ETV Bharat / international

पांच देशों के खिलाफ UN पहुंचे 16 युवा कार्यकर्ता, दर्ज कराई शिकायत - UN General Assembly in New York

जलवायु परिवर्तन को लेकर राष्ट्रों की अकर्मण्यता के खिलाफ स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थनबर्ग और 15 अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने पांच देशों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई है. आठ से 17 वर्षीय कार्यकर्ताओं ने वैश्विक प्रदर्शनों के बाद यह शिकायत दर्ज कराई है. पढ़ें पूरी खबर...

ग्रेटा थनबर्ग (फइल फोटो)
author img

By

Published : Sep 24, 2019, 5:33 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 8:29 PM IST

संयुक्त राष्ट्र/न्यूयॉर्क: स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थनबर्ग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में राष्ट्रों की अकर्मण्यता के खिलाफ युवा आंदोलन का चेहरा बनती जा रही हैं. थनबर्ग और 15 अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने पांच देशों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई है. इन 16 लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने की बात कही है.

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर वैश्विक प्रदर्शनों के बाद युवा कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत दर्ज कराई.

शिकायत में जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की पर बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया है.

यह शिकायत स्वीडन की 16 वर्षीय कार्यकर्ता थनबर्ग और 12 विभिन्न देशों के 15 अन्य याचिकाकर्ताओं ने दर्ज कराई है, जिनकी आयु आठ वर्ष से 17 वर्ष के बीच है. इस शिकायत में इन पांच देशों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पर्याप्त एवं समय पर कदम नहीं उठाकर बाल अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

थनबर्ग ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की शुरुआत में एक विशेष सत्र के दौरान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धीमी कार्रवाई को लेकर विश्व के नेताओं को फटकार लगाई थी.

पढ़ें-क्लाइमेट चेंज पर रोड मैप के साथ आए हैं हम : पीएम मोदी

गुस्से में नजर आ रही थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम हो कर अपनी पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया.

गौरतलब है, अमेरिका को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने बाल स्वास्थ्य एवं अधिकार रक्षा से जुड़ी संधि को मंजूरी दी थी.

जानकारी के लिए बता दें, यह शिकायत 2014 में अस्तित्व में आए 'वैकल्पिक प्रोटोकॉल' के तहत की गई. यदि बच्चों को लगता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो वे 'बाल अधिकार समिति' के समक्ष इस प्रोटोकॉल के तहत शिकायत कर सकते हैं.

समिति इसके बाद आरोपों की जांच करती है और फिर संबंधित देशों से सिफारिश करती है कि वे किस प्रकार शिकायत का निपटारा कर सकते हैं. कानूनी फर्म 'हौसफेल्ड एलएलपी एवं अर्थलाइसिस' ने 16 युवाओं को समर्थन दिया है.

वकील माइकल हौसफेल्ड ने कहा कि हालांकि समिति की सिफारिशें कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन 44 देशों ने प्रोटोकॉल को मंजूरी देकर उनका सम्मान करने का संकल्प लिया है. उम्मीद है कि आगामी 12 महीनों में सिफारिश सौंप दी जाएंगी.

जिन पांच देशों के खिलाफ शिकायत की गई है वे प्रोटोकॉल को मंजूरी देने वाले 44 देशों और सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में शामिल हैं.

विश्व में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश अमेरिका, चीन और भारत है, लेकिन उन्होंने प्रोटोकॉल को मंजूरी नहीं दी है.

(पीटीआई इनपुट)

संयुक्त राष्ट्र/न्यूयॉर्क: स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थनबर्ग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में राष्ट्रों की अकर्मण्यता के खिलाफ युवा आंदोलन का चेहरा बनती जा रही हैं. थनबर्ग और 15 अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने पांच देशों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई है. इन 16 लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने की बात कही है.

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर वैश्विक प्रदर्शनों के बाद युवा कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत दर्ज कराई.

शिकायत में जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की पर बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया है.

