बीजिंग: चीन बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुरक्षा देने के जरूरी कानूनी उपायों के साथ वैश्विक निवेशकों को अपने बाजार में बराबरी के अवसर देने के लिए नया विदेशी निवेश कानून पारित करने की तैयारी में है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिए जो मांगें चीन के सामने रखी है, उनमें यह भी शामिल है.
ट्रंप के आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर भारी शुल्क लगाने के बाद चीन और अमेरिका आमने-सामने आ गए थे और दोनों ने एक-दूसरे पर अरबों डॉलर का जवाबी शुल्क लगाने की पहल की.नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के प्रवक्ता झांग येसुई ने सोमवार को कहा कि विदेशी निवेश कानून का मसौदा एनपीसी की विधायी कामकाज देखने वाली शीर्ष समिति के पास समीक्षा के लिए आठ मार्च को जमा कर दिया जायेगा.
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मतदान के लिए इसे 15 मार्च को रखा जाएगा. जल्दबाजी में विदेशी निवेश नियम पेश किए जाने के सवाल पर झांग ने कहा कि चीन और अमेरिका के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों देशों के संबंधों में टकराव से किसी को फायदा नहीं है. उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाई है, जो बिना किसी संघर्ष और टकराव, एक - दूसरे के सम्मान और दोनों के लिए फायदेमंद सहयोग पर आधारित है.
झांग ने कहा कि विदेशी निवेश कानून को अपनाने का उद्देश्य विदेशी निवेश पर कानूनी प्रणाली में एक नवीनता लाना है और पुराने तीन कानूनों को बदलना है. विदेशी निवेश कानून का मसौदा स्पष्ट रूप से कहता है कि चीन में विदेशी निवेश पहले से स्थापित राष्ट्रीय उपचार और नकारात्मक सूची प्रबंधन प्रणाली के अधीन होगा. मामलों के आधार पर मंजूरी प्रबंधन प्रारूप को खत्म कर दिया जाएगा.
मसौदे के मुताबिक, ऐसे उद्योग जहां विदेशी निवेश प्रतिबंधित हैं उन्हें नकारात्मक सूची में डाला जाएगा. जिन उद्योगों को इन सूची में नहीं रखा जाता है उन उद्योगों में घरेलू और विदेशी कंपनियों के साथ समान बर्ताव होगा. कानून के मसौदे में आईपीआर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी स्थानांतरण जैसे मुद्दों पर विदेशी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए भी स्थिति स्पष्ट की गई है। ये विदेशी निवेशकों के लिए चिंता के विषय हैं.
(भाषा)