ETV Bharat / international

वॉल्व लगे फेसमास्क से कोरोना खत्म करने के प्रयास हो सकते हैं बाधित - facemask

दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इससे बचने के लिए मास्क, सैनिटाइजर बुनियादी जरूरत माने जाते हैं. इसी बीच एक अध्ययन से पता चला है कि वॉल्व लगे फेसमास्क से कोरोना को खत्म करने के प्रयास बाधित हो सकते हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

- valve mounted facemask covid 19-
वॉल्व लगे फेसमास्क
author img

By

Published : Sep 2, 2020, 5:28 PM IST

वॉशिंगटन : छींकने या खांसने अथवा बात करने के दौरान मुंह से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को रोकने में नियमित मास्क के मुकाबले वॉल्व लगे फेसमास्क या फेस शील्ड संभवतः उतने प्रभावी नहीं हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं ने पाया कि वॉल्व वाले फेसमास्क से कोविड-19 को खत्म करने के प्रयास बाधित हो सकते हैं.

अमेरिका में फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने फेस शील्ड और वॉल्व वाले मास्क द्वारा सूक्ष्म बूंदों के प्रसार को बाधित करने संबंधी प्रदर्शन के गुणात्मक दृश्यांकन का इस्तेमाल किया.

उन्होंने पाया कि नियमित मास्क के इन विकल्पों का सार्वजनिक रूप से व्यापक इस्तेमाल का संभवत: महामारी को खत्म करने के प्रयासों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एक प्रयोगशाला में लेजर प्रकाश परत का इस्तेमाल करते हुए प्रवाह दृश्यांकन को संयोजित किया और आसुत (डिस्टिल्ड) जल व ग्लिसरीन के मिश्रण को कृत्रिम कफ वेग के तौर पर इस्तेमाल किया.

उन्होंने एक पुतले के मुंह से सुक्ष्म बूंदों को छींकने की गति से निकलवाया.

प्लास्टिक के फेस शील्ड और वॉल्व युक्त एन-95 फेस मास्क का इस्तेमाल कर फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन के मुख्य लेखक सिद्धार्थ वर्मा समेत शोधकर्ताओं ने इन बूंदों के मार्ग और यह कैसे प्रदर्शन करती हैं, यह पता लगाया.

यह भी पढ़ें- संसद के मानसून सत्र में नहीं होगा प्रश्नकाल, थरूर ने जताई आपत्ति

शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि फेस शील्ड से मुंह से निकलने वाली बूंदों का शुरुआती अग्रिम प्रवाह बाधित होता है, लेकिन बूंदें सुगमता से शील्ड से बाहर निकल जाती हैं और व्यापक दायरे में फैल जाती हैं.

उन्होंने कहा कि वहीं वॉल्व वाले फेसमास्क के नतीजें देखने पर पता चलता है कि बड़ी संख्या में बूंदें निर्बाध रूप से वॉल्व से बाहर निकल जाती हैं जो नियंत्रण के एक उपाय के तौर पर उनकी प्रभाव क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है.

प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक मनहर धनक ने कहा कि इस नए अध्ययन से हम यह पता लगाने में सफल रहे कि फेस शील्ड छींक या खांसी के साथ आने वाली सूक्ष्म बूंदों के अग्रिम प्रवाह को शुरुआती तौर पर तो रोकने में कामयाब है, लेकिन हवा में तैरती बूंदे बाहर निकल जाती हैं और सुगमता से शील्ड से आगे बढ़ जाती हैं.'

धनक ने कहा, 'इसके बाद यह बूंदें सघनता कम होने के साथ-साथ व्यापक क्षेत्र में प्रसारित हो सकती हैं.'

वॉशिंगटन : छींकने या खांसने अथवा बात करने के दौरान मुंह से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को रोकने में नियमित मास्क के मुकाबले वॉल्व लगे फेसमास्क या फेस शील्ड संभवतः उतने प्रभावी नहीं हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं ने पाया कि वॉल्व वाले फेसमास्क से कोविड-19 को खत्म करने के प्रयास बाधित हो सकते हैं.

अमेरिका में फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने फेस शील्ड और वॉल्व वाले मास्क द्वारा सूक्ष्म बूंदों के प्रसार को बाधित करने संबंधी प्रदर्शन के गुणात्मक दृश्यांकन का इस्तेमाल किया.

उन्होंने पाया कि नियमित मास्क के इन विकल्पों का सार्वजनिक रूप से व्यापक इस्तेमाल का संभवत: महामारी को खत्म करने के प्रयासों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एक प्रयोगशाला में लेजर प्रकाश परत का इस्तेमाल करते हुए प्रवाह दृश्यांकन को संयोजित किया और आसुत (डिस्टिल्ड) जल व ग्लिसरीन के मिश्रण को कृत्रिम कफ वेग के तौर पर इस्तेमाल किया.

उन्होंने एक पुतले के मुंह से सुक्ष्म बूंदों को छींकने की गति से निकलवाया.

प्लास्टिक के फेस शील्ड और वॉल्व युक्त एन-95 फेस मास्क का इस्तेमाल कर फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन के मुख्य लेखक सिद्धार्थ वर्मा समेत शोधकर्ताओं ने इन बूंदों के मार्ग और यह कैसे प्रदर्शन करती हैं, यह पता लगाया.

यह भी पढ़ें- संसद के मानसून सत्र में नहीं होगा प्रश्नकाल, थरूर ने जताई आपत्ति

शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि फेस शील्ड से मुंह से निकलने वाली बूंदों का शुरुआती अग्रिम प्रवाह बाधित होता है, लेकिन बूंदें सुगमता से शील्ड से बाहर निकल जाती हैं और व्यापक दायरे में फैल जाती हैं.

उन्होंने कहा कि वहीं वॉल्व वाले फेसमास्क के नतीजें देखने पर पता चलता है कि बड़ी संख्या में बूंदें निर्बाध रूप से वॉल्व से बाहर निकल जाती हैं जो नियंत्रण के एक उपाय के तौर पर उनकी प्रभाव क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है.

प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक मनहर धनक ने कहा कि इस नए अध्ययन से हम यह पता लगाने में सफल रहे कि फेस शील्ड छींक या खांसी के साथ आने वाली सूक्ष्म बूंदों के अग्रिम प्रवाह को शुरुआती तौर पर तो रोकने में कामयाब है, लेकिन हवा में तैरती बूंदे बाहर निकल जाती हैं और सुगमता से शील्ड से आगे बढ़ जाती हैं.'

धनक ने कहा, 'इसके बाद यह बूंदें सघनता कम होने के साथ-साथ व्यापक क्षेत्र में प्रसारित हो सकती हैं.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.