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यह भारत-अमेरिका की 'अद्वितीय साझेदारी' को नया रूप देने का समय : संधू

अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भारत-अमेरिका संबंधों पर जोर दिया है. उन्होंने अपने एक लेख में लिखा कि हम अपने देशों और दुनिया को लाभ पहुंचाने वाली एक नींव का निर्माण कर सकते हैं.

अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू
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Published : Feb 17, 2021, 7:14 PM IST

न्यूयॉर्क : अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि विश्व में कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी के मद्देनजर यह भारत और अमेरिका के बीच एक 'अद्वितीय साझेदारी' के वादे को नवीन रूप देने का समय है, ताकि आबादी के पांचवें हिस्से को सीधा फायदा पहुंचे.

अमेरिकी पत्रिका 'न्यूज़वीक' में संधू ने 'मीटिंग द चैलेंज ऑफ अवर टाइम्स: डीपनिंग द इंडिया-यूएस पार्टनरशिप' शीर्षक से एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच सहयोग के पांच ऐसे क्षेत्रों को रेखांकित किया है, जिससे न केवल दोनों लोकतांत्रिक देशों को फायदा होगा, बल्कि इससे एक सुरक्षित, स्वस्थ तथा अधिक समृद्ध दुनिया बनाने में भी मदद मिलेगी.

ये क्षेत्र कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने, डिजिटल क्षमताओं, शिक्षा साझेदारी और रक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने से जुड़े हैं.

संधू ने लिखा कि सबसे बड़े प्रकोप का सामना करने के मद्देनजर अब अद्वितीय साझेदारी के वादे को नवीन रूप देने का समय आ गया है, जिससे आबादी के पांचवें हिस्से को सीधा लाभ पहुंचे और जो नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के लिए स्थायी शांति एवं सुरक्षा का स्रोत बने.

संधू ने कहा कि दोनों देशों ने अमेरिका में द्विदलीय सहमति और भारत में हर दल के समर्थन के आधार पर पिछले दो दशक में एक 'उल्लेखनीय साझेदारी' निर्मित की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नए अमेरिकी प्रशासन के तहत, हम अपने देशों और दुनिया को लाभ पहुंचाने वाली एक नींव का निर्माण कर सकते हैं.

'भारत विश्व का औषधालय'

उन्होंने कहा, 'हम अमेरिकी शासन के साथ तत्काल वैश्विक महामारी से निपटने के लिए, स्वास्थ्य-देखभाल क्षेत्र में हमारे व्यापक सहयोग को आगे बढ़ाएंगे, जिसमें विज्ञान से जुड़ी चीजों के आदान-प्रदान (वर्तमान में पांच टीकों पर मिलकर काम जारी है) से लेकर औषधियों आदि तक को एक-दूसरे के साथ साझा करना शामिल है.'

उन्होंने कहा कि भारत 'विश्व का औषधालय है', उसने दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसियों के अलावा अफ्रीका, लातिन अमेरिका, पश्चिम एशिया और एशिया सहित अपने अन्य साझेदारों को भी कोविड-19 के टीके मुहैया कराए हैं.

यह रेखांकित करते हुए कि भारत पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है, संधू ने इस महत्वपूर्ण समझौते में अमेरिका की वापसी का स्वागत किया. उन्होंने इस बात को भी रेखोंकित किया कि सामरिक ऊर्जा साझेदारी के तहत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में दो देश पहले से ही एक साथ काम कर रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि विश्व वैश्विक महामारी से उबर रहा है और ऐसे में आर्थिक विकास डिजिटल क्षमताओं पर निर्भर है, जो कि 'हमारी बड़ी आबादी के काम, अध्ययन और बातचीत' के लिए महत्वपूर्ण होगा.

शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी पर दिया जोर

संधू ने कहा कि 5 जी, एआई, 'बिग डेटा एनालिटिक्स', 'क्वांटम कंप्यूटिंग', 'ब्लॉकचैन' और 'आईओटी' जैसी मुख्य प्रौद्योगिक में सहयोग को बढ़ाने के बेहतरीन अवसर हैं. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी साझेदारी पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि 'वर्चुअल' सहयोग ने भारत और अमेरिका के बुद्धिजीवियों का एक साथ आना संभव बना दिया है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका में 2,00,000 से अधिक भारतीय छात्रों के पढ़ने से, शिक्षा साझेदारी शक्ति का स्रोत बन गई है और दोनों देशों के लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम कर रही है.

