समाचारपत्र 'द गार्डियन' ने लिखा कि चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सतह पर लैंडिंग का पहला मिशन है जहां से वह चंद्रमा की रचना के बारे में महत्वपूर्ण सूचना एकत्रित करेगा.

isro etvbharat
फोटो सौ. (@isro)

समाचारपत्र ने लिखा कि यह भारत की चंद्रमा की सतह पर पहली लैंडिंग होगी जो सफलता पूर्व में रूस, अमेरिका और चीन ने हासिल की है.

लंदन के 'द टाइम्स' समाचारपत्र ने लिखा कि भारत ने चंद्रमा के लिए एक रॉकेट का प्रक्षेपण किया है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर कोई यान उतारने वाला चौथा देश बनने और एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर उभरने को मजबूती प्रदान करना है.

बीबीसी ने लिखा कि यह भारत के अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किये गए प्रयासों में से सबसे जटिल है. प्रक्षेपण के कुछ ही मिनट बाद राकेट आकाश को चीरता आगे बढ़ा तो इसरो के नियंत्रण कक्ष में तालियां बजाई गई.

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @ isro)

चीन की सरकारी संवाद समिति 'शिन्हुआ' ने चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया को व्यापक कवरेज दिया.

पाकिस्तान के प्रमुख समाचारपत्रों ने भी अपनी वेबसाइटों पर प्रक्षेपण के बारे में अंतरराष्ट्रीय संवाद समितियों द्वारा दी गई खबरों को जगह दी.

क्या है पूरा मिशन
'बाहुबली' नाम का देश का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके-3 एम 1 ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ. 3850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को सोमवार को प्रक्षेपित किया गया. इससे पहले एक तकनीकी गड़बड़ी के चलते इसरो ने 15 जुलाई को इसका प्रक्षेपण टाल दिया था.

लैंडर और रोवर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सितम्बर के शुरू में उतरने की उम्मीद है. इसके साथ ही यह चंद्रमा के उस क्षेत्र में उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जाएगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अभी तक अन्वेषण नहीं किया गया है.

मंगलयान के समय भी मिली थी सुर्खियां
बता दें कि साल 2014 में भारत लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना था जब उसने मंगलयान को मंगल की कक्षा में डाला था. मार्स आर्बिटर मिशन पर 7.4 करोड़ डालर का खर्च आया था जो कि उस 10 करोड़ डालर के खर्च से कम है जो हॉलीवुड ने स्पेस थ्रिलर 'ग्रैविटी' बनाने पर किया था.

हैदराबाद (डेस्क): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया है. लगभग 978 करोड़ रुपये की इस परियोजना का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण है. इसके लिए ISRO चांद पर एक रोवर लैंड कराएगा. भारत की इस कामयाबी को दुनिया भर की मीडिया में प्रमुखता से जगह मिली है.

सोमवार को 'चंद्रयान-2' के सफल प्रक्षेपण के बाद अमेरिका के एक प्रमुख समाचारपत्र ने लिखा, 'भारत चंद्रमा की राह पर है.' गौरतलब है कि ये भारत का दूसरा चंद्र मिशन है. इससे पहले पहले मिशन के तहत भारत ने साल 2009 में चंद्रयान-एक का सफल प्रक्षेपण किया था. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर पानी मिलने की पुष्टि की थी.

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @isro)

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने टिप्पणी की कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण ऐसे समय हुआ है जब ऐतिहासिक अपोलो-11 की 50वीं वर्षगांठ मनायी गई, जब मनुष्य पहली बार चंद्रमा पर उतरा था.

अमेरिका के शीर्ष समाचारपत्र ने याद किया कि भारत ने 2022 तक अपना मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने के इरादे की घोषणा की है.

उसने कहा कि भारत के कम लागत वाले स्वदेशी प्रौद्योगिकी ने उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम को शक्ति दी है जो कि राष्ट्रीय गर्व और प्रेरणा का एक स्रोत है.

वाशिंगटन पोस्ट ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि प्रक्षेपण टालने के कुछ ही दिन बाद सफल दूसरा प्रयास इसरो की उसकी प्रौद्योगिकी क्षमताओं में विश्वास को रेखांकित करता है जो 1.8 अरब डालर के बेहद कम बजट से प्रभावित नहीं हुआ है. वहीं नासा को इस वर्ष 21.5 अरब डालर की धनराशि आवंटित की गई.

न्यूयार्क टाइम्स ने टिप्पणी की, 'यदि बाकी का मिशन ठीक तरह से आगे बढ़ता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन जाएगा. उसका लक्ष्य रहस्यमय दक्षिणी ध्रुव के पास का एक क्षेत्र है जिसे किसी अन्य मिशन द्वारा अन्वेषित नहीं किया गया है.'

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @isro)

उसने लिखा, 'यह भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक बड़ा कदम होगा और सभी जगह के वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों की नजर इस पर लगी है कि क्या देश इसमें सफल रहता है.'

सीएनएन ने टिप्पणी की कि यह मिशन भारत के लिए शानदार है. देश एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनना चाहता है और 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजना चाहता है.

सीएनएन ने लिखा कि 2017 में भारत ने कम लागत के बजट में एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था.

ब्रिटिश समाचारपत्र 'द गार्डियन' ने लिखा कि चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सतह पर लैंडिंग का पहला मिशन है जहां से वह चंद्रमा की रचना के बारे में महत्वपूर्ण सूचना एकत्रित करेगा.

isro etvbharat
फोटो सौ. (@isro)

समाचारपत्र ने लिखा कि यह भारत की चंद्रमा की सतह पर पहली लैंडिंग होगी जो सफलता पूर्व में रूस, अमेरिका और चीन ने हासिल की है.

