वॉशिंगटन : अमेरिका के रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कहा है कि संसाधन बहुल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता और बलप्रयोग की प्रकृति क्वाड देशों के बीच अक्सर चर्चा का विषय रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की मेजबानी में 24 सितंबर को क्वाड के नेताओं ने पहली बार आमने-सामने की बैठक करते हुए मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विचार को बढ़ावा देने का संकल्प लिया. बाइडेन के आमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के उनके समकक्ष स्कॉट मॉरिसन तथा जापान से योशिहिदे सुगा ने क्वाड सम्मेलन में शिरकत की.
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'क्वाड के बहुत सारे परिणाम हैं और सभी का चीन से कोई नाता नहीं है... ऐसा नहीं है कि क्वाड का अस्तित्व केवल चीन या उसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए है.'
उन्होंने कहा, 'जाहिर है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन क्या कर रहा है, जिस आक्रामकता, बलप्रयोग के जरिए वह अपने दावों को पेश करने की कोशिश करता है, निश्चित रूप से यह क्वाड में हमारे सभी सहयोगियों तथा भागीदारों के साथ लगातार चर्चा का एक विषय रहा है.'
किर्बी ने कहा, 'क्वाड व्यवस्था हमें सभी प्रकार की पहल पर बहुपक्षीय रूप से काम करने का एक और शानदार अवसर प्रदान करती है, जो हमें वास्तव में एक स्वतंत्र एवं खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाने में मदद कर सकता है, जैसा कि हम चाहते हैं. इसमें काफी कुछ है और हर चीज का चीन से नाता नहीं है.'
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिहाज से एक नयी रणनीति विकसित करने के लिए नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने लंबे समय से लंबित क्वाड की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था.
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हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि में भारत, अमेरिका और कुछ अन्य देश क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त बनाए रखने तथा निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं. चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी क्षेत्र पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान भी बनाए हैं.
(पीटीआई भाषा)