बीजिंग: चीन ने अमेरिका पर तिब्बत में 'हस्तक्षेप' करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. साथ ही चीन ने यह भी कहा कि अमेरिका आंतरिक मामलो में भी दखलंदाजी कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के राजदूत सैम ब्राउनबैक ने पिछले सप्ताह कहा था कि अमेरिका इस बात के लिए वैश्विक स्तर पर समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगा कि अगले आध्यात्मिक नेता का चयन 'चीन सरकार नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बती करें.'
उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले को उठाएगा.'
ब्राउनबैक के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बीजिंग ने कहा कि अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यह निश्चित तौर पर असफल रहेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका यकीनन विरोध किया जाएगा.'
चीन लगातार इस बात का संकेत दे रहा है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी के नाम का एलान करेगा. समझा जाता है कि उसे स्पष्ट तौर पर चीनी शासन का समर्थन करने के लिए तैयार किया जाएगा.
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दलाई लामा 1959 में चीनी शासन के खिलाफ तिब्बती बगावत के बाद भारत आ गये थे. उनके स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं ने उनके संभावित उत्तराधिकारी को लेकर अनिश्चितताएं फिर से पैदा कर दी हैं.
चीन ने उनके उत्तराधिकारी के चयन पर अपना नियंत्रण होने का दावा करते हुए कहा कि दलाई के उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी. उल्लेखनीय है कि तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक गुरु के वरिष्ठता क्रम में दलाई के बाद पंचेन लामा दूसरा सर्वाधिक अहम पद था.
चीन सरकार ने दलाई द्वारा नियुक्त पंचेन लामा गेधु चोयकी नयीमा को 1995 में अपदस्थ कर दिया और उनकी जगह छह साल के एक लड़के बेनकेन एरदिनी को बैठा दिया, जो तब से इस पद पर काबिज है.
गेधु चोयकी नयीमा का तब से कोई अता-पता नहीं है. कहा जाता है कि वह चीन की हिरासत में हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, नयीमा दुनिया के सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी हैं.