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'एक-चीन' की नीति को रद्द करने के लिए अमेरिकी संसद में विधेयक पेश - राजनयिक संबंध बहाल

सांसद टॉम टिफनी और स्कॉट पेरी ने प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अमेरिका से ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध बहाल करने और पुरानी हो चुकी एवं अनुत्पादक 'एक-चीन' की नीति को रद्द करने की अपील की गई है.

अमेरिकी संसद
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Published : Mar 2, 2021, 3:43 PM IST

वॉशिंगटन : रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदों ने प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अमेरिका से ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध बहाल करने और पुरानी हो चुकी एवं अनुत्पादक 'एक-चीन' की नीति को रद्द करने की अपील की गई है.

सांसद टॉम टिफनी और स्कॉट पेरी ने यह विधेयक पेश किया है, जिसमें बाइडेन प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की सदस्यता को समर्थन देने और अमेरिका एवं ताइवान के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए ताइपे के साथ वार्ता करने की अपील की गई है.

टिफनी ने कहा, 'पिछले करीब 40 साल से अमेरिका में दोनों दलों के राष्ट्रपतियों ने बीजिंग के इस झूठ को कई बार दोहराया है कि ताइवान साम्यवादी चीन का हिस्सा है, जबकि वास्विक सच्चाई इसके विपरीत है. इस पुरानी हो चुकी नीति को बदलने की आवश्यकता है.'

अमेरिका के 1979 तक ताइवान की सरकार के साथ सामान्य राजनयिक संबंध थे, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने ताइपे के साथ औपचारिक संबंध अचानक समाप्त कर दिए और चीन में साम्यवादी शासन को मान्यता दी.

पढ़ें - अमेरिकी राजदूत ने लोकतंत्र बहाली के लिए म्यांमार सेना पर दबाव बढ़ाने की अपील की

चीन ताइवान को विद्रोही प्रांत मानता है और वह उसे फिर से मुख्य भूमि में शामिल करना चाहता है.

वॉशिंगटन : रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदों ने प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अमेरिका से ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध बहाल करने और पुरानी हो चुकी एवं अनुत्पादक 'एक-चीन' की नीति को रद्द करने की अपील की गई है.

सांसद टॉम टिफनी और स्कॉट पेरी ने यह विधेयक पेश किया है, जिसमें बाइडेन प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की सदस्यता को समर्थन देने और अमेरिका एवं ताइवान के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए ताइपे के साथ वार्ता करने की अपील की गई है.

टिफनी ने कहा, 'पिछले करीब 40 साल से अमेरिका में दोनों दलों के राष्ट्रपतियों ने बीजिंग के इस झूठ को कई बार दोहराया है कि ताइवान साम्यवादी चीन का हिस्सा है, जबकि वास्विक सच्चाई इसके विपरीत है. इस पुरानी हो चुकी नीति को बदलने की आवश्यकता है.'

अमेरिका के 1979 तक ताइवान की सरकार के साथ सामान्य राजनयिक संबंध थे, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने ताइपे के साथ औपचारिक संबंध अचानक समाप्त कर दिए और चीन में साम्यवादी शासन को मान्यता दी.

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चीन ताइवान को विद्रोही प्रांत मानता है और वह उसे फिर से मुख्य भूमि में शामिल करना चाहता है.

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