यह शिकायत स्वीडन की 16 वर्षीय कार्यकर्ता थनबर्ग और 12 विभिन्न देशों के 15 अन्य याचिकाकर्ताओं ने दर्ज कराई है, जिनकी आयु आठ वर्ष से 17 वर्ष के बीच है. इस शिकायत में इन पांच देशों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पर्याप्त एवं समय पर कदम नहीं उठाकर बाल अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

थनबर्ग ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की शुरुआत में एक विशेष सत्र के दौरान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धीमी कार्रवाई को लेकर विश्व के नेताओं को फटकार लगाई थी.

पढ़ें-क्लाइमेट चेंज पर रोड मैप के साथ आए हैं हम : पीएम मोदी

गुस्से में नजर आ रही थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम हो कर अपनी पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया.

गौरतलब है, अमेरिका को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने बाल स्वास्थ्य एवं अधिकार रक्षा से जुड़ी संधि को मंजूरी दी थी.

जानकारी के लिए बता दें, यह शिकायत 2014 में अस्तित्व में आए 'वैकल्पिक प्रोटोकॉल' के तहत की गई. यदि बच्चों को लगता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो वे 'बाल अधिकार समिति' के समक्ष इस प्रोटोकॉल के तहत शिकायत कर सकते हैं.

समिति इसके बाद आरोपों की जांच करती है और फिर संबंधित देशों से सिफारिश करती है कि वे किस प्रकार शिकायत का निपटारा कर सकते हैं. कानूनी फर्म 'हौसफेल्ड एलएलपी एवं अर्थलाइसिस' ने 16 युवाओं को समर्थन दिया है.

वकील माइकल हौसफेल्ड ने कहा कि हालांकि समिति की सिफारिशें कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन 44 देशों ने प्रोटोकॉल को मंजूरी देकर उनका सम्मान करने का संकल्प लिया है. उम्मीद है कि आगामी 12 महीनों में सिफारिश सौंप दी जाएंगी.

जिन पांच देशों के खिलाफ शिकायत की गई है वे प्रोटोकॉल को मंजूरी देने वाले 44 देशों और सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में शामिल हैं.

विश्व में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश अमेरिका, चीन और भारत है, लेकिन उन्होंने प्रोटोकॉल को मंजूरी नहीं दी है.

(पीटीआई इनपुट)

ZCZC
PRI GEN INT
.UNITEDNATIONS FGN19
UN-CLIMATE-COMPLAINT
After protests, Greta Thunberg and others file UN complaint
         United Nations, Sep 23 (AFP) After global street protests demanding action on climate change, Greta Thunberg and 15 other young activists on Monday filed a complaint at the UN against five countries for not doing enough to ward off global warming.
         The complaint accused Germany, France, Brazil, Argentina and Turkey of failing to uphold their obligations under the Convention on the Rights of the Child, signed 30 years ago.
         The complaint, filed by the 16-year-old Swedish activist and 15 other petitioners from 12 different countries and aged between eight and 17, accused the five countries of violating children's rights by failing to take adequate and timely action against climate change.
         It was filed after Thunberg delivered a searing attack on world leaders for their slow response to climate change at a special session kicking off the UN General Assembly in New York.
         Every member of the United Nations except the United States has ratified the convention to protect the health and rights of children.
         Monday's complaint focuses on a little-known "optional protocol" that came into effect in 2014 that allows children to file a complaint to the Committee on the Rights of the Child if they feel their rights are being denied.
         The committee is then meant to investigate the charges before making recommendations to the countries concerned on how they can fix the issue.
         The 16 young people were backed by the legal firm Hausfeld LLP and Earthjustice, an environmental law group.
         Lawyer Michael Hausfeld said that while the committee's recommendations are not legally binding, the 44 countries that ratified the protocol pledged to respect them. He said he hoped the recommendations would be made in the coming 12 months.
         The five countries named in the complaint are among the 44 that ratified the protocol and are also among the top global polluters, as well as being members of the G20 group of leading global economies.
         The largest polluters in the world -- the United States, China and India -- did not ratify the protocol.
         Countries like France and Germany may have recently begun working to tackle greenhouse gas emissions, but have also played a large role historically in polluting the atmosphere, the law firm argued. (AFP)
SCY
SCY
09241244
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 8:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.