पढ़ें- गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के ह्यूस्टन आने के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

संधू ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा की गारंटी के बिना इनमें से कोई भी साझेदारी संभव नहीं है और यह स्वाभाविक है कि साझा मूल्यों वाले लोकतंत्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे के साथ साझेदारी करनी चाहिए कि दुनिया अधिक सुरक्षित हो.

न्यूयॉर्क : अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि विश्व में कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी के मद्देनजर यह भारत और अमेरिका के बीच एक 'अद्वितीय साझेदारी' के वादे को नवीन रूप देने का समय है, ताकि आबादी के पांचवें हिस्से को सीधा फायदा पहुंचे.

अमेरिकी पत्रिका 'न्यूज़वीक' में संधू ने 'मीटिंग द चैलेंज ऑफ अवर टाइम्स: डीपनिंग द इंडिया-यूएस पार्टनरशिप' शीर्षक से एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच सहयोग के पांच ऐसे क्षेत्रों को रेखांकित किया है, जिससे न केवल दोनों लोकतांत्रिक देशों को फायदा होगा, बल्कि इससे एक सुरक्षित, स्वस्थ तथा अधिक समृद्ध दुनिया बनाने में भी मदद मिलेगी.

ये क्षेत्र कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने, डिजिटल क्षमताओं, शिक्षा साझेदारी और रक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने से जुड़े हैं.

संधू ने लिखा कि सबसे बड़े प्रकोप का सामना करने के मद्देनजर अब अद्वितीय साझेदारी के वादे को नवीन रूप देने का समय आ गया है, जिससे आबादी के पांचवें हिस्से को सीधा लाभ पहुंचे और जो नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के लिए स्थायी शांति एवं सुरक्षा का स्रोत बने.

संधू ने कहा कि दोनों देशों ने अमेरिका में द्विदलीय सहमति और भारत में हर दल के समर्थन के आधार पर पिछले दो दशक में एक 'उल्लेखनीय साझेदारी' निर्मित की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नए अमेरिकी प्रशासन के तहत, हम अपने देशों और दुनिया को लाभ पहुंचाने वाली एक नींव का निर्माण कर सकते हैं.

'भारत विश्व का औषधालय'

उन्होंने कहा, 'हम अमेरिकी शासन के साथ तत्काल वैश्विक महामारी से निपटने के लिए, स्वास्थ्य-देखभाल क्षेत्र में हमारे व्यापक सहयोग को आगे बढ़ाएंगे, जिसमें विज्ञान से जुड़ी चीजों के आदान-प्रदान (वर्तमान में पांच टीकों पर मिलकर काम जारी है) से लेकर औषधियों आदि तक को एक-दूसरे के साथ साझा करना शामिल है.'

उन्होंने कहा कि भारत 'विश्व का औषधालय है', उसने दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसियों के अलावा अफ्रीका, लातिन अमेरिका, पश्चिम एशिया और एशिया सहित अपने अन्य साझेदारों को भी कोविड-19 के टीके मुहैया कराए हैं.

यह रेखांकित करते हुए कि भारत पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है, संधू ने इस महत्वपूर्ण समझौते में अमेरिका की वापसी का स्वागत किया. उन्होंने इस बात को भी रेखोंकित किया कि सामरिक ऊर्जा साझेदारी के तहत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में दो देश पहले से ही एक साथ काम कर रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि विश्व वैश्विक महामारी से उबर रहा है और ऐसे में आर्थिक विकास डिजिटल क्षमताओं पर निर्भर है, जो कि 'हमारी बड़ी आबादी के काम, अध्ययन और बातचीत' के लिए महत्वपूर्ण होगा.

शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी पर दिया जोर

संधू ने कहा कि 5 जी, एआई, 'बिग डेटा एनालिटिक्स', 'क्वांटम कंप्यूटिंग', 'ब्लॉकचैन' और 'आईओटी' जैसी मुख्य प्रौद्योगिक में सहयोग को बढ़ाने के बेहतरीन अवसर हैं. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी साझेदारी पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि 'वर्चुअल' सहयोग ने भारत और अमेरिका के बुद्धिजीवियों का एक साथ आना संभव बना दिया है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका में 2,00,000 से अधिक भारतीय छात्रों के पढ़ने से, शिक्षा साझेदारी शक्ति का स्रोत बन गई है और दोनों देशों के लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम कर रही है.

पढ़ें- गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के ह्यूस्टन आने के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

संधू ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा की गारंटी के बिना इनमें से कोई भी साझेदारी संभव नहीं है और यह स्वाभाविक है कि साझा मूल्यों वाले लोकतंत्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे के साथ साझेदारी करनी चाहिए कि दुनिया अधिक सुरक्षित हो.

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