लंदन के 'द टाइम्स' समाचारपत्र ने लिखा कि भारत ने चंद्रमा के लिए एक रॉकेट का प्रक्षेपण किया है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर कोई यान उतारने वाला चौथा देश बनने और एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर उभरने को मजबूती प्रदान करना है.

बीबीसी ने लिखा कि यह भारत के अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किये गए प्रयासों में से सबसे जटिल है. प्रक्षेपण के कुछ ही मिनट बाद राकेट आकाश को चीरता आगे बढ़ा तो इसरो के नियंत्रण कक्ष में तालियां बजाई गई.

isro etvbharat
फोटो सौ. (ट्विटर @ isro)

चीन की सरकारी संवाद समिति 'शिन्हुआ' ने चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया को व्यापक कवरेज दिया.

पाकिस्तान के प्रमुख समाचारपत्रों ने भी अपनी वेबसाइटों पर प्रक्षेपण के बारे में अंतरराष्ट्रीय संवाद समितियों द्वारा दी गई खबरों को जगह दी.

क्या है पूरा मिशन
'बाहुबली' नाम का देश का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके-3 एम 1 ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ. 3850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को सोमवार को प्रक्षेपित किया गया. इससे पहले एक तकनीकी गड़बड़ी के चलते इसरो ने 15 जुलाई को इसका प्रक्षेपण टाल दिया था.

लैंडर और रोवर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सितम्बर के शुरू में उतरने की उम्मीद है. इसके साथ ही यह चंद्रमा के उस क्षेत्र में उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जाएगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अभी तक अन्वेषण नहीं किया गया है.

मंगलयान के समय भी मिली थी सुर्खियां
बता दें कि साल 2014 में भारत लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना था जब उसने मंगलयान को मंगल की कक्षा में डाला था. मार्स आर्बिटर मिशन पर 7.4 करोड़ डालर का खर्च आया था जो कि उस 10 करोड़ डालर के खर्च से कम है जो हॉलीवुड ने स्पेस थ्रिलर 'ग्रैविटी' बनाने पर किया था.

ZCZC
PRI ECO GEN INT
.WASHINGTON FGN44
CHANDRAYAAN-WORLD-REAX
Chandrayaan-2: World media hails India's great leap forward
         Washington/London, Jul 22 (PTI) "India is on its way to the moon," a leading US newspaper wrote on Monday as the country successfully launched its second lunar mission to explore the moon's uncharted south pole by landing a rover there.
         The country's most powerful rocket "GSLV-Mk-III" carrying the orbiter, lander Vikram and rover Pragyaan took off from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota in Andhra Pradesh. The 3,850-kg Chandrayaan-2 was launched on Monday after a technical snag forced the Indian Space Research Organisation (ISRO) to abort the planned July 15 mission.
         The Lander and the Rover are expected to touch down near the Lunar South Pole in early September, becoming the first ever spacecraft to land in that region. The Lunar South Pole remains unexplored till date.
         The launch of Chandrayaan-2 comes at the heels of the 50th anniversary of the historic Apollo 11, when man first landed on the moon, The Washington Post commented.
         India has also announced its intention of sending a manned space mission by 2022, the leading American newspaper recalled.
         India's low-cost, homegrown technology that has powered its space programme is a source of national pride and inspiration, it said.
         Quoting experts, the Post said the successful second attempt so soon after the aborted launch highlights ISRO's confidence in its technological capabilities, which have not been hamstrung by its paltry USD 1.8 billion budget. In comparison, NASA received USD 21.5 billion in funds this year, the Post noted.
         "If the rest of the mission goes as well, India will become the fourth nation after the United States, Russia and China to land on the moon, more than 200,000 miles away. Its target is a region near the mysterious south pole, where no other missions have explored," The New York Times commented.
         "This would be a huge leap forward for India's ambitious space programme, and scientists and defence experts everywhere are watching to see whether the country can pull it off," it said.
         "So are countless Indians. There are few things as unifying for a nation as a successful space programme, and, over the past few weeks, Chandrayaan-2 posters have popped up everywhere and schoolchildren have been hunched over rockets made from soda bottles, learning the physics of rocketry," the report noted.
         This mission is significant for India -- the country wants to become a major space player and put Indian astronauts in space by 2022, CNN commented.
         In 2014, India became the first Asian nation to reach the Red Planet, when it put the Mangalyaan probe into orbit around Mars. The Mars Orbiter Mission famously cost USD 74 million -- less than the $100 million than Hollywood spent making space thriller "Gravity."
         In 2017, India launched a record 104 satellites in one mission while operating a low-cost budget, the CNN report noted.
         Leading British newspaper, The Guardian reported that Chandrayaan-2 aims to become the first mission to conduct a surface landing on the lunar south pole region, where it will collect crucial information about the moon's composition.
         It would be India's first surface landing on the moon a feat previously achieved by only Russia, the US and China, the paper noted.
         The Times newspaper of London reported that India has launched a rocket to the moon, aiming to become the fourth country to land a craft on the lunar surface and cement its emergence as a leading space power.
         It is the most complex mission ever attempted by India's space agency, the BBC commented while noting that there was applause in the ISRO control room minutes after the launch, as the rocket took off towards the outer atmosphere.
         China's state-run Xinhua news agency gave extensive coverage to Chandrayaan-2's launch and reactions of President Ram Nath Kovind and Prime Minister Narendra Modi.
         Pakistan's leading newspapers on their websites displayed the news of the launch by international news agencies. PTI
AKJ
07221948
NNNN
Last Updated : Jul 23, 2019, 4:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.