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हुआवेई पर हमला बोलते हुए अमेरिका ने जियो को बताया 'क्लीन' - Spying through telecom companies

चीन में पैदा हुए कोरोना महामारी से बीजिंग द्वारा रणनीतिक और आर्थिक रूप से लाभ उठाने का प्रयास किया गया, जिससे दुनिया को परेशानियों का सामना करना पड़ा. अब अमेरिका ने चीन की कंपनी हुआवेई के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान को तेज कर दिया है. वहीं माइक पोम्पिओ ने रिलायंस जियो को एक साफ-सुथरा नेटवर्क करार दिया है.

Attacking Huawei  US tells Jio clean
हुआवेई पर हमला
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Published : Jun 25, 2020, 7:09 PM IST

न्यूयॉर्क : अमेरिका कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराता आ रहा है. अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन की कंपनी हुआवे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान को तेज कर दिया है. अमेरिका चीन पर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाता रहा है. इसके साथ ही अमेरिका ने रिलायंस जियो को एक साफ-सुथरा नेटवर्क करार दिया.

चीन की कंपनी हुआवे के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अभियान को तेज करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रिलायंस जियो को एक साफ-सुथरा नेटवर्क करार दिया है. उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जियो द्वारा हुआवे के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

इसके साथ ही पोम्पिओ ने यह भी कहा है कि जियो बीजिंग के इंटेलीजेंस की ओर से किसी भी प्रकार की सेंध से सुरक्षित है.

दुनिया की अग्रणी दूरसंचार ऑपरेटरों में जियो को सूचीबद्ध करते हुए पोम्पिओ ने बुधवार पत्रकारों को बताया कि जियो दुनिया के उन क्लीन नेटवर्क में से हैं, जहां हुआवे के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं, उन्होंने हुआवे को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का बुनियादी ढांचा भी बताया है.

5जी जनरेशन नेटवर्क में हुआवे की सेंधमारी को रोकना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक प्राथमिकता बन गई है.

उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व के अन्य नेताओं से इस कंपनी को बैन करने की अपील की है क्योंकि अमेरिका का चीन पर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाता रहा है.

हुआवे पर लगाए गए प्रतिबंधों की एक श्रृंखला के साथ वॉशिंगटन द्वारा उन अन्य देशों पर भी दबाव इसलिए बनाया जा रहा है ताकि चीनी कंपनियों के साथ अमेरिकी प्रौद्योगिकियों को साझा करने के मामले में उन पर रोक लगाया जा सके.

उन्होंने बाद में यह भी कहा कि चीनी कंपनियों के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने का प्रयास इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि चीन में पैदा हुए कोविड-19 महामारी से बीजिंग द्वारा रणनीतिक और आर्थिक रूप से लाभ उठाने का प्रयास किया गया, जिससे दुनिया को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा, हुआवेई के खिलाफ अभियान में तेजी आ रही है क्योंकि दुनिया में लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निगरानी रखने की क्षमता के खतरों से वाकिफ हो रहे हैं. दुनिया भर के टेलीकम्युनिकेशन्स ऑपरेटर्स के साथ हुआवे के करार खत्म होते जा रहे हैं क्योंकि देश अपने 5जी नेटवर्क में विश्वसनीय कंपनियों को अनुमति प्रदान कर रहे हैं.

फरवरी में ट्रंप के भारत दौरे के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने उन्हें बताया था कि रिलायंस जियो दुनिया का पहला ऐसा नेटवर्क है जिसने चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया है.

कोरोना : डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा पर अस्थाई रोक से अन्य वीजा भी प्रभावित

कथित तौर पर 5जी नेटवर्क के लिए रिलायंस जियो स्वदेशी उपकरणों की मदद लेने के प्रयास में जुटा हुआ है. कंपनी ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम से बिना किसी थर्ड पार्टी की भागीदारी के स्वेदशी 5जी उपकरणों के लैब टेस्ट के लिए आवेदन किया है.

न्यूयॉर्क : अमेरिका कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराता आ रहा है. अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन की कंपनी हुआवे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान को तेज कर दिया है. अमेरिका चीन पर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाता रहा है. इसके साथ ही अमेरिका ने रिलायंस जियो को एक साफ-सुथरा नेटवर्क करार दिया.

चीन की कंपनी हुआवे के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अभियान को तेज करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रिलायंस जियो को एक साफ-सुथरा नेटवर्क करार दिया है. उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जियो द्वारा हुआवे के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

इसके साथ ही पोम्पिओ ने यह भी कहा है कि जियो बीजिंग के इंटेलीजेंस की ओर से किसी भी प्रकार की सेंध से सुरक्षित है.

दुनिया की अग्रणी दूरसंचार ऑपरेटरों में जियो को सूचीबद्ध करते हुए पोम्पिओ ने बुधवार पत्रकारों को बताया कि जियो दुनिया के उन क्लीन नेटवर्क में से हैं, जहां हुआवे के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं, उन्होंने हुआवे को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का बुनियादी ढांचा भी बताया है.

5जी जनरेशन नेटवर्क में हुआवे की सेंधमारी को रोकना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक प्राथमिकता बन गई है.

उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व के अन्य नेताओं से इस कंपनी को बैन करने की अपील की है क्योंकि अमेरिका का चीन पर टेलीकॉम कंपनियों के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाता रहा है.

हुआवे पर लगाए गए प्रतिबंधों की एक श्रृंखला के साथ वॉशिंगटन द्वारा उन अन्य देशों पर भी दबाव इसलिए बनाया जा रहा है ताकि चीनी कंपनियों के साथ अमेरिकी प्रौद्योगिकियों को साझा करने के मामले में उन पर रोक लगाया जा सके.

उन्होंने बाद में यह भी कहा कि चीनी कंपनियों के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने का प्रयास इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि चीन में पैदा हुए कोविड-19 महामारी से बीजिंग द्वारा रणनीतिक और आर्थिक रूप से लाभ उठाने का प्रयास किया गया, जिससे दुनिया को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा, हुआवेई के खिलाफ अभियान में तेजी आ रही है क्योंकि दुनिया में लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निगरानी रखने की क्षमता के खतरों से वाकिफ हो रहे हैं. दुनिया भर के टेलीकम्युनिकेशन्स ऑपरेटर्स के साथ हुआवे के करार खत्म होते जा रहे हैं क्योंकि देश अपने 5जी नेटवर्क में विश्वसनीय कंपनियों को अनुमति प्रदान कर रहे हैं.

फरवरी में ट्रंप के भारत दौरे के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने उन्हें बताया था कि रिलायंस जियो दुनिया का पहला ऐसा नेटवर्क है जिसने चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया है.

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कथित तौर पर 5जी नेटवर्क के लिए रिलायंस जियो स्वदेशी उपकरणों की मदद लेने के प्रयास में जुटा हुआ है. कंपनी ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम से बिना किसी थर्ड पार्टी की भागीदारी के स्वेदशी 5जी उपकरणों के लैब टेस्ट के लिए आवेदन किया है.

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